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प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से पीछे हटे नीतीश, अब क्या होगी अखिलेश की रणनीति

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Published : Apr 26, 2023, 10:44 PM IST

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे की कवायद सहारे अपना सियासी कद बढ़ाने में जुटे हुए हैं. लखनऊ में हुई मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से पीछे हटने के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. बहरहाल अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे को लेकर अपनी भूमिका का निर्वहन करने में जुटे हुए हैं.

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लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे के बहाने अपना कद बढ़ाने में ध्यान दे रहे हैं. विपक्षी दलों को एकजुट करते हुए वह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ और गैर कांग्रेसी तीसरा मोर्चा को लेकर तेजी से प्रयास कर रहे हैं. पिछले काफी समय से वह तीसरे मोर्चे की एकजुटता पर ध्यान दे रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वह तीसरा मोर्चा को मजबूत कर रहे हैं. उनकी इसी कवायद के अंतर्गत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लखनऊ आए और अखिलेश यादव के साथ चौंकाने वाली बात की. नीतीश कुमार ने कहा कि वह तीसरे मोर्चे के चेहरे के रूप में नहीं हैं और नीतीश कुमार ने पीएम पद की दावेदारी से खुद को पीछे हटा लिया है. जिसके कई तरह के मायने भी निकाले जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से पीछे हटे नीतीश, अब क्या होगी अखिलेश की रणनीति .


दरअसल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. जिसके साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ तीसरे मोर्चे की कवायद पर पूरी तरह से सक्रिय हैं. अन्य राज्यों में दौरे कर के अन्य प्रमुख विपक्षी पार्टियों को भी तीसरे मोर्चे के साथ जोड़ने पर अखिलेश यादव पिछले काफी समय से तेजी से प्रयास कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी तीसरे मोर्चे में कई प्रमुख राजनीतिक दलों को जोड़ने का काम कर रही है.

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बता दें, समाजवादी पार्टी के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे के बहाने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी एंट्री बेहतर करना चाहते हैं. यही कारण है कि वे लगातार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, मध्य प्रदेश गुजरात दिल्ली हरियाणा छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के विपक्षी नेताओं के संपर्क में हैं. अखिलेश यादव खुद का वोट बैंक बढ़ाने के साथ-साथ हिंदी भाषी राज्यों में समाजवादी पार्टी के साथ उन राज्यों के प्रमुख विपक्षी दलों को तीसरे मोर्चे के बहाने अपने साथ ला रहे हैं और जाति जनगणना की बड़ी मांग कर रहे हैं. जाति जनगणना के बहाने समाजवादी पार्टी और अन्य राज्यों के विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और जाति जनगणना के मुद्दे पर अपने अपने वोट बैंक को बढ़ाने की कवायद में जुटे हुए हैं.

सबसे खास बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले काफी समय से तीसरे मोर्चे के प्रमुख चेहरे के रूप में जाने जाते रहे हैं. पिछले दिनों जब वह लखनऊ आए अखिलेश यादव से काफी देर तक उनकी मुलाकात हुई. लोकसभा चुनाव की तैयारी के साथ साथ और तीसरे मोर्चे के गठन के साथ ही विपक्षी एकजुटता पर चर्चा की गई. उनके साथ बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव थे. कई प्रमुख बिंदुओं पर बातचीत करते हुए जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई तो नीतीश कुमार ने विपक्षी चेहरे और पीएम पद की दावेदारी से पीछे हट गए. उन्होंने कहा कि उनका मकसद सिर्फ तीसरे मोर्चे को मजबूत करते हुए सबको एकजुट करते हुए एक मंच पर लाना है. सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाना है और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एक मजबूत विकल्प बनकर लोकसभा चुनाव में उतरना है.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि समाजवादी पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से सक्रिय है. तीसरे मोर्चे की कवायद जारी है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह रणनीति बना ली है कि समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरना है. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए तीसरा मोर्चा के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी. इसी रणनीति के अंतर्गत अन्य राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश जारी है. भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में तीसरा मोर्चा चुनाव लड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज कहते हैं कि अखिलेश यादव तीसरा मोर्चे को लेकर अन्य राजनीतिक दलों के साथ रणनीति बना रहे हैं. अखिलेश यादव की कोशिश है कि अन्य राज्यों के जो समान विचारधारा वाले दल हैं उन्हें एक मंच पर लाया जा सके. यही कारण है अन्य राज्यों में जाकर दूसरे दलों के प्रमुख नेताओं से बातचीत करके माहौल बना रहे हैं. कोशिश है कांग्रेस जिस प्रकार से कमजोर हो रही है. ऐसी स्थिति में तीसरे मोर्चे के नेतृत्व में सभी दल चुनाव मैदान में आएं और भाजपा गठबंधन को हराने का काम कर सकें. देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव अपनी उस रणनीति में कितना सफल होते हैं.

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