उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

गोरखपुर: राप्ती नदी में गिर रहा प्रदूषित जल, एनजीटी के आदेश के बाद भी प्रशासन की पहल धीमी

By

Published : Apr 11, 2022, 5:36 PM IST

एनजीटी की लगातार फटकार और निर्देश के बाद भी गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के छोटे- बड़े करीब सात नालों का प्रदूषित पानी अभी भी लोगों की आस्था का प्रतीक राप्ती नदी में गिर रहा है. जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि शहर के विभिन्न मोहल्लों के गंदे पानी को करीब 18 नालों से रामगढ़ ताल, डोमिनगढ़ रोहिणी नदी और राप्ती नदी में गिराया जाता है.

ETV bharat
राप्ती नदी में गिर रहा प्रदूषित जल

गोरखपुर: एनजीटी की लगातार फटकार और निर्देश के बाद भी गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के छोटे-बड़े करीब सात नालों का प्रदूषित पानी अभी भी लोगों की आस्था का प्रतीक राप्ती नदी में गिर रहा है. इसको रोकने और कम करने की नगर निगम और जल निगम की संयुक्त जिम्मेदारी काफी धीमी दिखाई दे रही है.

जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि शहर के विभिन्न मोहल्लों के गंदे पानी को करीब 18 नालों से रामगढ़ ताल, डोमिनगढ़ रोहिणी नदी और राप्ती नदी में गिराया जाता है. लेकिन एनजीटी के निर्देश पर ही अब तक करीब 11 नालों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने में सफलता मिली है. यह जरूर है की राप्ती नदी में अभी करीब 7 नालों के पानी को पूरी तरह से शुद्धिकरण के साथ गिराने में समय लग जाएगा, जिसकी सभी प्रक्रिया मानकों को पूरा करते हुए पूरी की जा रही है.

राप्ती नदी में गिर रहा प्रदूषित जल

इसे भी पढ़ेंःकैसे सुधरेगी शहर की आबोहवा, जब 68 प्रदूषण जांच केंद्रों पर 14 लाख वाहनों का जिम्मा

यही नहीं बारिश के दिनों में इन नालों की वजह से नदी के तटवर्ती क्षेत्र के 6 से अधिक वार्ड पानी से लबालब भर जाते हैं, प्रदूषित पानी लोगों के जीवन को परेशान करता है. इस पानी को भी निकालने के लिए कुल 13 रेगुलेटर स्थापित किए गए हैं, लेकिन यह भी वर्ष 1974 के लगाए हुए हैं, जो पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करते.

भीषण बरसात में यह समस्या ही बन जाते हैं. बात करें तो शहर के 93 बड़े नालों और 118 छोटे नालों का पानी 5 स्थानों पर गिरता है. शहर में नालों की लंबाई करीब 61 किलोमीटर है. राप्ती नदी में प्रतिदिन करीब 55 एमएलडी प्रदूषित पानी गिरता है. सबसे अधिक सिविल लाइंस, कार्मल स्कूल, पुलिस लाइन, धर्मशाला बाजार, जाफरा बाजार होते हुए इलाहीबाग तक जाने वाले नाले से होकर राप्ती नदी में पानी जाता है.

करीब 5 किलोमीटर लंबे इस नाले से 25 हजार से अधिक घरों का कचरा राप्ती तक पहुंचता है. यहां के स्थानीय लोगों और पार्षद ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सफाई तो होती है लेकिन नाकाफी होती है. यही वजह है कि बचाव के लिए एनडीआरफ तक को उतरना पड़ता है. राप्ती नदी तो प्रदूषित हो ही रही है.

जलभराव से शहर को बचाने और प्रदूषित जल से राप्ती नदी को बचाने के लिए सीएम योगी के कड़े निर्देश पर जल निगम ने करीब 359 करोड़ का डीपीआर तैयार किया था, जिसमें रोहिणी, राप्ती नदी में गिरने वाले प्रदूषित पानी को ट्वीट करने के लिए नेताजी सुभाष नगर और महादेवा में दो ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने का प्रस्ताव है.

इसके बजट की शासन से मंजूरी मिलते ही काम को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा, लेकिन इसके पहले शहर में स्थापित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य शोधन के जो भी पैमाने हैं, उसको नगर निगम और जल निगम मिलकर अपनाते हुए प्रदूषित जल से राप्ती नदी को बचाने के उपाय कर रहा है. सिर्फ सात नालों पर काम करना बाकी रह गया है. उम्मीद की जा रही है कि यह भी जल्दी पूरा कर लिया जाएगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details