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डाकू के बढ़ रहे खौफ के चलते 'शेरनी' ने फिर उठाई बंदूक

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Published : Feb 26, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 2:22 PM IST

चित्रकूट जिले में डेढ़ लाख के इनामी डाकू गौरी यादव ने त्रिस्तरीय चुनाव के पहले लोगों में अपनी हनक पैदा करने के लिए उन पर सितम ढाने शुरू कर दिए हैं. वहीं 'पाठा की शेरनी' रामलली ने गांव वालों की रक्षा के लिए अपनी बंदूक उठा ली है. साथ ही कहा है कि अगर गौरी यादव की बंदूक आग उगलेगी तो मेरी भी बंदूक आग उगलेगी, जो उसके शरीर में जाकर ही शांत होगी.

patha ki sherni ramlali
पाठा की शेरनी ने फिर उठाई बंदूक.

चित्रकूट : जिले के हरिजनपुर गांव में रहने वाली 'पाठा की शेरनी' नाम से विख्यात रामलली ने लगातार वारदातें कर रहे डेढ़ लाख के इनामी डाकू गौरी यादव से ग्रामीणों की रक्षा के लिए अपनी बंदूक निकाल ली है. रामलली ने कहा है कि अगर गौरी यादव की बंदूक आग उगलेगी तो मेरी भी बंदूक दूध नहीं, बल्कि आग ही उगलेगी. यह आग उसके शरीर में जाकर ही शांत हो सकेगी.

स्पेशल रिपोर्ट...

कौन है पाठा की शेरनी
बात 17 मई साल 2001 की है, जब पाठा में डाकू गैंग ने सतना के बैंक मैनेजर जगन्नाथ तिवारी के 24 वर्षीय बेटे मनीष का अपहरण कर लिया. डाकू युवक को हरिजनपुर लेकर आए. किसी तरह युवक ने खुद को छुड़ाया और भागकर रामलली की टूटी-फूटी झोपड़ी में आ पहुंचा. युवक को घबराया देख रामलली ने उससे उसका हाल पूछा. तभी युवक ने रामलली को 'मम्मी मुझे बचा लो' कह कर रोने लगा और पूरी कहानी बताई. युवक की कहानी जानकर रामकली को उस पर दया आ गई. उसने तय किया वह दोबारा युवक को डाकू को नहीं सौंपेगी. रामलली ने गांव के आसपास की महिलाओं को मनाया और डाकुओं से लड़ने के लिए तैयार किया. करीब 25 से 30 की संख्या में हथियारबंद डाकुओं ने रामलली के घर धावा बोलकर युवक को वापस करने को कहा. इस पर रामलली को कुछ नहीं सूझा. वह हाथों में हंसिया और कुल्हाड़ी लेकर डाकू पर दौड़ते हुए कूद पड़ी.

पाठा की शेरनी.

इस तरह पड़ा 'पाठा की शेरनी' नाम
रामलली को डाकुओं से लड़ता देख महिलाओं ने भी उन पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया. इसके बाद डाकू वापस बीहड़ में भाग गए. इस घटना के बाद रामलली चर्चा में आई. साथ ही उस वक्त रामलली अखबारों की सुर्खियों में छा गई. तत्कालीन जिलाधिकारी जगन्नाथ ने इस सराहनीय कार्य के लिए 6 दिसंबर 2001 को रामलली को एक लाइसेंस बंदूक उपहार में देकर सम्मानित किया और उनके साथ ही ग्रामीणों को बंदूकों के लाइसेंस मुहैया कराए. साथ ही रामलली को 'पाठा की शेरनी' नाम से भी नवाजा, जिसके बाद आज भी उसके घर के दरवाजे पर पाठा की शेरनी नाम खुदा हुआ है.

पाठा की शेरनी.

उत्तर प्रदेश सरकार ने रामलली की इस बहादुरी के लिए तत्कालीन राज्यपाल ने 8 मार्च 2002 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर निमंत्रण देकर बुलवाया. यहां राज्यपाल ने रामलली को इस बहादुरी के लिए सम्मानित किया. रामलली आज वृद्ध हो चुकी हैं. उनके अंदर वही हिम्मत और जज्बा आज भी बरकरार है.

पाठा की शेरनी.
कौन है डाकू गौरी यादव
चित्रकूट के पाठा के बीहड़ों का डेढ़ लाख का इनामी डाकू गौरी यादव साल 2003 से वारदातें करता आ रहा है. 100 से भी ज्यादा वारदातों को अंजाम दे चुके गौरी यादव के कारनामे बहिलपुरवा थाने में कई बार लिखे जा चुके हैं. चुनाव के समय प्रत्याशियों से पैसे लेकर उनके पक्ष में प्रचार करना और दूसरे प्रत्याशी को डराना धमकाना इसका पेशा रहा है. इसकी पत्नी निवर्तमान प्रधान रह चुकी है. हाल ही में त्रिस्तरीय चुनावों की घोषणा के बाद इस डाकू गैग की जंगलों और गांवों में गतिविधियां तेज हो गई हैं.

हाल की घटनाएं

  • 1 जनवरी 2021- दादरी-देवांगना संपर्क मार्ग का निर्माण करवा रहे ठेकेदार पूर्व ब्लॉक प्रमुख और भाजपा के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश पांडेय से कम करवाने के बदले 7 लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई.
  • 4 जनवरी 2021- वन विभाग द्वारा मनरेगा से निर्माण किए जा रहे चैकडेम का कार्य रुकवा कर मुनीम सहित मजदूरों की पिटाई की गई और डेढ़ लाख की रंगदारी मांगी गई.

इन घटनाओं को देखते हुए रामलली ने भी अपनी बंदूकें निकाल ली है. रामलली का कहना है कि मैं डाकू गैंग से हरहाल में गांव वालों की रक्षा करुंगी. धर्म की लड़ाई है. उसकी बंदूक आग उगलेगी तो मेरी भी बंदूक दूध नहीं, बल्कि आग उगलेगी. वह आग डाकू के शरीर में जाकर ही शांत हो सकेगी.

Last Updated :Feb 27, 2021, 2:22 PM IST

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