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सुलतानपुर में अनोखी पहल, शवदाहगृह, अलाव और तंदूर में जलेंगे गोबर के लट्ठ

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Published : Dec 28, 2020, 12:16 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गौ-संरक्षण योजना को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने रोजगार से जोड़ दिया है. विकास विभाग के सहयोग से ऐसी मशीन तैयार की गयी है, जो गोबर, कोयला और धान की डंठल के कतरन से लकड़ी के लट्ठ तैयार करेगी.

शवदाहगृह, अलाव और तंदूर में जलेंगे गोबर के लट्ठ
शवदाहगृह, अलाव और तंदूर में जलेंगे गोबर के लट्ठ

सुलतानपुरः सीएम योगी की गौ-संरक्षण योजना को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने रोजगार से जोड़ दिया है. विकास विभाग के सहयोग से ऐसी मशीन तैयार की गयी है, जिससे सहायता से गोबर, कोयला और धान की डंठल के कतरन से लकड़ी के लट्ठ तैयार की जायेगी.

गोबर, कोयला और धान की डंठल के कतरन से तैयार होंगे लकड़ी के लट्ठ

शवदाहगृह, अलाव और तंदूर में जलेंगे गोबर के लट्ठ
इसका बाजार में अलाव और तंदूर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा. शव के अंतिम संस्कार में परम पवित्र गोबर की लकड़ी भी इस्तेमाल की जायेगी.

सुलतानपुर में अनोखी पहल

पवित्रता में गोबर का अहम स्थान
पवित्रता के लिहाज से देखें तो गोबर शास्त्र और पुराणों में परम शुद्ध माना गया है. इसमें विषाणु और जीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता तक दर्शायी गई है. सभी मांगलिक कामों में गोबर सबसे पहले इस्तेमाल में लाया जाता है. वैवाहिक आयोजन, जन्म और मृत्यु संस्कार में गोबर का उपयोग काफी अहम माना जाता है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिले रोजगार
प्रधान रिचा सिंह के पति अखंड प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह के मुताबिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से गोबर की लकड़ी तैयार की जाती है. मशीन में गोबर कोयला और पैरा के संयुक्त मिश्रण से लट्ठ बनाया जाता है. इससे महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है. हमारे यहां 7 सौ से अधिक गौशाला में गायें हैं. इनकी गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मंत्री कर चुके हैं गौशाला की तारीफ
सुल्तानपुर-फैजाबाद जिले की सीमा पर स्थित हलियापुर ग्राम पंचायत की इस गौशाला में अब तक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई राज्य मंत्री आ चुके हैं. इस गौशाला की वे तारीफ भी कर चुके हैं. इनसे प्रेरित होकर महिलाओं ने रोजगार का ये रास्ता अख्तियार किया है.
प्रेरणा स्वयं सहायता समूह की ये पहल

सीडीओ के मुताबिक जिले के हलियापुर गौशाला में प्रेरणा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ये पहल है. यहां करीब साढ़े 6 सौ गाय पंजीकृत रूप से रखी गई हैं.

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