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Shardiya Navratri 2021: चौहटन के वांकलमाता मंदिर के पाकिस्तान से जुड़े हैं तार!

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Published : Oct 10, 2021, 2:19 PM IST

Shardiya Navratri 2021

बाड़मेर (Barmer) के चौहटन (Chauhtan) में वांकलमाता (Vankal Mata) का निवास है. पहाड़ों पर विराजमान मां के दर्शनार्थ लोग दूर दराज से करने आते हैं. शारदीय नवरात्र महोत्सव (Shardiya Navratri Mahotsav) की पुरानी परम्परा है. कोरोना की वजह से जहां पिछले साल चहल पहल कम थी वहीं इस बार रौनक दिख रही है.

बाड़मेर: चौहटन के पहाड़ों में स्थित है प्रसिद्ध विरात्रा माता मंदिर. यूं तो साल भर यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन नवरात्रों में हज़ारों की संख्या में हर रोज़ श्रद्धालु दर्शन के लिये पहुंचते हैं. आस्था ऐसी की देश के कोने-कोने से लोग दर्शन करने आते हैं.

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चौहटन के वांकलमाता मंदिर के पाकिस्तान से जुड़े हैं तार!

भारत का मंदिर जिसके पाक से जुड़े हैं तार

विरात्रा माता मंदिर क्यों कहते हैं? क्या है इसका पाक कनेक्शन? क्या है राज मां के वांकल रूप का? ऐसे कई प्रश्न हैं जो जिज्ञासुओं के मन में रहते हैं. तो इतिहासकारों और जानकारों के मुताबिक मां के तार पाकिस्तान के बलूचिस्तान से जुड़े हैं. कहानी कुछ यूं है कि वीर विक्रमादित्य पाकिस्तान के बलूचिस्तान हिंगलाज माता मंदिर माता के अनन्य भक्त थे और वहां से उन्हें उज्जैन लाना चाहते थे. मां विक्रमादित्य की भक्ति से प्रसन्न हुईं और एक शर्त के साथ आने को तैयार हुईं. वादा लिया कि वो रास्ते में कहीं भी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे.

राजा ने भी प्रण लिया कि वो ऐसा नहीं करेंगे. विक्रमादित्य विरात्रा में विश्राम के लिए रुके यही उनसे भूल हुई और पीछे मुड़कर देख बैठे. यही गलती भारी पड़ी. मां वहीं विराजमान हो गईं. यही माता का धाम बन गया. चूंकि राजा वीरातरा की पहाड़ियाें में ठहरे थे सो विरात्रा वाली मां इनका नाम हो गया.

धाम जो भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा (India Pakistan International Border) से सटे चौहटन क्षेत्र के ढोक गांव में स्थित है. यहां नवरात्रि में महोत्सव का आयोजन किया जाता है.

वांकल रूप के पीछे का राज

मां महिषासुरमर्दिनी है. असुरों का दमन करती हैं और ऐसा करते समय मां की भाव भंगिमा वक्र हो जाती है. सो इस धाम में मां का वही वक्री रूप विद्यमान है. संहारणी स्वरूपा मां को वांकल भी कहते हैं. यहीं से माता को विरात्रा वाली वांकल मां का नाम मिला.

दूर दूर से आते हैं लोग

माता जी के दर्शनार्थ लोग विभिन्न राज्यों से भारी तादाद में आते हैं. राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचते हैं. नवविवाहित जोड़े शादी के बाद यहां पर धोक लगाते हैं और नवजातों की विशेष जात पूजा भी की जाती है. आस्था है की विरात्रा वांकल माता मंदिर के प्रांगण में आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है. चूंकि श्रद्धालु विभिन्न स्थलों से आते हैं सो तैयारी पूरी रखी जाती है. मां के दरबार को सजाया जाता है और मंदिर ट्रस्ट भक्तगणों के लिए पूरी व्यवस्थाएं भी करता है.

कोरोना काल में लगा था ब्रेक

मंदिर प्रांगण में वर्ष भर में तीन बार नवरात्रि महोत्सव (Shardiya navratri Mahotsav) का आयोजन होता है. रंगारंग कार्यक्रम में गरबा भी खेला जाता है. विगत वर्ष कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) की वजह से मेला नहीं लगा. इस बार अनलॉक पीरियड में कुछ राहत है उम्मीद है कि दर्शनार्थियों को निराशा हाथ नहीं लगेगी.

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