मेरठ:जयदेवी नगर के रहने वाले युवक ने लोगों के लिए एक मिशाल पेश की है. उसने अपने पिता को बचाने के लिए अपना लिवर दान कर दिया. उसके इस कदम से पिता को नई जिंदगी मिल गई. साथ ही यह सराहनीय काम ऐसे लोगों को आईना भी दिखाता है, जो लालच में पड़ कर रिश्तों को कलंकित करते हैं.
दरअसल, उत्कर्ष की उम्र अभी महज 20 साल है. वह ग्रेजुएशन कर रहा है. लगभग एक साल पहले उत्कर्ष के पिता अवधेश कुमार शर्मा (47) की हालत बेहद खराब हो गई थी. उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. वहां डॉक्टरों ने तत्काल उपचार किया. लेकिन, अवधेश को राहत नहीं मिली. उत्कर्ष के पिता अवधेश की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. डॉक्टर जवाब दे चुके थे. उत्कर्ष ने बताया कि उनके पिता को लिवर सिरोसिस थी.
अवधेश शर्मा ने बताया कि वह एक साल से पोर्टल हाइपरटेंशन के साथ डिकंपेंसेटेड क्रॉनिक लिवर डिजीज नामक बीमारी से जूझ रहे थे. उनके पेट में बार-बार पानी भरने की समस्या हो गई थी और लगातार पीलिया से ग्रसित थे. मेरठ समेत दिल्ली, एनसीआर में काफी जगह उपचार के लिए बेटा पिता को लेकर गया. लेकिन, कहीं भी लाभ नहीं हुआ. बाद में किसी ने उन्हें गुरुग्राम के एक निजी हॉस्पिटल में जाने की सलाह दी. वहां डॉक्टरों ने उपचार दिया और साथ ही यह भी बता दिया कि अब अवधेश कुमार सिर्फ तीन माह ही जीवित रह सकते हैं.
इकलौते बेटे उत्कर्ष ने बताया कि उन्होंने निर्णय लिया कि उन्हें अपने पिता की जान बचानी है. इसके बाद गुरुग्राम के एक निजी हॉस्पिटल में लिवर प्रत्यारोपण किया गया. आखिरकार चिकित्सकों की सूझबूझ के चलते बेटे ने अपना आधा लिवर दान करके पिता को बचा लिया. अवधेश कहते हैं कि उनका दूसरा जन्म बेटे की ही वजह से है. पिता बेटे के इस कदम से काफी खुश हैं. डॉक्टर उन्नीकृष्णन जी ने बताया कि पेशेंट अवधेश शर्मा की तबीयत बहुत खराब थी. 3 महीने में डोनर नहीं मिलता तो उन्हें नहीं बचाया जा सकता था. वह कहते हैं कि पिता के लिए उत्कर्ष आगे आए और पूरी प्रक्रिया सफल रही. अब पिता और पुत्र दोनों बिल्कुल ठीक हैं. अवधेश भी बिल्कुल स्वस्थ हैं. अवधेश अब फिर से कॉलेज जाने लगे हैं. दो से तीन माह में उनका लिवर फिर से पहले जैसा हो जाएगा.