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Dussehra 2022: विजयदशमी पर नीलकंठ से कहें मन की बात, जाग उठेगा भाग्य

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Published : Oct 5, 2022, 9:04 AM IST

ऐसा कहा जाता है कि विजयदशमी पर नीलकंठ (neelkanth on dussehra) देखने और उससे मन की बात कहने से भाग्य जाग उठता है और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है. हमने इसे लेकर वाराणसी में ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित से बात की.

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विजयदशमी पर नीलकंठ

वाराणसी: आज विजयदशमी का पर्व हर कोई अपने तरीके से मनाता है. कहीं पर शस्त्र पूजन होता है कहीं रावण दहन लेकिन परंपराओं के बीच एक ऐसी परंपरा है जो आज नहीं बल्कि सदियों से निभाई जा रही है और यह परंपरा है विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने की. आखिर क्यों नीलकंठ पक्षी का दर्शन आज के दिन करना शुभ माना जाता है और क्या है इसके पीछे की कहानी.


विजयदशमी पर नीलकंठ देखने के महत्व के बारे में श्री विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य और ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि नीलकंठ पक्षी को साक्षात महादेव क्या रूप माना जाता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि जिस वक्त भगवान श्री राम रावण का वध करने जा रहे थे. उस वक्त देवाधिदेव महादेव ने नीलकंठ पक्षी का रूप लेकर भगवान श्रीराम को दर्शन दिए थे और नीलकंठ पक्षी के दर्शन के बाद भगवान श्रीराम को उनके काम में सफलता मिली थी. इसलिए माना जाता है कि आज के दिन यदि आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो आपका भाग्य चमक जाता है और आपको हर कार्य में सफलता मिलती है.

दशहरा पर नीलकंठ देखना शुभ: इसके अतिरिक्त एक अन्य कहानी के मुताबिक रावण को मारने के बाद जब प्रभु श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था. तब प्रभु श्री राम और लक्ष्मण ने महादेव की आराधना कर पाप से मुक्ति का आवाहन किया था. उस वक्त उन्होंने नीलकंठ के रूप में दोनों भाइयों को दर्शन दिए और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया था. आज दशहरे के दिन नीलकंठ देखने के साथ ही लोग यह भी कहते हैं, नीलकंठ तुम नीले रहियो, हमारी बात राम से कहियो. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन नीलकंठ से अपने मन की बात कहने पर वह प्रभु श्रीराम तक पहुंचती है और आपकी मनोकामना पूर्ण होती है. इसलिए नीलकंठ का दर्शन (neelkanth on dussehra) करके श्रीराम श्रीराम और शिव शिव कहां घर नीलकंठ से अपने मन की बात जरूर कहनी चाहिए.


नीलकंठ पक्षी दिखने पर करें ये काम: पंडित प्रसाद दीक्षित के मुताबिक विजयादशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन के साहित्य शस्त्र पूजन और जय विजय के पूजन की मान्यता भी मानी गई है. प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया उसके बाद आज के दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है. 4 अक्टूबर को दोपहर 2:20 पर ही दशमी तिथि लग चुकी है और 5 अक्टूबर यानी आज अतिथि दोपहर 01:00 बजे के बाद समाप्त होगी. विजय मुहूर्त दोपहर 2:13 से 3:00 तक रहेगा रावण दहन सूर्यास्त के बाद रात्रि 8:30 तक किया जा सकता है. आज के दिन सुबह स्नान ध्यान करने के बाद प्रभु श्री राम माता सीता और लक्ष्मण सहित मारुति नंदन हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए.

पंडित प्रसाद दीक्षित के मुताबिक आज के दिन शमी के पेड़ के पूजन का जिक्र मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि शमी का वृक्ष मंगलकारीहै और लंका पर विजय पाने के बाद श्री राम ने इसी वृक्ष की पूजा की थी और नवरात्र में मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करना अति उत्तम माना गया है. इसके अलावा अपराजिता के पेड़ या उसके फूलों की पूजा करना भी शुभ माना गया है.

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