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बर्खास्त पार्षदों की शिकायत, ACB ने अधिकारियों के खिलाफ UDH के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखा पत्र

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Published : Nov 2, 2022, 8:01 AM IST

Updated : Nov 2, 2022, 11:13 AM IST

Anti Corruption Bureau
बर्खास्त पार्षदों की शिकायत ()

अब जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Nagar Nigam Greater) के बर्खास्त पार्षदों की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से दीपक नंदी और रेणु खंडेलवाल के खिलाफ UDH के अतिरिक्त मुख्य सचिव को (Anti Corruption Bureau) पत्र लिखा गया है.

जयपुर.जयपुर ग्रेटर निगम के (Jaipur Nagar Nigam Greater) बर्खास्त पार्षदों ने एसीबी में स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक दीपक नंदी और उपनिदेशक रेणु खंडेलवाल के खिलाफ शिकायत की थी. जिसके बाद मंगलवार को एसीबी में संबंधित प्रकरण की जांच के लिए नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया. ग्रेटर निगम के बर्खास्त चेयरमैन पारस जैन, शंकर शर्मा और अजय सिंह चौहान ने एसीबी (Anti Corruption Bureau) में शिकायत की थी. जिसमें कहा गया कि ग्रेटर निगम में मेयर, पार्षद और कमिश्नर के बीच हुआ विवाद और अलवर नगर परिषद सभापति बीना गुप्ता प्रकरण एक समान ही है. लेकिन स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक दीपक नंदी और उपनिदेशक रेणु खंडेलवाल की ओर से अलग-अलग निष्कर्ष निकाले गए.

दोनों प्रकरण की एक ही प्रकृति के होने के बावजूद दोनों में अलग-अलग फैसले दिए गए, जो उचित नहीं है. जयपुर में मेयर और पार्षदों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन कमिश्नर को मामले में बचाया गया. जबकि अलवर प्रकरण में सभापति को बचाया गया और तत्कालीन उपायुक्त को निलंबित कर दिया गया था. ऐसे में अब बर्खास्त पार्षदों ने संबंधित प्रकरण में तथ्यात्मक जांच की मांग की है.

बर्खास्त पार्षदों की शिकायत

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इस संबंध में बर्खास्त पार्षद पारस जैन (dismissed Councilor Paras Jain) ने बताया कि डीएलबी के तत्कालीन अधिकारियों की ओर से लिए गए फैसले गंभीर भ्रष्टाचार की प्रकृति और राजनीतिक प्रभाव को प्रदर्शित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रेटर नगर निगम प्रकरण में तथाकथित घटनास्थल पर कैमरे होते हुए भी उसकी रिकॉर्डिंग नहीं मिली और पर्याप्त सुबूत नहीं होने के बावजूद भी पार्षद और महापौर को बर्खास्त कर दिया गया. वहीं, दूसरी ओर सभापति बीना गुप्ता को 14 महीने बाद भी निलंबित नहीं किया गया. हालांकि, उन्हें एसीबी ने रंगे हाथों ट्रैप किया था.

उन्होंने आरोप लगाया कि दीपक नंदी, रेणु खंडेलवाल और विभाग के मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने बीना गुप्ता से करोड़ों रुपये की रिश्वत ली है. ऐसे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से इनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए.

Last Updated :Nov 2, 2022, 11:13 AM IST

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