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यूं ही नहीं मिला 'CM सिटी' को महानगर का दर्जा

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Published : Nov 21, 2021, 12:00 PM IST

Updated : Nov 21, 2021, 12:12 PM IST

विधानसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में योगी कैबिनेट के गोरखपुर को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाने को अब लोग सियासी चश्मे से देख रहे हैं. इसके पीछे लोगों का तर्क है कि इस प्रस्ताव को पहले भी मंजूरी दी जा सकती थी. लेकिन आज जब चुनाव को बामुश्किल कुछ माह शेष बचे हैं तो फिर सियासी लाभ के लिए ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं. ताकि मतदाताओं को लुभाया जा सके.

यूं ही नहीं मिला CM सिटी को महानगर का दर्जा
यूं ही नहीं मिला CM सिटी को महानगर का दर्जा

हैदराबाद: सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को अब बामुश्किल कुछ माह शेष बचे हैं. इस बीच योगी कैबिनेट ने गोरखपुर को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. लेकिन प्रस्ताव के समय पर अब सवाल उठने लगे हैं. हालांकि, पश्चिम में गिरी पार्टी की साख की भरपाई को अब पूर्वांचल और अवध पर भाजपा ने ध्यान केंद्रित किया है. साथ ही मेट्रोपोलिटन सिटी के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से गोरखपुर में अब लाइट मेट्रो को चलाने का रास्ता भी साफ हो गया है.

वहीं, गोरखपुर में नगरीय सुविधाओं से लेकर औद्योगिक विकास और रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. खाद कारखाना (Fertilizer Factory Gorakhpur), एम्स (AIIMS), लाइट मेट्रो, लिंक एक्सप्रेस-वे(Link Expressway) की बुनियाद पर मेट्रोपोलिटन सिटी का दर्जा अब गोरखपुर (gorakhpur metropolitan city)की सूरत ही नहीं, बल्कि सीरत भी बदलने वाली है.

मेट्रोपोलिटन सिटी गोरखपुर

शहर के चारों ओर फोरलेन सड़कों की सुविधा के साथ ही गोरखपुर विकास प्राधिकरण से लेकर नगर निगम के प्रयासों से शहर का तेजी से विकास और विस्तार हो रहा है. वहीं, नगर निगम ने 32 गांवों को अपनी सीमा में शामिल कर लिया है और इन गांवों के विकास के लिए 200 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इधर, निगम के साथ ही गोरखपुर विकास प्राधिकरण को भी निर्माण कार्य की जिम्मेदारी मिली है.

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मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब जीडीए सभागार में पहली बैठक की तो उन्होंने सिटी को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने के लिए अधिकारियों को इसकी रूपरेखा तैयार करने को कहा था. इसके बाद एक के एक बाद योजनाओं का हकीकत में बदला जाना इसी दूरदर्शीता का नतीजा है.

वर्तमान में प्राणी उद्यान को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. एम्स और उर्वरक कारखाने का लोकार्पण आगामी 7 से 9 दिसंबर के बीच कभी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर सकते हैं तो वहीं, बीते कुछ सालों में यहां विकास के कई कार्य कराए गए हैं. जिसमें मुख्य तौर पर कौवाबाग अंडर पास, नंदानगर अंडर पास से लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस मरीजों के लिए 500 बेड के अस्पताल का लोकार्पण किया गया है.

इसके अलावा चार पांच सितारा होटल के साथ ही अब शहर को हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (Kushinagar International Airport)का निर्माण कराया गया, जिसका उद्घाटन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. गोरखपुर में सैलानियों की आमद की उम्मीद को देखते हुए अब नगर में व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आ रही हैं.

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मेट्रोपोलिटन सिटी गोरखपुर

वहीं, मेट्रोपोलिटन सिटी को लेकर नगर निगम, जलनिगम से लेकर आवास विकास विभाग भी अपनी कार्यशैली को बदलने को तैयार दिख रहे हैं. जीडीए जहां 46 अवैध कॉलोनियों को महायोजना 2031 के जरिए अवैध करने को लेकर कवायद में जुटा है तो नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रैकिंग में लंबी छलांग लगाई है.

पिछली बार 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में गोरखपुर नगर निगम को 226वीं रैंक मिली थी. लेकिन अबकी 144 रैंक की छलांग लगाते हुए 82वीं रैंक हासिल की है. इतना ही नहीं सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए सहजनवा क्षेत्र में जमीन की तलाश भी पूरी हो गई है.

जीडीए के उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने कहा कि गोरखपुर को महानगर क्षेत्र घोषित किए जाने से काफी बदलाव होंगे. जीडीए अपने विस्तारित क्षेत्र के विकास को लेकर पहले से ही कार्य योजना तैयार कर रहा है. अब इसमें और तेजी आ सकेगी.

मेट्रोपोलिटन सिटी गोरखपुर

अब चलेगी मेट्रो...

उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर को मेट्रोपोलिटन सिटी का दर्जा दे दिया है. बीते शुक्रवार को हुई कैबिनेट बाई सर्कुलेशन में नगर विकास विभाग की ओर से इस बाबत लाए गए प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई. वहीं, जानकारी के मुताबिक चूंकि गोरखपुर में मेट्रो ट्रेन चलनी है और इसके लिए किसी भी शहर में 40 लाख की आबादी के साथ उसे महानगर का दर्जा मिला होना जरूरी होता है. इस नाते यह निर्णय लिया गया.

रेल ट्रांजिट परियोजना में दो कारीडोर प्रस्तावित किए गए हैं. पहला कारीडोर श्यामनगर से मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तक बनेगा. इसकी लंबाई 15.14 किमी. होगी. इस कारीडोर में 14 स्टेशन होंगे. दूसरा कारीडोर बीआरडी मेडिकल कॉलेज से नौसढ़ चौराहे तक बनेगा.

इसकी लंबाई 12.70 किमी होगी. इस कारीडोर में 13 स्टेशन होंगे. डीपीआर के मुताबिक प्रत्येक एक किलोमीटर पर एक स्टेशन बनाया जाएगा. जिससे आने जाने वाले यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए आसानी से मेट्रो की सेवा मिल सके.

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Last Updated :Nov 21, 2021, 12:12 PM IST

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