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ज्ञानवापी विवाद पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती बोले-पूरा काशी ही शिवलिंग है

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Published : Jun 1, 2022, 7:29 PM IST

वाराणसी में चार दिवसीय दौरे पर पहुंचे गोवर्धनपीठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Jagatguru Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने पूरे काशी को शिवलिंग बताया.

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गोवर्धनपीठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

वाराणसी:गोवर्धनपीठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Jagatguru Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) चार दिवसीय दौरे पर काशी पहुंचे हैं. अस्सी घाट स्थित दक्षिणामूर्ति मठ में वह प्रवास करेंगे और सनातन धर्म के विषय पर चर्चा भी करेंगे. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि ताजमहल शिवालय और मक्का मक्केश्वर महादेव हैं. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर कहा कि 'जो फव्वारा बताया जा रहा है, वह शिवलिंग है. पूरा काशी एक शिवलिंग है. स्कंद पुराण और काशी खंड पढ़िए, पूरे काशी का नाम ही शिवलिंग है.'

मीडिया से बात करते गोवर्धनपीठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती.
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि 'कोई भी देश कई वर्षों तक परतंत्र क्यों ना रहा हो. मानवाधिकार द्वारा उसे स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त होता है. हमारी प्रशस्त बिंदुओं को मानव अधिकार का हनन कर और अतिक्रमण कर उसे नष्ट किया. अब हम स्वतंत्र भारत में हैं. उन सभी बिंदुओं को हम मानवत स्थापित करें यह मानवाधिकार के अंतर्गत आता है. कोई भी परम शक्ति हमको इससे वंचित नहीं कर सकती. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में सर्वोच्च निर्णय शंकराचार्य का होता है.'इसे भी पढ़ेंःज्ञानवापी विवादः लीक वीडियो पर बोले हरिद्वार के संत, मुस्लिम पक्ष को छोड़ देना चाहिए स्थान


शंकराचार्य ने आगे कहा कि 'मुसलमान सज्जनों से हमारा आग्रह है कि उनके पूर्वजों ने जो कुछ भी मानव अधिकार का अतिक्रमण करके कदम उठाया, उसको आदर्श ना माने. रहीम और रसखान के जीवन की तरह वे स्नेह का परिचय देकर हम हमारे साथ मिलकर रहें. मोहम्मद साहब के पूर्वज कौन थे? ईसा मसीह के पूर्वज कौन थे? डंके की चोट पर सनातनी के पूर्वज सनातन वैदिक हिंदू थे. हिंदुओं को काफिर कहने का अर्थ अपने पूर्वजों को ही काफिर कहना होता है.


शंकराचार्य ने अपने भविष्यवाणी के सवाल पर कहा कि 'मेरी भविष्यवाणी सत्य होती है. मैंने कहा था कि रामसेतु नहीं टूटेगा, नहीं टूटा. अयोध्या में राम मंदिर के पास मस्जिद नहीं बनेगा, नहीं बना. आज अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. पीएम मोदी और सीएम योगी इसका श्रेय लेना चाहिए, मुझे कोई श्रेय नहीं चाहिए. लेकिन देखना चाहिए अगर मैंने रामालय पर हस्ताक्षर कर दिया होता तो पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (Former Prime Minister Narasimha Rao) के शासनकाल में मंदिर और मस्जिद का निर्माण आमने-सामने हो गया होता.'

शंकराचार्य ने कहा कि 'ताजमहल का तेजो महालय नाम था, जिसके कागजात जयपुर घराने के पास आज भी हैं. वह शिवालय था. जिसको मक्का कहते हैं, वह मक्केश्वर महादेव हैं. प्रधानमंत्री की विश्व स्तर पर ख्याति है. लेकिन वह धार्मिक आध्यात्मिक शक्ति का नेतृत्व अपने हाथ में न लें. अनुगमन करते हुए कार्य करें.'

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