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बलरामपुर के कई गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित, सहायता न मिलने से ग्रामीण परेशान

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Published : Aug 18, 2021, 10:16 AM IST

यूपी के बलरामपुर में राप्ती नदी (Rapti river) खतरे के निशान से कई सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नेपाल से आने वाले पानी से तराई समेत कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं. जिले के सैंकड़ों गांव बाढ़ के पानी में जलमग्न हो चुके हैं.

बलरामपुर में बाढ़ का कहर जारी.
बलरामपुर में बाढ़ का कहर जारी.

बलरामपुर:जिले में राप्ती नदी (Rapti river) का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच चुका है. नदी अपने जलस्तर 103.620 से 105.020 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नेपाल से आने वाले पहाड़ी नालों के पानी से तराई समेत तमाम इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं. जिले भर के सैंकड़ों गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. कई गांवों में पानी भरा हुआ है. जिले के कई मुख्य मार्गों पर जलभराव के कारण आवागमन बाधित है. जिला प्रशासन द्वारा आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए लोगों को सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है. जिले के तीनों तहसीलों में 121 नावों और प्रत्येक नाव पर दो-दो मल्लाहों को लगाया गया है, जिससे आवागमन की समस्या को दूर किया जा सके. कुछ गांवों को जिला प्रशासन द्वारा खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करवाई जा रही है.

बलरामपुर में बाढ़ का कहर जारी.



जिले के तुलसीपुर से गौरा जाने वाले मुख्य मार्ग पर पानी चल रहा है. यहां एक दतरंगवा डिप है, जहां पानी का बहाव इतना तेज है कि लोगों का आवागमन बंद हो चुका है. यह मार्ग तुलसीपुर और गौरा क्षेत्र के लोगों के लिए लाइफ लाइन का काम करता है. इसके चालू रहते तुलसीपुर के लोग गौरा करीब 30 से 45 मिनट के भीतर पहुंच जाते थे. वहीं इसके बन्द होने के बाद अब लोगों को तुलसीपुर से पहले बलरामपुर जाना पड़ता है. फिर बलरामपुर मुख्यालय से गौरा आना पड़ता है. ऐसे में करीब डेढ़ से 2 घंटे का वक्त लगता है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए प्रशासन ने ग्रामीणों के लिए एक सरकारी नाव की व्यवस्था की है, जो लोगों को इस पार से उस पार पूरे दिन करती है, लेकिन यहां के ग्रामीणों व मल्लाहों का कहना है कि जो नाव उपलब्ध कराई गई है, वह बेहद छोटी है. यहां बड़े नाव की आवश्यकता है, जिससे एक बार में कई लोगों को इस पार से उस पार पहुंचाया जा सके.


जिला मुख्यालय और ललिया को जोड़ने वाला मार्ग भी पहाड़ी नालों में आई बाढ़ के कारण बुरी तरह प्रभावित है. ललिया और हरिहरगंज डीप पर पानी चल रहा है. बहाव के कारण लोगों का आना जाना बंद है. स्थानीय निवासियों को कई किलोमीटर का चक्कर लगाकर लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ रहा है. वहीं, मथुरा-ललिया मार्ग भी बुरी तरह से प्रभावित है. यहां पहाड़ी नालों के कारण बाढ़ की समस्या जस की तस बनी हुई है. इस इलाके के कई गांव बाढ़ के कारण घिरे हुए हैं.


वहीं पर खरझार नाले पर बने एक बांध के कट जाने के कारण महाराजगंज तराई इलाके के दर्जनों गांव डूब क्षेत्र में परिवर्तित हो गए हैं. वहीं, राप्ती नदी के बढ़े जलस्तर के कारण उतरौला और तुलसीपुर तहसील के कई गांव बड़े पैमाने पर प्रभावित नजर आ रहे हैं. यहां पर कई गांव टापू बन चुके हैं. लोगों को खाने-पीने और इलाज जैसी मूलभूत सुविधाओं की दिक्कत हो रही है.


बाढ़ से प्रभावित लोगों को उपलब्ध कराई जा रही सहायता के बारे में जानकारी देते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि प्रभावित लोगों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए जिला आपदा विभाग द्वारा एनडीआरएफ और पीएसी की रेस्क्यू टीम काम कर रही है. इसके अतिरिक्त कई गांवों में लोगों को खाद्य सामग्री वितरित की जा रही हैं. जिला प्रशासन द्वारा अभी तक बड़े पैमाने पर प्रभावित गांवों को 121 नाव उपलब्ध करवाया गया है. कटान रोकने के लिए बाढ़ खंड के अधिकारी तत्परता से कार्य कर रहे हैं.

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