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आजादी के 75 साल बाद भी कच्ची सड़क तक नसीब नही हुई इस गांव को, ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधाएं ही बड़ा सपना

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Published : Apr 20, 2023, 11:05 PM IST

टेक्नोलॉजी, इंवेंशन और इंडस्ट्राइलाइजेशन के इस दौर में राजस्थान के सिरोही का बोसा गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आजादी के 75 साल बाद भी इस गांव में न सड़क है, न बिजली. हालत ऐसी कि गांव में खुद के जिम्मे कच्ची सड़क बनाने गए ग्रामीणों को भी रोक दिया गया. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Bosa Village of Sirohi District
Bosa Village of Sirohi District

मूलभुत सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे ग्रामीण

सिरोही. आज के इस टेक्नोलॉजी के युग में बिना गैजेट्स, इंटरनेट या इन्फ्रास्ट्रक्चर के हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर पाते हैं. हर सुख-सुविधाओं के बीच हम अपना जीवन और आसान बनाने में लगे हुए हैं. हालांकि अगर आपसे एक दिन बिना फोन, लैपटॉप और इंटरनेट के गुजारने को कहा जाए तो आपके लिए यह असंभव जैसा होगा, लेकिन राजस्थान के सिरोही में एक गांव ऐसा है जो सालों से मूलभूत सुविधाओं तक के लिए तरस रहा है. आजादी के 75 साल बाद भी आज इस गांव में न सड़क है, न पानी और न ही बिजली. यहां तक कि गांव वालों ने जब खुद सड़क बनाने का जिम्मा लिया तो उन्हें रोक दिया गया.

सिरोही जिले के आबूरोड तहसील के बोसा गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इस गांव में आज भी पानी, बिजली, सड़क जैसी सुविधाओं का अभाव है. यहां के ग्रामीण एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए पहाड़ों और पथरीले रास्तों पर चलकर रास्ता तय करते हैं. जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो ग्रामीण कपड़े की झोली बनाकर मरीज को उसमें बिठाकर डामर सड़क तक लाते हैं, यहां से वाहन के माध्यम से उसको अस्पताल पहुंचाया जाता है.

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कच्ची सकड़ भी बनाने से रोका : ग्रामीणों के अनुसार इस मामले में उन्होंने कई बार अधिकारियों और नेताओं को अवगत कराया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया. हर जगह से थक हार कर उन्होंने अपने दम पर कच्ची सड़क बनाने की सोची. ग्रामीण पथरीले पहाड़ों पर दिन में तपती धूप में एक साथ इस कार्य को सफल बनाने के लिए जुट गए. ग्रामीणों ने बताया कि मिट्टी डालकर ग्रामीणों ने इस सड़क को बनाने का कार्य शुरू किया, लेकिन यह भी वन विभाग को नहीं भाया. उन्होंने अपने वन कर्मी को मौके पर भेज कर कार्य को रुकवा दिया.

Bosa Village of Sirohi District
बीमार को ऐसे ले जाते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में कभी लाइट नहीं थी. इतने सालों बाद बिजली का कनेक्शन मिला, लेकिन बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मर को ट्रैक्टर से लाने के लिए सड़क की आवश्यकता थी. सड़क नहीं होने के कारण बिजली का कनेक्शन नहीं हो पा रहा. इस पर ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही सड़क बनाने की सोची थी. ग्रामीणों का आरोप है कि अपने दम पर सड़क निर्माण करते महिला-पुरुषों को वन कर्मियों ने उनके घरों को जलाने की धमकी देकर काम को रुकवा दिया. इस बारे में ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है.

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गांव पहुंचे बीडीओ : पूरे मामले में ग्रामीणों की समस्या सुनने और वन विभाग की ओर से कार्य रुकवाने की जानकारी मिलते ही पंचायत समिति बीडीओ नवलाराम मौके पर पहुंचे. उन्होंने कहा की पिछले दिनों हुई रात्रि चौपाल में भी इस सड़क का मुद्दा उठा था, लेकिन वन विभाग की जमीन होने के चलते सड़क बनाने से रोका गया. उन्होंने कहा कि जल्द ही खदराफली में निवासरत परिवारों को वनाधिकार के पट्टे देकर अस्थाई तौर और सड़क निर्माण को लेकर प्रयास किए जाएंगे.

आदिवासियों को उनका हक दिलाएंगे : मामले में स्थानीय विधायक जगसीराम कोली भी खादराफली पहुंचे और ग्रामीणों से बात की. विधायक पहाड़ी की पगडंडी से भाजपा कार्यकर्त्ताओ के साथ ग्रामीणों की ओर से बनाई जा रही सड़क पर पहुंचे. विधायक जगसीराम कोली ने कहा कि खादराफली में बसे लोगों की समस्या उचित है. न तों सरकार और वन विभाग सड़क बना रहा और जब ग्रामीण खुद श्रमदान करके सड़क बना रहे हैं तों उन्हें रोका जा रहा है. यह उचित नहीं है. इसको लेकर वन विभाग के अधिकारियो और जिला कलेक्टर से बात कर समस्या का समाधान किया जाएगा.

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