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किसानों को मिलेगी सौगात, आलू से चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री का प्रभारी मंत्री करेंगे लोकार्पण

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Published : Nov 11, 2021, 9:59 AM IST

फिरोजाबाद जिले में आलू उत्पादक किसानों की वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हो जाएगी. जिले के शिकोहाबाद इलाके के दिखतौली गांव में आलू प्रसंस्करण और चिप्स बनाने की इकाई स्थापित की गई है. जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह आज इसका लोकार्पण करेंगे.

चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री का लोकार्पण
चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री का लोकार्पण

फिरोजाबाद: जिले में आलू उत्पादक किसानों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी हो गई है. जिले के शिकोहाबाद इलाके के दिखतौली गांव में आलू प्रसंस्करण और चिप्स बनाने की इकाई स्थापित की गई है. ये गुरुवार से क्रियाशील हो जाएगी. जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह आज इसका लोकार्पण करेंगे.

खास बात यह है इस इकाई का संचालन एक स्वयं सहायता समूह की करीब 650 महिलाओं द्वारा किया जाएगा. यह इकाई पूरे प्रदेश में इस मॉडल में स्थापित होने वाली पहली इकाई होगी. इसकी स्थापना पर करीब 60 लाख रुपये का खर्चा हुआ है. फिलहाल इस प्लांट में 50 किलो आलू का प्रति घंटे के हिसाब से प्रोसेसिंग का कार्य होगा.

जिले की गिनती प्रमुख रूप से आलू उत्पादक क्षेत्र में की जाती है. यहां का आलू देश भर की मंडियों में बिकने के लिए जाता है. कभी-कभी आलू पर छाई मंदी के कारण किसानों को अपना आलू फेंकना भी पड़ता है. ऐसे में लंबे समय से इस बात की मांग की जा रही थी कि यहां आलू से चिप्स बनाने वाली एक फैक्ट्री को खोला जाए. लगभग हर चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा भी बनता रहा है. कई जनप्रतिनिधि तो इस मुद्दे पर चुनाव भी जीते.

कांग्रेस नेता राजबब्बर ने तो इस जिले में आलू से चिप्स बनाने वाली फैक्ट्री को लगवाने का वायदा भी किया था और वह सांसद भी बने. यह बात दीगर है कि उनकी यह घोषणा परवान नहीं चढ़ सकी. इन सबके बीच अब एक राहत भरी खबर यह है कि फिरोजाबाद के आलू उत्पादक किसानों की बरसों पुरानी यह मांग पूरी हो चुकी है. शिकोहाबाद इलाके के एक दिखतौली गांव में सरकार के प्रयास से आलू से चिप्स बनाने वाले एक प्लांट की स्थापना की जा चुकी है. मशीनें भी लग चुकी हैं. इसकी डिजाइन भी लांच हो चुकी है, जो आर्च के नाम से है.

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इस प्लांट का लोकार्पण जिले के प्रभारी मंत्री आज करेंगे. यह प्लांट अपने आप में अलग है. इसकी वजह यह है कि इसका संचालन ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत साढ़े छह सौ महिलाओं के समूह द्वारा किया जाएगा. इसकी जो अनुमानित लागत है वह 60 लाख के करीब आएगी. सभी महिलाओं की इसमें बराबर भागीदारी आएगी. इस प्लांट की स्थापना में सरकारी सहायता भी ली गई है.

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