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मनोरोग विभाग में बढ़े डिमेंशिया से पीड़ित मरीज, जानिए कैसे कर सकते हैं नियंत्रित, इन बातों का रखें ख्याल

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 11, 2023, 6:35 PM IST

Updated : Nov 11, 2023, 6:43 PM IST

राजधानी के अस्पतालों में इन दिनों डिमेंशिया के मरीज (Patients suffering from dementia increased) बढ़ते जा रहे हैं. अस्पतालों की ओपीडी में एक दिन में 15 से 25 मरीज आ रहे हैं.

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लखनऊ : डिमेंशिया यानी कि दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है. यह दिमाग की बनावट (OPD of psychiatry department of hospitals) में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है. ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण और मनोभाव को प्रभावित करते हैं. एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है. इन दोनों सरकारी अस्पतालों के मनोरोग विभाग में डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है, एक दिन में 15 से 25 मरीज मनोरोग ओपीडी में आ रहे हैं. यह सिर्फ एक अस्पताल का नहीं बल्कि लखनऊ के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के मनोरोग विभाग में डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग यही है.


प्रतीकात्मक फोटो

बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ ने बताया कि 'अस्पताल की ओपीडी में डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है. रोजाना लगभग 15 से 20 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं. कभी-कभी यह संख्या कम भी हो जाती है. उन्होंने बताया कि डिमेंशिया का खतरा तब बढ़ जाता है, जब किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क में कोई सामान्य या गंभीर कोई चोट लगी हो. कभी एक्सीडेंट में सिर में गहरा आघात हुआ हो, जिसमें ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट से अधिक समय तक बेहोश हुए हो या याददाश्त खो गई हो. इसमें इंसान को अपने बारे में कोई जानकारी न हो. यहां तक की अपने नाम का भी पता न हो. इसके बाद व्यक्ति की याद्दाश्त वापस आ जाती है, लेकिन बीच-बीच में व्यक्ति चीजें भूलने लगता है. उदाहरण के लिए व्यक्ति कभी घर से निकलता है तो रास्ता भूल जाता है या फिर कहीं बाहर घूमने गए हों तो अपने बारे में भूल जाता है. इस तरीके केस अस्पताल की ओपीडी में बहुत आते हैं, जिनका इलाज लंबे समय तक चलता रहता है. उन्होंने बताया कि डिमेंशिया से पीड़ित ज्यादातर ऐसे ही मरीज होते हैं जिनका कभी कोई भयानक एक्सीडेंट हुआ हो, ऐसा इंसिडेंट हुआ हो जो अकल्पनीय हो. मस्तिष्क चोटों में से 50 प्रतिशत का कारण मोटर वाहन दुर्घटनाएं होती हैं.'

बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ
अस्पताल में मरीजों की संख्या
सिविल अस्पताल - 15 से 25 मरीज प्रतिदिन
बलरामपुर अस्पताल - 10 से 20 मरीज प्रतिदिन
लोकबंधु अस्पताल - लगभग 10 मरीज प्रतिदिन
बीआरडी अस्पताल - 5-10 मरीज प्रतिदिन
केजीएमयू - 10 से 50 मरीज प्रतिदिन
लोहिया संस्थान - 0 से 40 से 50 मरीज प्रतिदिन

अकेले न भेजें कहीं बाहर :डॉ. सौरभ ने बताया कि 'डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज सदमे में भी चला जाता है. इसके अलावा मरीज अपने बारे में अपने घर परिवार के बारे में बिल्कुल भूल जाता है. हालांकि, कुछ समय के बाद मरीज को खुद ब खुद चीज याद आ जाती है. इस बीमारी में मरीज की याददाश्त कुछ समय के लिए जाती है और फिर वापस आ जाती है. इसलिए ऐसे मरीजों को कभी भी सफर के दौरान अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. इन्हें अकेले बाजार के लिए भी नहीं भेजना चाहिए. उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि कई मामले आपने देखे होंगे कि पुलिस में लोग शिकायत दर्ज कराते हैं या फिर अपने जानने वालों को बताते हैं कि उनके घर का एक सदस्य जिसे डिमेंशिया है. वह लापता हो गया है. डिमेंशिया शब्द का इस्तेमाल ही पुलिस समझ जाती है कि व्यक्ति की याद्दाश्त चली गई होगी और फिर वापस भी आ जाती है. ऐसे में घर का रास्ता या अपना घर भूल गया होगा. खुद-ब-खुद वह मरीज अपने घर ज्यादा वापस आने पर लौट आते हैं.'

सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह



डिमेंशिया का नहीं है कोई स्थाई इलाज :सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि 'अस्पताल की ओपीडी में डिमेंशिया से पीड़ित मरीज आमतौर पर रोज आते हैं. डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों का इलाज हमेशा चलता रहता है, क्योंकि, इससे पीड़ित मरीजों की मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए दवाइयां चलती हैं. जैसे ही यह मरीज अपनी दवाओं को बंद करते हैं, वैसे ही 10-5 दिन बाद मरीज की याद्दाश्त फिर से खोने और फिर वापस आने लगती है. इसका कोई स्थाई इलाज नहीं है. दवाओं से ही मरीज को ट्रीटमेंट मिलता है.'



अल्जाइमर व डिमेंशिया में क्या है अंतर? :उन्होंने बताया कि 'यह दोनों ही बीमारी भूलने वाली है, लेकिन इन दोनों की बीमारी में बहुत अंतर है. इसमें सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिमेंशिया एक सिंड्रोम है और इसे दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन अल्जाइमर एक बीमारी है. उन्होंने कहा कि सिड्रोंम जिस भी बीमारी से संबंधित होता है, वह उस बीमारी के लक्षणों का एक ग्रुप होता है. साधारण शब्दों में डिमेंशिया के अंतर्गत अल्जाइमर डिजीज आती है.'

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Last Updated : Nov 11, 2023, 6:43 PM IST

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