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फ्रांस की तकनीक से बेहतर क्वालिटी में फिल्टर गंगा का पानी, पोषक तत्वों के साथ हो रहा सप्लाई

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Published : Nov 10, 2022, 1:38 PM IST

वाराणसी में गंगा का पानी पोषक तत्वों के साथ लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है. फ्रांस की तकनीक के माध्यम से इसे फिल्टर (Varanasi Ganga river water Filter) किया जा रहा है.

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वाराणसी:दुनिया में प्रत्येक जीव के लिए जल बहुत जरूरी है. अगर पानी साफ सुथरा और मिनरल से युक्त हो तो कई बीमारियां दूर रहती हैं और यदि मिनसल्स की कमी, गंदे पानी का इस्तेमाल किया जाए, तो कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. केंद्र सरकार सरकारी नालों के पानी फिल्टर कर बेहतर क्वालिटी में सप्लाई करने के लिए प्रयासरत है. वाराणसी में तो फ्रांस की तकनीक से सरकारी नालों के पानी को फिल्टर किया जा रहा है. इससे पानी की क्वालिटी मिनरल वाटर से भी ज्यादा हाई हो गई है.

वाराणसी में पानी की सप्लाई के लिए जलकल विभाग पूरी तरह से गंगा पर निर्भर है. यहां पर गंगा के पानी को ही फिल्टर (Water Filter with French technology in Varanasi) करके लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि गंगा का जल यदि साफ है तो उससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता. वाराणसी का जलकल विभाग गंगा के पानी की अशुद्धियां दूर करके उसे असली पोषक तत्वों के साथ लोगों के घरों तक पहुंचाता है. जलकल के सचिव और इंजीनियर सिद्धांत कुमार ने बताया कि बिसलेरी और बोतल बंद पानी में मिनरल्स की मात्रा कम होती है. टीडीएस उस पानी में आरो के माध्यम से लेकर आया जाता है, जबकि जो पानी इस समय जलकल सप्लाई (Ganga river water supply in Varanasi) कर रहा है वह मिनरल्स के मामले में सबसे बेहतर है. 300 के करीब टीडीएस और मिनरल्स इस पानी में रखा जाता है, जो मानक के अनुरूप है. ह्यूमन बॉडी के लिए यह बेहद आवश्यक होता है. इसके अलावा पानी की हेजिन्स और ट्रब्यूनिटी को कम करके रखते हैं. यह वाटर नॉमस के अनुरूप रखा जाता है. वाराणसी जलकल विभाग के महाप्रबंधक और इंजीनियर ने बताया कि किस तरह से देश में पहली बार फ्रांस और कनाडा की तकनीक से पानी को फिल्टर किया जा रहा है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

जानकारी देते वाराणसी जलकल विभाग के महाप्रबंधक रघुवेंद्र कुमार और सचिव सिद्धांत कुमार
जलकल विभाग वाराणसी


जलकल विभाग जो मेथड पानी को फिल्टर (Varanasi Ganga water Filter in better quality) करने के लिए अपना आ रहा है. उसका इस्तेमाल विदेशों में किया जाता है. फ्रांस, कनाडा समेत कई अन्य देशों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले पानी को फिल्टर करने के लिए पुराने तरीके का इस्तेमाल किया जाता था. इसमें एक सेप्टिक टैंक में पानी स्टोर करने के बाद उसमें फिटकरी, क्लोरीन और एलमुनियम युक्त केमिकल डाले जाते थे, जिससे पानी साफ होता था. इसमें समस्या यह होती थी कि सेफ्टी टैंक गंदगी से जल्दी भर जाते थे और इसे हर एक घंटे में साफ करना पड़ता था. जिससे ज्यादा समय में कम पानी ही फिल्टर हो पाता था. वहीं, पानी में मौजूद पोषक तत्व भी पूरी तरह से नष्ट हो जाते थे और टीडीएस की मात्रा भी कई बार 300 के ऊपर पहुंच जाती थी. ऐसी स्थिति में पानी को बेहतर तरीके से सप्लाई कर पाना संभव नहीं था.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश के दौरे पर गए थे तो उन्होंने पानी की सप्लाई के इस तरीके को वहां पर देखा था. उसके बाद पीएम ने इसे अपने संसदीय क्षेत्र में लागू करने की प्लानिंग की थी. इसी प्लानिंग के तहत सितंबर महीने से इस कार्य को शुरू किया गया है और सप्लाई बेहतर तरीके से की जा रही है.

क्या है फ्रांस की तकनीक: पानी में एलुमिनियम के ज्यादा इस्तेमाल से दिव्यांगता और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है. इसलिए फ्रांस की तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया. यह तकनीक पॉलीमर क्लोराइड के इस्तेमाल के जरिए पानी को फिल्टर (Ganga water filtered with nutrients in Varanasi) करती है. हाल ही विदेशों में पॉलीमर क्लोराइड पर कई रिसर्च हुए हैं. पॉलीमर क्लोराइड को हम बड़े-बड़े सेफ्टी टैंक में इस्तेमाल करके उसे बड़े पंप के जरिए सप्लाई के लिए आगे बढ़ाते हैं, जो पूरे फोर्स के साथ फिल्टर होते हुए आगे बढ़ता है.

फ्रांस की तकनीक से फिल्टर गंगा का पानी
वाराणसी का वाटर प्रबंधन: 145 एमएलडी पानी की सप्लाई गंगा वाटर को फिल्टर करके होती है. 155 एमएलडी पानी की सप्लाई ट्यूबवेल और टैंक के जरिए होती है. 300 एमएलडी वॉटर सप्लाई प्रोडक्शन के जरिए की जाती है. जलकल विभाग शहर को कुल 22 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति करता है. 20 लाख आबादी के सापेक्ष 27 करोड़ लीटर पानी की जरूरत पड़ती है. 16 करोड़ लीटर पानी की जरूरत अन्य स्त्रोत से की जाती है. 11 करोड़ लीटर पानी अभी भी लीकेज और अन्य के जरिए बर्बाद हो जाता है.
गंगा के पानी को फिल्टर करने वाली मशीन
टंकी में स्टोर गंगा का पानी
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