लखनऊ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शुरू से ही देश में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देने का विरोध करता रहा है. मौजूदा भाजपा सरकार आरएसएस के इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के लिखे संविधान को बदल कर हर नागरिक को मिले समानता के अधिकार को सुनने की कोशिश कर रही है. जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने अपने हालिया प्रकाशित लेख में सरकार की मनसा के अनुरूप संविधान में संशोधन की बात कही है. कांग्रेस ने कहा है कि बिबेक देबरॉय का अपने पद पर बने रहना संविधान में यकीन रखने वाले हर भारतीय का अपमान है.
शाहनवाज आलम ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो एक बार फिर से देश के संविधान के संशोधन करने की बात शुरू हो गई. इसका उदाहरण वर्ष 2015 के स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत सरकार की ओर से जारी सरकारी विज्ञापन में देखने को मिला. जिसमें सरकार ने संविधान प्रस्तावना की पुरानी तस्वीर प्रकाशित कराई. जिसमें समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द नहीं थे. जिस पर विरोध शुरू हुआ तो सरकार ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.