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गोरखपुर में निषाद महाकुंभ से उठी निषाद आरक्षण की मांग, पूर्वांचल में हुआ दो फाड़

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Published : Jul 24, 2023, 6:53 PM IST

गोरखपुर में निषाद महाकुंभ के मौके पर निषाद आरक्षण की मांग उठी. चलिए जानते हैं इस बारे में.

Etv bharat
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गोरखपुर: देश में जाति आधारित आरक्षण को लेकर बड़े आंदोलन और बड़ी-बड़ी रैलियां हुई हैं. ऐसी ही एक रैली सोमवार को गोरखपुर में निषाद जाति को, दलित वर्ग में आरक्षण देने की मांग को लेकर आयोजित हुई. इसका नाम "निषाद महाकुंभ" रखा गया था. इस महाकुंभ में करीब 10,000 से अधिक निषाद समाज के लोगों ने पूर्वांचल के 10 जिलों से प्रतिभाग किया. इस पूरे आयोजन में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद जयप्रकाश निषाद की मुख्य भूमिका रही.

जय प्रकाश निषाद यह बोले.

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक निषाद समाज के बलबूते लोगों ने राजनीतिक सत्ता हासिल की. वह बोले कि राज्य सभा सदस्य रहते हुए सदन में निषाद आरक्षण की मांग को पूरी मजबूती से उठाया था. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लोकसभा सदस्य रहते हुए निषादों के आरक्षण और हक की बात करते रहे हैं. ऐसे में इस महाकुंभ के माध्यम से हम सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी जो वर्षों पुरानी और उचित मांग है उसको सरकार पूरा करें जिससे समाज का उत्थान हो सके और इन्हें लालच, लोभ में कोई भी ठगकर अपना राजनीतिक उल्लू न सीधा करें. उन्होंने कहा कि सरकार उनका साथ देती है तो निश्चित रूप से निषाद समाज भी उनके साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा होगा.

देखा जाय तो जयप्रकाश निषाद ने इस आयोजन के जरिए पूर्वांचल में निषाद जाति के लोगों को दो खेमे में बांट दिया है. एक खेमे की राजनीति करते हुए निषादों को अपने साथ जोड़कर डॉक्टर संजय निषाद ने निषाद पार्टी का गठन किया और आज वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उनके दो पुत्रों में एक सांसद और एक विधायक हैं. साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी गठबंधन के साथ आकर 18 सीटों पर चुनाव लड़ने में भी कामयाब हुए थे. इनमें से उनके 11 विधायक चुनाव जीते हैं लेकिन इनमें से निषाद बिरादरी का उनका एक भी विधायक नहीं शामिल है. यहां तक कि उनका बेटा भी बीजेपी के सिंबल पर चुनाव जीता है. इन बातों का इशारों- इशारों में उल्लेख करते हुए जयप्रकाश ने अपने समाज के लोगों को बताने और जगाने का कार्य किया कि ो आपके बलबूते अपनी राजनीतिक सत्ता और महत्वाकांक्षा को प्राप्त कर चुक हैं, वह आरक्षण के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं हुए. जब निषाद बिरादरी के बेटों को चुनाव लड़ाकर जिताकर भेजने का समय आया तो उस पर भी अडिग नहीं हुए. उन्होंने कहा कि आज निषाद पार्टी के जो भी विधायक चुने गए हैं उसमें अधिकांश बीजेपी के सिंबल पर जीते और कोई भी निषाद जाति का नहीं है. अगर निषादों की रहनुमाई करने वाला सच्चा सिपाही होता तो वह सदन में अपनी बिरादरी के बेटों को भेजने की बात करता जो उनकी समस्याएं उनके आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद करते तो सरकार भी उसको लेकर गंभीर होती.

इस निषाद महाकुंभ के आयोजन के पीछे सूत्रों की माने तो एक बात और भी निकल कर सामने आ रही है कि जयप्रकाश निषाद भारतीय जनता पार्टी से राज सभा सांसद रहे हैं. बीजेपी के कुछ लोग जयप्रकाश निषाद के माध्यम से निषादों का एक अलग गुट तैयार करना चाहते हैं जिससे संजय निषाद जो निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनका एनडीए पर दबाव कम हो, उनकी मनमानी न चलने पाए.

साथ ही निषादों के गंभीर और जरूरी मुद्दे को लेकर जब दूसरा गुट आवाज बुलंद करेगा तो संजय निषाद की भी परेशानी बढ़ेगी जैसा कि यह देखने को भी तत्काल मिला है. एक तरफ निषाद महाकुंभ का आयोजन गोरखपुर में हो रहा था तो डॉक्टर संजय निषाद लखनऊ की धरती छोड़कर दिल्ली पहुंच गए और उन्होंने दिन में प्रेस वार्ता कर अपनी पार्टी की नीतियों को सामने लाने का प्रयास किया. यही नहीं 21 जुलाई को निषाद महाकुम्भ की प्रेस वार्ता से पहले गोरखपुर में डॉ संजय निषाद ने सर्किट हाऊस में प्रेस वार्ता कर खून से पत्र अपने समाज के नाम लिख दिया. फिलहाल इस निषाद महाकुंभ से एक बात तो साफ हो गई है कि पूर्वांचल में अब यह बिरादरी दो खेमे में बंट गई है. एक की अगुवाई डॉक्टर संजय निषाद और दूसरी की अगुवाई जयप्रकाश निषाद के हाथों में है.

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