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जानिए वह कौन सी है वजह जिनके कारण सांसद अतुल राय हुए बरी, कौन हुए गवाह के रूप में कोर्ट में पेश

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Published : Aug 6, 2022, 10:18 PM IST

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रेप के तीन साल पुराने मामले में शनिवार को वाराणसी के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) सियाराम चौरसिया की अदालत ने घोसी लोकसभा से सांसद अतुल राय को बरी कर दिया.

वाराणसी: रेप के तीन साल पुराने मामले में शनिवार को वाराणसी के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) सियाराम चौरसिया की अदालत ने घोसी लोकसभा से सांसद अतुल राय को बरी कर दिया. सबसे बड़ी बात यह है कि अदालत ने 101 पेज के अपने आदेश में कहा कि पीड़ित द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य/अभिकथन न तो न्यायालय का विश्वास प्रेरित करने वाला विश्वसनीय है, न बेदाग और वास्तविक गुणवत्ता वाला है.

अभियोजन पक्ष आरोपी अतुल राय पर लगाए गए आरोपों को साबित करने में पूर्णतया असफल रहा है. ऐसी दशा में आरोपी अतुल राय को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाना न्यायसंगत है. अदालत ने कहा कि तथ्य और साक्ष्य साबित करते हैं कि अतुल राय के खिलाफ राजनीतिक साजिश और रंजिश के साथ ही लोकसभा चुनाव में उन्हें हराने के लिए सोच समझकर एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

अनुज यादव, अधिवक्ता

अदालत ने आदेश की प्रति प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल के अधीक्षक और लोकसभा अध्यक्ष को भेजने को कहा है. अदालत में अतुल राय की ओर से अधिवक्ता अनुज कुमार यादव और दिलीप श्रीवास्तव ने पक्ष रखा.

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दरसअल, रेप की घटना के दिन और समय पर अतुल राय गाजीपुर के जमानिया में डे-नाइट फुटबॉल टूर्नामेंट में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे. उन्होंने वहां पुरस्कार वितरण किया था और उसके बाद निमंत्रण में शामिल हुए थे. अतुल राय को 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का प्रत्याशी घोषित किया गया था. प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से ही पीड़िता के दोस्त सत्यम प्रकाश राय द्वारा फेसबुक पर उनके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया जाने लगा. साथ ही लगातार अतुल राय का टिकट निरस्त करने और उन्हें सांसद न बनने लायक कहा गया.

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लोकसभा चुनाव के लिए अतुल राय ने 25 अप्रैल 2019 को नामांकन किया था. इसके 6 दिन बाद रेप की घटना 7 मार्च 2018 दर्शाते हुए एक साल डेढ़ माह से ज्यादा समय बाद 1 मई 2019 को लंका थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया. उच्चाधिकारियों के आदेश से अतुल राय के पिता भरत सिंह के प्रार्थना पत्र की जांच तत्कालीन सीओ भेलूपुर अमरेश सिंह बघेल द्वारा की गई थी. एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी ने उसे उच्चाधिकारियों को भेजा गया था.

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भरत सिंह ने साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराई ऑडियो-वीडियो क्लिप, बैंक डिटेल और कॉल डिटेल की जांच की गई तो वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अतुल राय के खिलाफ दर्ज मुकदमे की पुन: अग्रिम विवेचना कराया जाना उचित माना था.अतुल राय की रंजिश माफिया मुख्तार अंसारी के गुर्गे अंगद राय से थी. अतुल राय की रिमांड शीट पर दर्ज हस्ताक्षर और उनके खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज करने के लिए दी गई तहरीर की हैंड राइटिंग एक ही थी. ऐसा क्यों हुआ, इस संबंध में पीड़ित और अभियोजन पक्ष द्वारा कोई संतोषजनक कारण नहीं पेश किया जा सका. वहीं, मुकदमे के ट्रायल के दौरान अदालत में अभियोजन की ओर से 9 और बचाव पक्ष की ओर 15 गवाह पेश किए गए. खास बात यह रही कि डिप्टी एसपी अमरेश सिंह बघेल को अभियोजन पक्ष की ओर से पेश होना चाहिए था, मगर वह अतुल राय की ओर से बचाव पक्ष के पहले गवाह के तौर पर पेश हुए. इसी वजह से उन्हें निलंबित किया गया. इसके साथ ही लंका थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया था. फिलहाल निलंबित डिप्टी एसपी अमरेश सिंह बघेल जमानत पर जेल से बाहर हैं.

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