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बहराइच: सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल पेश करता है दरगाह का बसंत मेला

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Published : Feb 4, 2020, 5:14 AM IST

उत्तर प्रदेश के बहराइच में बसंत पंचमी के अवसर पर तीन दिवसीय मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. जहां पंडालों में एक ओर पूजा होती है वहीं दूसरी ओर फातिहा पढ़ा जाता है.

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बसंत पंचमी के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन.

बहराइच:जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाला बसंत पंचमी का तीन दिवसीय मेला सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. यहां सभी धर्मों के लोग अपनी धार्मिक रीति रिवाज और परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

बसंत पंचमी के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनी हुई है. यहां बसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. यहां हजारों की तादाद में हिंदू श्रद्धालु श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं. सभी धर्म के लोगों को अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा अर्चना करने और कर्म कांड करने की पूरी इजाजत होती है.

सभी धर्म के अनुसार होता है कर्मकांड
यहां सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्मकांड करने की पूरी छूट है. यहां किसी को किसी तरह की पाबंदी नहीं है. पंडालों में जहां एक और पूजा होती है. तो वहीं दूसरी ओर फातिहा पढ़ा जाता है. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. दरगाह में त्रिशूल गाड़ कर बसंत पंचमी की पूजा की जा रही है. यहां बसंत पंचमी के मेले में प्रसाद के रूप में खिचड़ी फल और सब्जियों की डालियां चढ़ाई जाती है. यहां यह मेला 1000 से अधिक सालों से मनाया जा रहा है.

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सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर बसंत पंचमी का मेला एक हजार सालों से लग रहा है. जहां सभी धर्मों के श्रद्धालु अपनी अपनी रीति रिवाज और धार्मिक परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. श्रद्धालु अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हैं. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम दिखाई देता है. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो इसलिए मेले परिसर में पेयजल प्रकाश और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था की जाती है.
-सैयद शमशाद अहमद, अध्यक्ष, दरगाह प्रबंध कमेटी

Intro:एंकर। बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाला बसंत पंचमी का तीन दिवसीय मेला सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. यहां सभी धर्मों के लोग अपनी अपनी धार्मिक रीति रिवाज और परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. यहां सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्मकांड करने की पूरी छूट है. यहां किसी पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है. यहां पंडालों में जहां एक और पूजा होती है. तो वहीं दूसरी ओर फातिहा पढ़ा जाता है. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है.


Body:वीओ-1- बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनी हुई है. यहां बसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. यहां हजारों की तादाद में हिंदू श्रद्धालु श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं. यहां सभी धर्म के लोगों को अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा अर्चना करने और कर्म कांड करने की पूरी इजाजत होती है. यह है दरगाह का वह नजारा जहां त्रिशूल गाड़ कर बसंत पंचमी की पूजा की जा रही है. इसी पंडाल में जहां एक और पूजा चल रही है. वहीं दूसरी ओर मुजाहिर फातिहा करते नजर आ रहे हैं. यहां बंसल बसंत पंचमी के मेले में प्रसाद के रूप में खिचड़ी फल और सब्जियों की डालियां चढ़ाई जाती है. यहां यह मेला 1000 से अधिक सालों से मनाया जा रहा है. दरगाह प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष शमशाद अहमद एडवोकेट का कहना है कि सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर बसंत पंचमी का मेला 1000 से अधिक सालों से लग रहा है. जहां सभी धर्मों के श्रद्धालु अपनी अपनी रीति रिवाज और धार्मिक परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. श्रद्धालु अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हैं. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम दिखाई देता है. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो इसलिए मेले परिसर में पेयजल प्रकाश और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था की जाती है. इस मेले में जेठ मेले का ऐलान किया जाता है.
बाइट-1- महिला श्रद्धालु 2-मुजाहिर 2-सैयद शमशाद अहमद अध्यक्ष दरगाह प्रबंध कमेटी


Conclusion:सैयद मसूद कादरी
94 15 15 1963
बहराइच

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