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शामली में मदरसों के सर्वे में जुटा प्रशासन, 5 दशक पुराने मदरसे समेत 4 चार को नहीं मिली मान्यता

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Published : Sep 18, 2022, 9:51 AM IST

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शामली में प्रशासन ने प्रदेश सरकार के आदेशों के बाद मदरसों का सर्वे कार्य शुरू कर दिया है. सर्वे के दौरान 5 दशक पुराने मदरसे समेत 4 मदरसों को मान्यता नहीं मिली है. फिलहाल, बिना मान्यता प्राप्त मदरसे चिह्नित किए जा रहे हैं.

शामली: प्रदेश सरकार ने हाल ही में मदरसों के सर्वे कराए जाने के आदेश दिए हैं. इसे लेकर शामली जिले की तीनों तहसील क्षेत्र में प्रशासन ने सर्वे कार्य शुरू कर दिया है. प्रशासन का दावा है कि जिले में बिना मान्यता के 84 मदरसे संचालित हैं. हालांकि, अब तक चंद मदरसों का ही सर्वे हो पाया है. इस दौरान करीब 5 दशक पुराने मदरसे समेत 4 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए हैं. ऐसे मदरसों को चिह्नित कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

एसडीएम कैराना शिवप्रकाश यादव ने बताया कि 11 बिंदुओं पर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किया जा रहा है. इसमें मदरसे को कौनसी संस्था चला रही है, स्थापना कब हुई थी, शिक्षक और बच्चे कितने हैं. साथ ही आय का स्रोत क्या है आदि शामिल है. सर्वे पूर्ण होने के पश्चात रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जाएगी.

एसडीएम कैराना शिप्रकाश यादव ने दी जानकारी

दरअसल, शामली जिले में प्रशासन ने शासन के आदेश पर मदरसों का सर्वे कार्य प्रारंभ कर दिया है. जिले की शामली, कैराना और ऊन तहसील क्षेत्रों में एसडीएम के नेतृत्व में टीमों को लगाया गया है. सदर एसडीएम विशु राजा ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अंशुल चौहान और खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह के साथ शहर के दिल्ली रोड स्थित मदरसा हाफिज जामिन शहीद में पहुंचे. उन्होंने बच्चों, शिक्षकों की संख्या और मान्यता के बारे में जानकारी की. लेकिन, उन्हें मान्यता नहीं मिली. मदरसे के मुफ्ती जाकिर ने बताया कि हाफिज जामिन शहीद के नाम से संस्था रजिस्टर्ड है.

इसके अलावा टीम ने गांव खेड़ीकरमू में मदरसा रहमानिया शेजुल कुरान और गांव लिलौन में मदरसा दारुल उलूम इम्दादिया का भी सर्वे किया है. इन दोनों मदरसों को मान्यता नहीं मिली है. हालांकि, मदरसा संचालकों ने संस्था के रजिस्ट्रेशन पर छात्रों को शिक्षा देने की बात कही है. इसके अलावा एसडीएम कैराना शिवप्रकाश यादव ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अंशुल चौहान के साथ कैराना के मोहल्ला आलकलां में स्थित मदरसा फैजुल उलूम का सर्वे किया. जहां उन्होंने शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए मदरसे की मान्यता के बारे में जानकारी ली. साथ ही बच्चों और अध्यापकों की उपस्थिति रजिस्टर की भी जांच की. इस दौरान मदरसे के आय स्रोत के बारे में जानकारी की गई.

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जमीन का बैनामा भी मांगा गया. मदरसा संचालक कारी मेहरबान ने बताया कि बच्चों से फीस लेकर अध्यापकों को वेतन दिया जाता है. यह मदरसा बदरूल उलूम गढ़ीदौलत की देखरेख में चलाया जाता है. अधिकारियों ने मदरसे में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों से अंग्रेजी भाषा में नाम पूछे और देश के प्रधानमंत्री के नाम के बारे में जानकारी ली गई.

इस दौरान बच्चों ने सही जवाब दिए. इसके अलावा कैराना के पानीपत रोड पर स्थित मदरसा इशातुल इस्लाम में भी दोनों अधिकारियों ने जांच-पड़ताल की. जांच में मदरसे को मान्यता नहीं मिली है. बताया गया कि मदरसे की स्थापना करीब पांच दशक पूर्व हुई थी. मदरसे के संचालक मौलाना बरकतुल्ला अमीनी ने बताया कि वर्तमान में मदरसे में करीब 200 बच्चे पढ़ाई करते हैं, इनमें कुछ बच्चे बाहर के भी पाए गए.

एसडीएम ने हिदायत दी कि बाहर के बच्चों को रात में मदरसे में न रखा जाए. इसके लिए अनुमति लेने के निर्देश दिए गए हैं. मदरसा संचालक ने बताया कि यह मदरसा दारूल उलूम देवबंद की देखरेख में चलता है. दारूल उलूम की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं आई है, इसलिए आज तक मदरसे की मान्यता नहीं कराई गई है. वहीं, प्रशासन की जांच के चलते गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है.

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