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Ghosi By Election 2023 : दांव पर भाजपा के दो बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा, प्रदेश अध्यक्ष ने डाला डेरा

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 3, 2023, 7:03 PM IST

घोसी उपचुनाव (Ghosi By Election 2023) में जीत के लिए भाजपा और सपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं यह चुनाव भाजपा के दो बड़े नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.

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लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा घोसी उपचुनाव में दांव पर लगी हुई है. पहला नाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का है, जबकि दूसरे नंबर पर नगर विकास मंत्री एके शर्मा हैं. प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के लिए खतौली उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद घोसी में बड़ी चुनौती है. आलम यह है कि पिछले करीब 10 दिन से वह लगातार घोसी में ही डेरा जमाए हुए हैं. दूसरी ओर एके शर्मा घोसी विधानसभा इलाके के ही रहने वाले हैं. पार्टी को यहां से जीत दिलाना उनकी लिए भी बड़ी चुनौती है. अपने दोनों मंत्रालय का काम छोड़कर वे विधानसभा क्षेत्र में ही जमे हुए हैं. पांच सितंबर को इस सीट के लिए मतदान होगा. आठ सितंबर को परिणाम आएगा.

नाक का सवाल बन गई है सीट :घोसी उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी से दारा सिंह चौहान प्रत्याशी हैं. दारा सिंह चौहान ने हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी और इससे पहले उन्होंने अपनी विधानसभा सदस्यता से भी इस्ताफा दे दिया था. दारा सिंह चौहान जनवरी 2022 में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे. दारा सिंह चौहान को भाजपा ने उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में यह पूरी पार्टी के लिए नाक के सवाल का सीट बन बई है. दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी न उतारने की घोषणा कर चुनाव को इंडिया वर्सेस एनडीए बना दिया है. इस सीट का महत्व राष्ट्रीय स्तर का हो चुका है.

बड़े नेता लगातार कर रहे कैंप :भाजपा के बड़े नेता लगातार घोसी में कैंप कर रहे हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के लिए यह सीट और अधिक खास हो चुकी है. माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान के पार्टी में आने को लेकर भूपेंद्र सिंह चौधरी की महत्वूपर्ण भूमिका है. ऐसे में उनके लिए इस सीट से भाजपा का जीतना बहुत जरूरी हो गया है. दूसरी ओर दारा सिंह चौहान जनवरी 2022 में भाजपा छोड़ कर गए थे और जुलाई 2023 में दोबारा पार्टी में आ गए. ऐसे में स्थानीय भाजपा संगठन में नाराजगी भी बनी हुई है. इस नाराजगी को दूर करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने पिछले 10 दिन से क्षेत्र में ही मोर्चा संभाला हुआ है. वे लगातार कैंप करके मुख्य रूप से संगठन संबंधित मीटिंग कर रहे हैं. भूपेंद्र सिंह चौधरी के कार्यकाल में पार्टी पश्चिम उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण सीट खतौली खो चुकी है. ऐसे में अब चौधरी दूसरा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है.

बड़े नेताओं की मौजूदगी से रोचक हो गया मुकाबला: एके शर्मा भाजपा के दूसरे बड़े नेता हैं. वह पिछले करीब एक सप्ताह से घोसी में ही डेरा डाले हैं. उनके पास बिजली और नगर विकास जैसे दो अहम मंत्रालय हैं. दोनों को अफसरों के भरोसे छोड़कर एके शर्मा घोसी के चुनावी रण में कूद चुके हैं. मऊ के रहने वाले एके शर्मा को उनके ही क्षेत्र में भाजपा ने भूमिहार वोटरों को खींचने के वास्ते लगाया गया है. ऐसे में उनके लिए भी यह बड़ी चुनौती है. अगर घोसी में भाजपा के लिए अनुकूल परिणाम नहीं आए तो एके शर्मा के लिए भी यह स्थिति प्रतिकूल हो जाएगी. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय ने बताया कि निश्चित तौर पर इंडिया फैक्टर और इन दो बड़े नेताओं की घोसी में मौजूदगी ने इस मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है. चुनाव में दोनों बड़े भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

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