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आरोपियों के नाम हटाने के एवज में दो लाख की रिश्वत लेने के आरोप में थाना प्रभारी निलंबित

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Published : Oct 13, 2022, 3:13 PM IST

दुष्कर्म के मामले में दो आरोपियों के नाम मुकदमे से हटाने के लिए दो लाख की रिश्वत लेने का आरोप कन्नौज के थाना प्रभारी पर लगा है. एसपी ने थाना प्रभारी को निलंबित कर मामले की जांच एएसपी को सौंप दी है.

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आरोपियों के नाम हटाने के एवज में दो लाख की रिश्वत मांगने के आरोप में थाना प्रभारी निलंबित

कन्नौज: सौरिख थाना प्रभारी (Saurikh police station incharge) पर दुष्कर्म के मुकदमे में दो आरोपियों के नाम हटाने के एवज में दो लाख की रिश्वत (bribe) लेने का आरोप लगा है. कन्नौज एसपी (Kannauj SP) ने रिश्वत लेने के आरोप में थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है. साथ ही जांच एएसपी को सौंपी है. सीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर एसपी ने यह कार्रवाई की है.

जानकारी के मुताबिक, सौरिख थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को बीती 18 जुलाई की रात सोते समय कुछ लोग जबरन उठा ले गए थे. किशोरी की मां ने उक्त लोगों को बाइक पर बैठाकर पुत्री को ले जाते देखा था. इसके बाद पीड़िता की मां ने पुलिस को फोन कर मामले की जानकारी दी थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी शुरू कर दी. पुलिस ने ऋषि भूमि चौराहे के पास से राजन नाम के युवक के साथ किशोरी को बरामद कर लिया. पीड़िता की मां ने कस्बे के ही रहने वाले राजन और बॉबी नाम के दो युवकों पर किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी.

थाना प्रभारी मदन गोपाल गुप्ता ने राजन और बॉबी नाम के दो भाइयों के खिलाफ अपहरण की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर ली, लेकिन दुष्कर्म की धारा में रिपोर्ट दर्ज नहीं की. जब पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया तो उसमें रेप की पुष्टि हुई. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर में रेप की धारा को बढ़ाया. घटना के करीब 22 दिन बाद 8 अगस्त 2022 को अचानक थाना इंचार्ज ने किशोरी के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में इंद्रपाल नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जबकि मुख्य आरोपी राजन और बॉबी को बचा लिया. पुलिस ने दावा किया था कि इंद्रपाल अपने रिश्तेदारों की बाइक बहाने से लेकर आया था और उसी बाइक से किशोरी का अपहरण किया था. इसके बाद नामजद आरोपी राजन और बॉबी को बचाने के लिए थाना इंचार्ज ने सौदा तय कर लिया.

बताया जा रहा है कि थाना प्रभारी व आरोपियों के बीच मुकदमे से नाम हटाने के लिए करीब 8 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था. आरोपियों ने थाना प्रभारी को दो लाख रुपये दे दिए बाकी की रकम देने के लिए कुछ समय मांगा था. काफी समय बीतने के बाद भी जब बाकी के रुपए नहीं मिले तो आरोपियों को धमकाना शुरू किया गया. इसकी किसी ने रिकार्डिंग कर एसपी कुंवर अनुपम सिंह को भेज दी. इस पर इस एसपी ने सीओ छिबरामऊ को गोपनीय तरीके से जांच करने के निर्देश दिए थे. जांच में मामला सही पाए जाने पर एसपी ने थाना इंचार्ज मदन गोपाल गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. एसपी ने बताया कि एक मुकदमे की विवेचना में व्यक्तियों के नाम हटाने की शिकायत आई थी. मामले की जांच कराई गई तो प्रथम दृष्टया मामला सही पाया गया. इस वजह से थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया. आगे की जांच एएसपी डॉ. अरविंद कुमार को सौंपी है.

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