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शासन ने परिवहन विभाग को लौटाया एग्रीगेटर पॉलिसी का प्रपोजल, महिला ड्राइवर्स को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 8, 2023, 2:44 PM IST

उत्तर प्रदेश शासन ने परिवहन विभाग के एग्रीगेटर पॉलिसी के प्रस्ताव को महिलाओं को जगह न देने के चलते हाल ही ठुकरा दिया है. तर्क दिया गया है कि एग्रीगेटर पॉलिसी में एक्सक्लूसिवली ओला, ऊबर, इन ड्राइवर जैसी कंपनियां में पांच से 10 फीसद महिला ड्राइवर्स को रखा जाए. इस तरह का संशोधन कर शासन को प्रस्ताव वापस भेजा जाए. इसके बाद एग्रीगेटर पॉलिसी पर मुहर लगाई जाएगी.

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लखनऊ : एक तरफ उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम महिलाओं को सुरक्षित सफर के लिए बसों में महिला चालकों की भर्ती कर रहा है तो दूसरी तरफ परिवहन विभाग भी रेडियो टैक्सी में महिलाओं को सुरक्षित सफर देने की तैयारी में जुट गया है. परिवहन विभाग अब एग्रीगेटर पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर रहा है. इस पॉलिसी की खासियत यही होगी कि इसमें प्राइवेट रेडियो टैक्सी कंपनियों को महिला चालकों को नौकरी देनी होगी.

शासन ने परिवहन विभाग को लौटाया एग्रीगेटर पॉलिसी का प्रपोजल.
शासन ने परिवहन विभाग को लौटाया एग्रीगेटर पॉलिसी का प्रपोजल.

अभी तक उत्तर प्रदेश में ऐप बेस्ड कंपनियां जिनमें ओला, उबर, इन ड्राइवर और रैपिडो चल रही हैं, लेकिन इनके पास लाइसेंस है ही नहीं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में अभी तक एग्रीगेटर पॉलिसी ही नहीं बनी है. अब जल्द से जल्द पॉलिसी बनाई जाने की तैयारी है. इस पॉलिसी के तहत हर कंपनी को अपने यहां कुल ड्राइवरों की संख्या में से पांच से 10% महिला ड्राइवर को रखना अनिवार्य होगा. शासन की तरफ से तभी एग्रीगेटर पॉलिसी पर मुहर लगेगी. शासन के इस शार्प के बाद अब परिवहन विभाग ने एग्रीगेटर पॉलिसी के प्रस्ताव में संशोधन करने की तैयारी शुरू कर दी है. परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे गाड़ियों में सफर करते समय महिला यात्री सुरक्षित महसूस करेंगी. जब महिला चालक होगी तो महिलाओं को सफर करने में काफी सहूलियत मिलेगी साथ ही कई महिलाओं को रोजगार भी मिल सकेगा.

शासन ने परिवहन विभाग को लौटाया एग्रीगेटर पॉलिसी का प्रपोजल.
शासन ने परिवहन विभाग को लौटाया एग्रीगेटर पॉलिसी का प्रपोजल.


अभी सिर्फ रेगुलेटर है परिवहन विभाग :एग्रीगेटर पॉलिसी उत्तर प्रदेश में लागू नहीं है, लेकिन धड़ल्ले से कंपनियां वाहनों का संचालन कर रही हैं. वाहन का टैक्स और फिटनेस के साथ वाहन संचालक अपनी गाड़ियां सड़क पर दौड़ा रहे हैं और इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं. ऐप बेस्ड इन कंपनियों के लिए अब पॉलिसी तैयार की जा रही है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो लखनऊ समेत प्रदेश भर में हजारों की संख्या में इन कंपनियों के जरिए वाहनों का संचालन हो रहा है. अभी तक परिवहन विभाग को इन कंपनियों से कोई फायदा भी नहीं मिल पा रहा है क्योंकि लाइसेंस का भी प्रावधान नहीं है. वर्तमान में इन वाहनों पर चेकिंग के दौरान परिवहन विभाग रेगुलेटिंग अथॉरिटी होने के नाते सिर्फ कार्रवाई कर सकता है,

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