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कारागार मंत्री ने बंदियों संग किया संवाद और सुनी 'मन की बात', बोले- ऐसा हुनर सीखें, जिससे मिले रोजगार

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 27, 2023, 9:44 PM IST

आजमगढ़ जिला जेल में कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बंदियों संग (Dharamveer Prajapati interacted with prisoners) संवाद कर मन की बात सुनी. मंत्री ने कैदियों को सुझाव दिया कि कोई ऐसा हुनर जरूर सीखें, जिससे खुद को स्वरोजगार के काबिल बना सकें.

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कारागार मंत्री ने बंदियों संग किया संवाद

कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने मीडिया से की बात

आजमगढ़: जिले में उत्तर प्रदेश के कारागार और होमगार्ड्स राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने सोमवार को जिला जेल में निरुद्ध बंदियों के साथ संवाद किया. संवाद से पहले उन्होंने बंदियों के साथ बैठकर 'मन की बात' सुनी. संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि आपकी एक गलती की वजह से बाहर आपके परिवार को कौन-कौन सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, इसका आप लोगों को अंदाजा भी नहीं है. कोई भी परिवार आपकी बहन या बेटी को शादी के लिए स्वीकार नहीं करता. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी-विवाह तक समस्या बन जाती है. उन्होंने बंदियों से अपील की कि आगे से ऐसी कोई गलती न करें, जिससे आपको दोबारा जेल आना पड़े.

कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि जेल में रहते हुए आप स्वयं को कौशल विकास से जोड़ सकते हैं. कोई हुनर सीख सकते हैं, जिससे कि बाहर जाकर आप कोई छोटा-मोटा रोजगार कर सकें और अपने परिवार का सहारा बन सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि आप अपनी बैरकों में रामायण पाठ, हनुमान चालीसा या अपने-अपने हिसाब से कोई भी धार्मिक ग्रंथ का पाठन करें. इससे आपकी सोच में सकारात्मक आएगी और आप निगेटिव बातों से दूर रहेंगे.

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कारागार मंत्री ने कहा कि आप एक अच्छे नागरिक बनकर जेलों से बाहर जाएं और प्रयास करें कि दोबारा ऐसी कोई गलती न हो, जिससे कि आपको दोबारा जेल में आना पड़े. इस दौरान बंदियों ने मंत्री जी की बातों से सहमति जताते हुए आश्वासन दिया कि एक अच्छा नागरिक बनकर ही वो जेलों से बाहर निकलेंगे.

मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने चेकिंग में पाया है कि ज्यादातर कैदी 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं. कम से कम वह अपने परिवार का भविष्य तो होते ही हैं. एक बार जेल जाने के बाद कोई भी उनके परिवार से संबंध नहीं रखना चाहता है. इसका एहसास उन कैदियों को कराया गया. इसके साथ ही कैदियों को कौशल विकास मिशन से भी जोड़ा जा रहा है. क्योंकि, न्यायालय की प्रक्रिया से बाहर आने के बाद कोई जल्द उन्हें नौकरी नहीं देता. इसलिए, कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षण प्राप्त कर वह स्व रोजगार कर सकते हैं.

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