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Special : आजादी के 76 साल बाद भी यहां सड़क का इंतजार, दो जिलों के 15 हजार ग्रामीण प्रभावित

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 22, 2023, 5:47 PM IST

भरतपुर जिले के करीब कई गांवों को आज भी विकास का इंतजार (Villages Still do not have Paved Roads) है. इन गांवों में आज तक पक्की सड़कें नहीं बन पाई हैं. पिछली बजट घोषणा के बाद 12 करोड़ की राशि जारी कर दी गई, लेकिन सड़क निर्माण का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Villages Still do not have Paved Roads
भरतपुर के गांवों में पक्की सड़क नहीं

बजट घोषणा के बाद भी नहीं हुआ सड़क निर्माण

भरतपुर. आजादी के बाद इन 76 सालों में भारत विज्ञान, तकनीक से लेकर आर्थिक रूप से भी शक्तिशाली देश के रूप में उभरा है. हर क्षेत्र में भारत अपना लोहा मनवा चुका है, लेकिन इससे इतर राजस्थान के कई गांव ऐसे हैं जहां लोगों को पक्की सड़क तक नसीब नहीं हो पाई है. जिले के बयाना तहसील क्षेत्र के गांव घुनैनी से करौली जिले के गांव तक आजादी के बाद आज तक एक पक्की सड़क तक नहीं बन पाई है. पिछली बजट घोषणा में इस मार्ग के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 12 करोड़ की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यहां सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है.

12 किमी सड़क निर्माण की हुई थी घोषणा :असल में बयाना तहसील के डांग क्षेत्र के घुनैनी और करौली जिले के करीब 8 गांवों में आज तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ. ग्रामीणों की लंबे समय से मांग के चलते राज्य सरकार ने फरवरी 2023 में अनुपूरक बजट में भरतपुर के घुनैनी से करौली के ताल गांव तक 12 किमी सड़क निर्माण की घोषणा कर दी गई. इसके बाद 16 मार्च 2023 को सरकार ने सार्वजनिक निर्माण विभाग को 12 करोड़ का बजट भी जारी कर दिया, लेकिन बजट स्वीकृति के 5 माह बाद भी सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है.

आजादी के 76 साल बाद भी सड़क का इंतजार

पढ़ें. आजादी के 75 साल बाद भी कच्ची सड़क तक नसीब नही हुई इस गांव को, ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधाएं ही बड़ा सपना

8 गांव के 15 हजार लोग प्रभावित :घुनैनी से ताल तक सड़क नहीं होने की वजह से भरतपुर और करौली के 8 गांव के 15 हजार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इनमें घुनैनी, नवलपुरा, डांडा गांव, ज्ञानी का बेड़ा, गाजीपुर, कोल्हूपुरा, ताल गांव शामिल हैं. पक्की सड़क नहीं होने की वजह से बरसात के मौसम में ग्रामीणों को कस्बा और शहर आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मरीजों को भी उपचार के लिए लाने ले जाने को एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाती है.

12 किमी सड़क निर्माण की हुई थी घोषणा

संत व ग्रामीण श्रमदान कर ठीक करते हैं रास्ता :बरसात के मौसम में जब रास्ता खराब हो जाता है तो नवलापुरा गांव के महाकाल मंदिर के संत रुद्रनाथ और ग्रामीण मिलकर फावड़ा, कुदाल से रास्ते को ठीक करते हैं. ऊबड़ खाबड़ रास्ते को समतल कर वाहनों के निकलने लायक बनाते हैं. संत रुद्रनाथ ने बताया कि वर्षों से यहां के ग्रामीण रास्ते के लिए परेशान हैं. कई बार नेताओं और प्रशासन को ज्ञापन दिया है. वो खुद मुख्यमंत्री कार्यालय जाकर सड़क निर्माण के लिए ज्ञापन देकर आए थे. बजट में घोषणा भी हो गई और बजट भी जारी हो गया, फिर भी सड़क निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है.

घुनैनी से ताल तक पक्की सड़क नहीं...

स्वीकृति का इंतजार :इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के बयाना एक्सईएन गोविंद मीणा ने बताया कि यह सड़क वन विभाग और बांध बारैठा सेंचुरी क्षेत्र में आती है, इसलिए इसके निर्माण के लिए दो अलग-अलग फाइल लगाई हुई हैं. जब तक दोनों जगह से स्वीकृति नहीं मिल जाएगी, तब तक सड़क निर्माण कार्य नहीं हो पाएगा. स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

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