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बस्ती: योगी के मंत्री का दावा, मछली पालन में यूपी बनेगा आंध्र प्रदेश से बेहतर

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Published : Jul 4, 2022, 12:32 PM IST

मछली पालन में यूपी मिनी आंध्र प्रदेश बनने जा रहा है. प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि 9 जुलाई 2022 को विकास भवन सभागार में मछुआरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा.

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मत्स्य विकास मंत्री संजय निषाद

बस्ती: यूपी सरकार के मत्स्य मंत्री ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश मछली पालन के मामले में आंध्र प्रदेश से बेहतर होगा. इसके लिए सरकार ने पूरा खाका और रोड मैप तैयार कर लिया है. उन्होंने मछुआरों से मछली पालन की नई तकनीक अपनाकर आय बढ़ाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गयी है. इस योजना से समुदाय के लोगों को जोड़ा जाएगा.

जानकारी देते संजय निषाद

डॉ. संजय निषाद ने कहा कि मछली पालन में यूपी मिनी आंध्र प्रदेश बनेगा. इसके लिए मछुआरे कड़ी मेहनत करें. जहां भी उनकी भूमि हो वहां तालाब बनाएं. मछली पालन शुरू करें. सरकार अनुदान देगी. समाज को परंपरागत पेशा को आगे बढ़ाना होगा, इसी में रोजगार के साथ शिक्षा भी शामिल होगा. 9 जुलाई 2022 को विकास भवन सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा.

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 जुलाई 2022 है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत छोटे और बड़े मछुआरे 10 हजार से लेकर 25 लाख तक 60 प्रतिशत अनुदान पर व्यवसाय कर सकते हैं. आरबीआई को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है कि, किसानों की भांति मत्स्य पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दें. चाहे नाव, जाल या फिर पोखरा हो सबका बीमा होगा. 25 लाख की लागत इकाई पर सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति व महिला को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. इसी प्रकार रुपये 50 लाख की इकाई मत्स्य बीज हैचरी निर्माण पर भी अनुदान दिया जाएगा.

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लघु व सीमांत मत्स्य पालक व्यक्तिगत लाभार्थी अधिकतम दो हेक्टेयर की सीमा तक लाभ प्राप्त कर सकेंगे. उन्होंने समुदाय के लोगों से कहा कि, किराए पर भी भूमि लेकर अनुदान के जरिये व्यवसाय करें. मंत्री ने कहा कि सपा, बसपा व कांग्रेस का साथ देने पर समुदाय के लोग पीछे गए, जबकि भाजपा का साथ दिए तो आगे बढ़े. तालाब व पोखरों को जीवित किया जा रहा है. कहा कि बैंकों में कोई समस्या न हो इसके लिए बैंक अधिकारियों की बैठक करके उन्हें निर्देश दिए गए हैं. अन्य समस्याओं के निस्तारण के लिए 16 कमेटियां गठित की गई हैं.

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