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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण: वादी संख्या 2 से 5 तक की सुनवाई पूरी, 18 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

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Published : Jul 15, 2022, 8:03 AM IST

Updated : Jul 15, 2022, 6:34 PM IST

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी जिला जज के कोर्ट में चल रही सुनवाई शुक्रवार को पूरी हो गई. कोर्ट इस मामले की पहली वादी राखी सिंह की याचिका पर 18 जुलाई को सुनवाई करेगा.

gyanvapi masjid hearing
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वाराणसी : ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश पीट पर चल रही सुनवाई शुक्रवार खत्म हो गई. सुनवाई पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष की तरफ से वादी संख्या 2 से लेकर 5 तक यानि सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने अपनी दलीलें कोर्ट में रखीं. अब सोमवार को इस मामले की पहली वादी राखी सिंह के वकील कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे. राखी सिंह के वकील द्रारा पक्ष रखने के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील इस पर काउंटर पेश करेंगे. इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 18 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है.

गौरतलब है कि 12 जुलाई को मुस्लिम पक्ष ने इस प्रकरण पर अपनी बहस पूरी की थी. उसके बाद से लगातार हिंदू पक्ष अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रख रहा है. गुरुवार को भी सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कानून के मुताबिक दलीलें पेश करते हुए ज्ञानवापी परिसर को मस्जिद मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना था यह हमारे देवता की संपत्ति है और देवता अमर होते हैं. इसलिए उनकी संपत्ति किसी और की नहीं हो सकती है. इसलिए हमें वहां पूजा का अधिकार दिया जाए. वहीं दूसरी तरफ प्रतिवादी पक्ष इस प्रकरण को सुनवाई योग्य न बताकर खारिज करने की मांग रहा है. आज भी प्रतिवादी पक्ष की तरफ से प्रकरण को सुनवाई योग्य नहीं बताया गया. इस पर वादी पक्ष के अधिवक्ता की तरफ से जिला जज के सामने यह बातें रखी गई कि वक्फ एक्ट के मुताबिक यदि कोई जगह नॉन मुस्लिम है, तो उस पर यह एक्ट अप्लाई ही नहीं होता है. इसके अलावा 1991 के वर्शिप एक्ट का भी ज्ञानवापी मामले में कोई लेना-देना ही नहीं है.

जानकारी देते अधिवक्ता

वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आज उन्होंने कोर्ट में अपनी बहस पूरी कर ली है. 4 दिनों के अंदर कोर्ट में तमाम पुराण, वेद, उपनिषद से लेकर वक्फ लॉ और श्री काशी विश्वनाथ एक्ट पर अपनी चर्चा को आगे बढ़ाया गया. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि वक्फ लॉ के साथ श्री काशी विश्वनाथ एक्ट के बारे में जानना बेहद जरूरी है. इसलिए उन्होंने कोर्ट में खुलकर अपनी बात रखी है. श्री काशी विश्वनाथ एक्ट के अंतर्गत ज्ञानवापी परिसर की जमीन भी उन्हीं के क्षेत्र में आती है. आज भी वहां पर मंदिर के निशान मौजूद हैं. यदि वह पूरी तरह से मस्जिद का हिस्सा होता, तो नीचे के हिस्से को क्यों व्यास जी के परिवार को दिया जाता. व्यास जी उसमें पूजा करते थे. मस्जिद में व्यास जी पूजा कैसे सकते हैं, यह सवाल भी बड़ा है. इन्हीं बातों को अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट के समक्ष रखा.

Last Updated : Jul 15, 2022, 6:34 PM IST

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