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रिटायर शिक्षक ने 75 साल की उम्र में दर्शनशास्त्र से किया MA, बोले- पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती

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Published : Aug 8, 2023, 8:15 PM IST

मेरठ के एक रिटायर शिक्षक का जज्बा (retired teacher MA with philosophy)आपको हैरान कर देगा. उन्होंने 75 साल की उम्र में दर्शनशास्त्र से एमए किया है. उन्होंने युवाओं को भी आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया है.

रिटायर शिक्षक ने 75 साल की उम्र में किया एमए
रिटायर शिक्षक ने 75 साल की उम्र में किया एमए

रिटायर शिक्षक ने 75 साल की उम्र में किया एमए.

मेरठ :पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, इसे जब चाहे किया जा सकता है. मेरठ के एक रिटायर शिक्षक ने रिटायरमेंट के बाद 75 साल की उम्र में दर्शनशास्त्र से एमए करके सबको चौंका दिया. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत पढ़ाई कर उन्होंने यह डिग्री हासिल की. उन्होंने अच्छे अंक भी हासिल किए हैं. लोग उनकी सराहना कर रहे हैं.

जिले के डालमपुर गांव के रहने वाले तेजवीर सिंह रोहटा ब्लॉक के शालीग्राम शर्मा इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक कई साल तक पढ़ाते रहे. इसके बाद रिटायर हो गए. इसके बावजूद उन्होंने शिक्षा से खुद को जोड़े रखा. इस समय वह 75 साल को हो चुके हैं. इसी साल उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत पढ़ाई कर दर्शनशास्त्र से एमए किया है. उन्होंने बेहतरीन अंकों के साथ परीक्षा पास की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि सन 1987-88 में उन्होंने बीएड किया था, जबकि उससे पहले उन्होंने समाजशास्त्र विषय में एमए की पढ़ाई पूर्ण की थी. चूंकि वह आध्यात्म से भी जुड़े रहे हैं, इसलिए हमेशा से ही उनकी इच्छा थी कि वह दर्शनशास्त्र से एमए करें. इसके बाद उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की. लोग उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं. उनके परिवार के लोग भी खुश हैं.

पढ़ाते-पढ़ाते खुद भी करते रहे पढ़ाई :तेजवीर सिंह ने बताया कि पहले वह रासना के श्री शालीग्राम शर्मा स्मारक इंटर कॉलेज में अध्यापक थे. पढ़ाते-पढ़ाते ही उन्होंने बीए, एमए, बीएड किया. 2011 में वह रिटायर हो गए. बुजुर्ग तेजवीर सिंह कहते हैं कि उनके मन में था कि वह एमए समाजशास्त्र से तो हैं, लेकिन उन्हें दर्शनशास्त्र से भी एमए करना चाहिए. बचपन से ही इस विषय में रुचि रही है.

बेटी भी है अध्यापिका :तेजवीर सिंह बताते हैं कि उनका बड़ा बेटा एमबीए करके एक निजी कम्पनी में कार्यरत है. छोटा बेटा भी अपनी पढ़ाई पूर्ण करने के बाद गाजियाबाद में एक प्रसिद्ध कम्पनी में कार्यरत है. उनकी एक बेटी अध्यापिका है जबकि दो बेटियां गृहणी हैं. पुत्रवधू भी पढ़ी लिखी है. उनके परिवार में की तीसरी पीढ़ी भी पढ़ाई कर रही है. युवाओं को संदेश देते हुए तेजवीर सिंह ने कहा कि जो युवा हैं, वह प्रेरणा लें. पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, जब चाहे तब शुरू कर सकते हैं. दसवीं या बारहवीं करके जो बच्चे घर बैठ गए हैं, खासकर छात्राएं, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर लें. कठिन परिश्रम से ही सब मिलता है. तेजवार बताते हैं उम्र बढ़ने के बावजूद उन्हें कोई खास स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं आई, बस उन्हें चश्मा लगाना पड़ता है.

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