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अब दुनिया में आगरा के लेदर फुटवियर का बजेगा डंका, मिला जीआई टैग

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Published : Aug 8, 2023, 11:01 PM IST

अब दुनिया में आगरा के लेदर फुटवियर का डंका बजेगा.आगरा के लेदर फुटवियर और जलेसर मेटल क्राफ्ट सहित प्रदेश के दो शिल्प बौद्धिक सम्पदा अधिकार में भौगोलिक संकेत जीआई के क्षेत्र में शामिल हुए हैं.

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आगरा के लेदर फुटवियर को मिला जीआई टैग

आगरा :उत्तर प्रदेश को एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. आगरा के लेदर फुटवियर और जलेसर मेटल क्राफ्ट सहित दो उत्पादों को जीआई टैग मिला है. अब तक प्रदेश के कुल 54 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि, नाबार्ड उप्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश के 2 हैंडीक्राफ्ट को जीआई टैग का दर्जा मिला है. इनमें आगरा का लेदर फुटवियर और एटा का मेटल क्राफ्ट शामिल है.

जानकारी मिलते ही बधाई का सिलसिला :जैसे ही आगरा के लेदर फुटवियर को बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शामिल करने की सूचना आगरा के उद्यमियों को हुई, तो इस मुहिम में शामिल एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर को इस उपलब्धि के लिए बधाई देने सिलसिला शुरू हो गया. एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि एफमेक टीम इसके लिए पिछले 3 साल से इसकी कानूनी प्रक्रिया के हर पहलू पर बारीकी से मेहनत कर रही थी. इसमें जूते के इतिहास को संकलित करने से लेकर चमड़ा शोधन का इतिहास, फुटवियर की प्रचीनतम निर्माण पद्धतियों से लेकर आधुनिक निर्माण विधियों का विश्लेषण किया गया था.



इनकी रही अहम भूमिका:एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि, जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त द्विवेदी के मार्ग दर्शक में इसकी प्रभावी विधिक कार्यवाही आगे बढ़ाई गई. इसमें एफमेक के प्रदीप वासन, राजीव वासन, रूबी सहगल, गोपाल गुप्ता, ललित अरोड़ा, कैप्टन अजित सिंह राणा, एडमिन चंद्रशेखर जीपीआई की अहम भूमिका रही. विख्यात शू डिजाइनर देवकी नंदन सोन ने आगरा के जूते का कई पीढ़ियों का इतिहास संकलित किया. इसके अतरिक्त शिल्पियों के रूप में महेश कुमार, देवकी प्रसाद आज़ाद और स्व. भरत सिंह पिप्पल के कौशल का इस कार्य को पूर्ण करने में भरपूर सहयोग रहा.

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शिल्पी, ट्रेडर्स, मैन्यूफैक्चरर्स और निर्यातक होंगे लाभान्वित:आगरा लेदर फुटवियर के लिए आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एण्ड एक्सपोटर्स चैम्बर एफमेक ने जीआई के लिए दिसम्बर 2020 में आवेदन किया था. इसके लिए एक लम्बी कानूनी प्रक्रिया चली. जिसके उपरांत आगरा कके शूज को जीआई टैग प्राप्त हुआ है. इससे आगरा में रहने वाले सभी शिल्पी, ट्रेडर्स, मैन्यूफैक्चरर्स, निर्यातक लाभान्वित होंगे. उप्र का यह 53 वां उत्पाद है. जिसे जीआई टैग मिला है.

एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर बताते हैं कि आगरा के शूज को जीआई टैग मिलने से आने वाले समय में व्यापक रोजगार के साथ साथ निर्यात में वृद्धि होगी. आत्मनिर्भर भारत अभियान में आगरा लेदर फुटवियर अपनी मजबूत भागीदारी निभाएगा. रॉ मैटरियल डिपो, सीएफसी, विशेष टूलकिट ही शिल्पियों के प्रशिक्षण का भी मार्ग प्रशस्त होगा. अन्य विशेष योजनाओं की शुरूआत होगी. कई नई परियोजनाओं को शुरू करने में आर्थिक सहयोग प्राप्त होने के साथ ही विदेशों में विशेष प्रदर्शिनियां, जीआई मेला एवं इससे जुड़े चर्म शिल्पियों के लिए विकास का एक नया कानूनी रास्ता भी खुल गया है. अब आगरा निश्चित ही विश्व की फुटवियर कैपिटल बनेगा और निर्यात में एक बड़ी भूमिका निभाएगा.

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