वाराणसी : नीलकंठ तुम नीले रहियो सारी बात राम से कहियो, दशहरे पर यह परंपरागत बातें आज भी गांव-देहात और कुछ शहरों में सुनने को मिल जाती हैं. दशहरे का पावन पर्व आज और कल दोनों दिन मनाया जाएगा. नवमी तिथि दोपहर 3:00 बजे के बाद समाप्त होने के साथ ही दशहरे की शुरुआत हो चुकी है. अधिकांश स्थानों पर रावण दहन भी कल ही है. इस पर्व पर नीलकंठ पंक्षी का दर्शन करने की भी परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से लोगों की किस्मत चमक जाती है. जानिए क्या है पौराणिक कहानी है, और क्या हैं पक्षी के मायने.
किसानों के लिए हितकर माना जाता है नीलकंठ. नीलकंठ के रूप में भगवान शिव ने दिए थे दर्शन :काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है. इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया तो ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. उस दौरान भगवान शिव ने भगवान राम को दशहरे के दिन ही नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिए थे.
रामायण काल से जुड़ी है मान्यता. बेहद शुभ और सौभाग्यशाली पक्षी है नीलकंठ :ज्योतिषाचार्य ने बताया कि यदि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी दिख जाए तो आपकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं. आपको कुछ ऐसा पानी की उम्मीद जग जाती है जिसके लिए आप लंबे वक्त से संघर्ष कर रहे थे. धन-धान्य के साथ ही सौभाग्य भी आपके साथ होता है. नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. शिव रूप नीलकंठ के दर्शन मात्र से ही भगवान राम का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. मौसम के बदलने के साथ ही अब शरद ऋतु की शुरुआत भी हो गई है. नीलकंठ पक्षी को किसानों के लिए भी हितकर माना जाता है. नीलकंठ पक्षी इस मौसम में पैदा होने वाले कीट पतंगों को खाता है. खेतों में विचरण करते हुए किसानों के लिए फसलों को बचाने का यह वरदान साबित होता है. यही वजह है कि नीलकंठ को बेहद शुभ और सौभाग्यशाली पक्षी माना जाता है.
यह भी पढ़ें :विजयदशमी पर नीलकंठ से कहें मन की बात, जाग उठेगा भाग्य
सहारनपुर में दशहरा के लिए बनाया गया रावण का पुतला बोलता भी है और हंसता भी है, जानें वजह..