वाराणसी/अयोध्या/फर्रुखाबाद/हापुड़/कन्नौज/भदोही/कुशीनगर/मथुरा: सात वार और नौ त्यौहार वाले शहर बनारस में आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रातः काल भोर से से ही वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का ज्वार उमड़ पड़ा है. वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, केदार घाट, राजघाट समेत सभी प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है. श्रद्धालु गंगा में स्नान ध्यान करने के बाद आचमन करते हुए अपने श्रद्धा अनुसार ब्राह्मण एवं निर्धन व्यक्तियों को दान कर रहे हैं. इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ हैं. दूर-दूर से संख्या में आए भक्त बाबा के दर्शन पाने के लिए रात भर से ही लाइन में लग गए हैं.
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं, लेकिन एक प्रचलित मान्यता के अनुसार आदिकाल में त्रिपुरासुर नामक राक्षस का आतंक व्याप्त था. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर का रूप लेकर त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. इस अवसर पर भगवान विष्णु ने भगवान शंकर को त्रिपुरारी नाम दिया, जो कि महादेव के विभिन्न नामों में से एक है. इस वध से सभी देवी देवता प्रसन्न हुए. इस अवसर पर देवी- देवताओं ने भगवान शंकर की प्रिय नगरी काशी में अगर गंगा किनारे दीप जलाकर दीपावली मनाई, तभी से यह परंपरा काशी में अनवरत चली आ रही है, तो वहीं मानता है कि तभी से काशी में प्रत्येक देव-दीपावली के अवसर पर साक्षात देवतागण स्वर्ग से उतरकर काशी में दीपावली मनाने आते हैं, तो वही इस पर्व को भगवान विष्णु के प्रथम अवतार यानी मत्स्य अवतार के रूप में भी मनाया जाता है.
आदिकाल में वेदों की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार लिया था, जो कि उनका पृथ्वी पर प्रथम अवतार था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान से अपने पापों की मुक्ति मिलती है.महादेव की नगरी काशी में देव दीपावली के अवसर पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. प्रातः भोर से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके हैं, तो वहीं काशी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का की लंबी कतार लगी हुई है. इसके अलावा काशी के काल भैरव मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड समेत सभी प्रमुख मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है, तो वही घाट पर ही गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु घाट पर परीक्षित मंदिरों में दर्शन पूजन व दीपदान कर रहे हैं.
अयोध्या में सरयू नदी में भक्तों ने किया स्नान
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त से ही पवित्र सरयू नदी में स्नान करने भक्त पहुंचे. पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की पवित्र तिथि पर वेद मन्त्रों की शक्ति भी पवित्र नदियों के जल में समाहित हो जाती है इसलिए इस पुनीत अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसी कड़ी में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं और दर्शन पूजन कर रहे हैं.
जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने बताया कि अयोध्या भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली के साथ ही विभिन्न धर्मो की साधना स्थली रही है. अयोध्या में स्थित विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर आस्था के केंद्र हैं वर्ष पर्यंत यहां पर धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन होते रहते हैं.लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का एक माह बेहद पवित्र है.जब लोग कल्पवास करते हैं आज के दिन कल्पवास का समापन होता है. प्रतिदिन सरयू में स्नान करने दीपदान करने और मां तुलसी की सेवा पूजा करने के साथ ही यह अनुष्ठान संपूर्ण होता है. कार्तिक पूर्णिमा की पवित्र तिथि पर सरयू स्नान का विशेष महत्व है. जन्म-जन्म अंतर के पाप कलुष कष्ट मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.इस मनोकामना को मन में रखकर आज भी अयोध्या में आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा है.
फर्रुखाबाद में भक्तों ने गंगा में लगाई आस्था का डुबकी
पांचाल घाट गंगा तट पर कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी. दक्षिणी घाट व उत्तरी गंगा घाट पर सुबह तीन बजे से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे है. बीती शाम से ही मध्यप्रदेश, इटावा, औरैया, आगरा, मैनपुरी, कन्नौज, हरदोई, शाहजहांपुर बदायूं सहित कई जनपदों के लोग पहुंचने लगे थे. भक्तों की सुरक्षा में भारी पुलिस बल तैनात है.
गढ़मुक्तेश्वर में भी उमडे़ आस्थावान
हापुड़ की तीर्थ नगरी गढ़मुक्तेश्वर में गंगा कार्तिक मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. गंगा कार्तिक मेले में आसपास के जनपदों और आसपास के राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. गढ़मुक्तेश्वर में गंगा स्नान कर भक्त दान पुण्य कर रहे हैं. यहां गंगा स्नान महाभारत काल से होता आ रहा है. वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात है. कई रूट डायवर्ट किए गए हैं.