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गोरखपुर की बेटी श्रीति का कमाल, एशिया की टॉप 30 वैज्ञानिकों में हुईं शामिल

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Published : Apr 21, 2021, 6:50 PM IST

पराली और धान की भूसी के पैनल से इको फ्रेंडली कोविड-19 अस्पताल बनाने वाली गोरखपुर की बेटी श्रीति पांडे को फोर्ब्स पत्रिका ने एशिया की टॉप 30 मेधावियों में शामिल किया है. श्रीति ने कोरोना काल में महज 80 दिन में ही पटना के बीएफ आई अस्पताल परिसर में 7000 वर्ग फुट में नया कोविड-19 अस्पताल तैयार कर दिया.

गोरखपुर की बेटी श्रीति
गोरखपुर की बेटी श्रीति

गोरखपुर: पटना में बीते वर्ष महज 80 दिन में पराली और धान की भूसी के पैनल से इको फ्रेंडली कोविड-19 अस्पताल बनाने वाली गोरखपुर की बेटी श्रीति पांडे को दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने एशिया की टॉप 30 मेधावियों में शामिल किया है. 30 साल से कम उम्र की श्रेणी में श्रीति को इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में खेती के अपशिष्ट को बेहतर तरीके से प्रयोग करने को लेकर यह सम्मान मिला है.

श्रीति ने बनाया है इको फ्रेंडली कोविड-19 अस्पताल
लागत सिर्फ सवा करोड़ रुपये


श्रीति ने कोरोना काल में महज 80 दिन में ही पटना के बीएफ आई अस्पताल परिसर में 7000 वर्ग फुट में नया कोविड-19 अस्पताल तैयार कर दिया. इको फ्रेंडली अस्पताल की लागत सिर्फ सवा करोड़ आई. उन्होने पहला निर्माण एमजी इंटर कॉलेज में तीसरे तल पर 6000 वर्ग फुट में किया, जिनका तापमान अन्य कमरों के मुकाबले 5 डिग्री सेल्सियस कम पाया गया.

आदिवासियों के बीच गुजारा समय

कंस्ट्रक्शन इनोवेटर श्रीति पांडे ने वर्ष 2014 में बीटेक करने के बाद न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की. श्रीति अमेरिकी कंपनी में अच्छे वेतन पर जॉब कर रही थी, लेकिन देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति ने श्रीति को वापस गोरखपुर आना पड़ा. पिछले कई पीढ़ियों से परिवार के विभिन्न सदस्यों द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों से प्रेरणा लेकर श्रीति खंडवा में आदिवासियों के बीच जब समय गुजार रही थी तो यहां पराली जलता देख इसके इस्तेमाल का गुर सीखने वह चेक रिपब्लिक चली गई. वहां पराली और धान की भूसी और गन्ने के अपशिष्ट से बोर्ड बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद श्रीति ने स्ट्रक्चर को लिमिटेड कंपनी बनाई. जो विभिन्न निर्माणकार्यो में आम जन को सहूलियत के साथ पैसा भी बचाने का कार्य करेगा.

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गेहूं के डंठल, धान के पुआल का इस्तेमाल

इस संबंध में श्रीति के पिता वह प्रबंधक मनकेश्वर पांडे ने बताया कि गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे के कंप्रेस्ड एग्री फाइबर पैनल श्रुति ने बनाया है. इस पैनल से इको फ्रेंडली मकान तैयार करने पर लागत काफी काम आती है और उसकी आयु भी लंबी होती है. डंठल और पुवाल का निस्तारण न हो पाने की स्थिति में किसान उसे जला देते हैं. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो प्रभावित होती है, पर्यावरण भी दूषित होता है. इस प्रयोग के व्यवसाय के धरातल पर आते ही किसानों को फसलों के अवशेष से भी आय होगी. पर्यावरण और धरती भी सुरक्षित रहेगी.

देश के 40 फीसदी हिस्से में पराली बड़ी समस्या

मनकेश्वर पांडे ने बताया कि इको फ्रेंडली के साथ कार्बन मुक्त पैनल को यूपी, बिहार, पंजाब और हरियाणा की सरकार ने खूब सराहा था. वहीं सरकारों के साथ मिलकर काम भी कर रही हैं. पराली देश के 40 फीसदी हिस्से में बड़ी समस्या है, परियोजना को सरकारों और संस्थाओं का समर्थन मिला तो इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में वरदान साबित हो सकता है.

बाइक मनकेश्वर पांडे, श्रीति के पिता

श्रीति की मां और समाज सेविका पूर्वी ने बताया कि सुरु से ही श्रीति बड़ी ही मेधावी रही है और पिछले कई पीढ़ियों से यह परिवार लोगों की सहायता के साथ ही उन्हें शिक्षा के अधिकार से जोड़ता चला रहा है. ऐसे में श्रीति भी परिवार के इस कार्य से प्रेरित होकर देश-दुनिया और समाज को कुछ बेहतर देने के उद्देश्य से यह कार्य किया है. उनकी इस उपलब्धि से परिवार ही नहीं पूरा पूर्वांचल खुश है. बेटी और बेटों में भेदभाव करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि बेटियां किसी से कम नहीं. उन्हें अच्छे मार्गदर्शन और अच्छे परिवेश की जरूरत है. बेटियां खुद-ब-खुद नाम रोशन करेंगी.

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