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SPECIAL: कोरोना के खिलाफ जंग में मजबूती से लड़ रही हैं आशा सहयोगिनियां, कड़ी धूप में भी कर रही घर-घर सर्वे

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Published : May 7, 2020, 1:46 PM IST

आशा सहयोगिनी स्पेशल स्टोरी, special story on Asha Sahyogini

कोरोना की जंग में बाकी कोरोना वारियर्स की तरह ही आशा सहयोगिनी भी टककर मुकाबला कर रही हैं. इस कड़ी धूप और कोरोना काल में ये आशा सहयोगिनियां घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं.

बाड़मेर. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों की तरह जमीनी स्तर पर काम कर रही आशा सहयोगिनी की भूमिका को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते. कल तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ घर-घर तक पहुंचाने वाली आशा सहयोगिनी, आज इस मुश्किल समय में कोरोना वायरस की जंग में बड़ी अहम भूमिका निभा रही हैं.

कोरोना काल में आशा सहयोगिनियां कर रही कड़ी मेहनत

हालांकि इनका मानदेय बहुत कम है. मगर फिर भी वह बुलंद हौसले के साथ चाहे शहर हो या गांव में घर-घर जाकर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जागरूक कर रही हैं. साथ ही पल-पल की रिपोर्ट संबंधित विभाग तक पहुंचा रही हैं. इतना ही नहीं उनकी जिम्मेदारी अब पहले से बढ़ गई है. उनके क्षेत्र में कौन बाहर से आया है और कौन बीमार है. इसकी जानकारी वे प्रतिदिन हासिल कर रही हैं.

कोरोना संकट से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर आशा सहयोगिनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. लेकिन जिम्मेदारी के साथ तेज गर्मी और धूप ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है. बावजूद इसके वह अपने फर्ज को बखूबी अंजाम दे रही हैं. राजस्थान के बाड़मेर में गर्मी के तीखे तेवर दिखने शुरू हो गए हैं. पारा 42 डिग्री के पार पहुंच गया है.

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इस तेज गर्मी में भी जमीनी स्तर पर कोरोना के खिलाफ आशा सहयोगिनी मोर्चा संभाले हुए हैं. इस तपती गर्मी में भी घर-घर जाकर सर्वे का काम कर रही हैं. साथ ही अपने क्षेत्र में बाहरी राज्यों और जिलों से आए लोगों को होम क्वॉरेंटाइन कर नियमित उनकी मॉनिटरिंग कर रही हैं. जिसकी रिपोर्ट वे अपने संबंधित विभाग को उपलब्ध करा रही हैं.

तेज गर्मी और कोरोना काल में वो किस तरह अपने फर्ज को अंजाम दे रही हैं, यह जानने के लिए हमने बाड़मेर की कई आशा सहयोगिनियों से बात की. शहर के वॉर्ड न. 6 की किरण शर्मा ने बताया कि कोरोना से अगर हम ही डर जाएंगे, तो लड़ेगा कौन. क्योंकि आम कड़ी हम से जुड़ी है. इसलिए हम कोरोना को लेकर घर-घर जाकर सर्वे का काम कर रहे हैं.

वहीं वार्ड 15 की आशा लीला परमार ने बताया कि मैं नियमित अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर सर्वे कर रही हूं. साथ ही जो लोग बाहर से आए हैं, उनको चिन्हित कर उन्हें 14 दिन तक घर में रहने की हिदायत दे रही हूं. जिसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रही हूं. ताकि वे लोग अपने घरों से बाहर ना निकलें. कोरोना के इस मुश्किल समय में काम करने से मुझे बिल्कुल डर नहीं लग रहा है. बल्कि अच्छा लग रहा है कि देश सेवा करने का मौका मिला है.

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वार्ड 30 की आशा भंवरी गौड़ ने बताया कि नियमित रूप से डोर टू डोर जाकर सर्वे कर रही हूं और बाहर से आए लोगों को 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन कर रही हूं. साथ ही लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग रखना और अति आवश्यक काम होने पर ही घरों से बाहर निकलने और मास्क लगाकर निकलने के बारे में बता रही हूं.

पूरे जिले में आशाएं किस तरह से अपने फर्ज को अंजाम दे रही हैं. यह जानने के लिए हमने जिला आशा समन्वयक राकेश भाटी से बात की. उन्होंने बताया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 2500 और बाड़मेर और बालोतरा शहरी क्षेत्र में 180 आशाएं कार्यरत हैं. जो कोविड-19 के इस मुश्किल समय में लगातार बहुत सराहनीय कार्य कर रही हैं. इस दौरान कई आशाएं हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. लेकिन फिर भी वे अपने फर्ज को बखूबी अंजाम दे रही हैं. हमनें उन्हें खुद की सेफ्टी के ख्याल रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं और उन्हें हैंड ग्लब्ज, मास्क, सैनिटाइजर आदि भी विभाग की तरफ से उपलब्ध करवाया गया है.

मैं नियमित उनसे संवाद कर आवश्यक दिशा-निर्देश भी देता रहता हूं. साथ ही यह भी जानने की कोशिश करता हूं कि फील्ड में काम करते हुए उन्हें किसी तरह की कोई समस्या तो नहीं है. मुझे खुशी है कि जिले में सभी आशाएं बेहद सराहनीय कार्य कर रही हैं और कोरोना महामारी की इस जंग मे अहम भूमिका निभा रही हैं.

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