कोटा. चंबल नदी के दोनों किनारों पर 1200 करोड़ रुपए से हेरिटेज रिवर फ्रंट का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसमें चार विश्व अजूबे भी स्थापित किए जा रहे हैं. इनमें विश्व के सबसे बड़े और वजनी घंटे के निर्माण में कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. अब जल्द ही इसे मोल्डिंग बॉक्स से बाहर निकालकर क्रेन की मदद से लटकाया जाएगा, जिसके बाद लोग इसे बजा भी सकेंगे. साथ ही ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसकी आवाज 8 किलोमीटर दूर तक लोगों को सुनाई देगी. इस कास्टिंग के साथ ही चंबल के हेरिटेज रिवर फ्रंट पर एक और विश्व रिकॉर्ड जुड़ गया है. यहां विश्व का सबसे बड़ा नंदी भी रिवर फ्रंट पर स्थापित किया गया है. इसके अलावा विश्व की सबसे ऊंची मार्बल की प्रतिमा भी स्थापित की जा रही है. ये चंबल माता की मूर्ति है, जो कि सूर्य को अर्घ्य देती हुई स्थिति में है. इसके इतर यहां एक साथ 26 फव्वारे भी लगाए हैं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र होंगे.
25 मिनट में कास्ट हुआ विश्व का सबसे बड़ा घंटा -विश्व के सबसे बड़े घंटे को गुरुवार को कास्ट किया गया. इसके लिए धातुओं को पिघलाने का काम दो दिन से चल रहा था. बड़ी-बड़ी क्रेन्स भी मौके पर मंगाई गई थी. जिनके जरिए कास्टिंग के काम को शुरू किया गया और शाम 8:10 बजे काम पूरा हुआ. इसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से मजदूरों को बुलाया गया था, जो कि स्टील प्लांट्स में काम करते हैं. मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य ने बताया कि लगभग सभी वर्कर पूरी तरह से ट्रेंड हैं और सभी स्टील प्लांट में काम करते हैं. इन वर्करों को भारी टेंपरेचर पर काम करना होता है. ऐसे में ये इस तरह के टेंपरेचर के आदी हो चुके हैं. पूरे इंडिया से अलग-अलग जगह से अलग-अलग एक्सपर्ट वर्करों को सेलेक्ट करके यहां लाया गया है. उन्होंने कहा कि ऊपर मोल्डिंग बॉक्स पर उनके साथ काम करने के लिए देशभर से चार एक्सपर्ट आए हैं, जो रांची, कोयंबटूर और दो जामनगर से हैं.
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कई घंटे चली धातुओं को पिघलाने की प्रक्रिया -कास्टिंग पूरी हो गई है. बुधवार सुबह से ही भट्ठियों में धातु को तपाने काम का शुरू हो गया था, लेकिन हमारे आकलन में कुछ अंतर रह गया, क्योंकि इस तरह का काम पहली बार किया जा रहा है. ऐसे में बुधवार 3 बजे तक ही कास्ट के काम को पूरा करना था, लेकिन लिक्विड हुए धातु का तापमान जो आना चाहिए था, वो नहीं आ पाया. ऐसे में देर रात को कास्टिंग करना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि इस दौरान कोई भी हादसा हो सकता था या ह्यूमन एरर की वजह से भी नुकसान हो सकता था. इसीलिए गुरुवार को इसकी कास्टिंग की गई है.
स्पेशल हीटप्रूफ कपड़े पहनकर हुई कास्टिंग - रिवर फ्रंट कास्टिंग के लिए पूरा सिस्टम तैयार किया गया था, जहां पर एक साथ 35 भट्टियां थी. ताकि हीट बॉडी तक नहीं पहुंचे. जिस जगह मोल्डिंग बॉक्स को रखा गया था और वहां 300 डिग्री सेल्सियस तक तापमान था. साथ ही भट्टियों के करीब 100 डिग्री तापमान था. हीट के कारण कहीं कोई गड़बड़ नहीं हो, इसीलिए सेफ्टी को देखते हुए स्टाफ के लिए हीटप्रूफ कपड़े व ग्लब्स मंगाए गए.