अलवर.सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी बीते सालों की तुलना में इजाफा हुआ है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन ने बाला किला बफर जोन में नया रूट बनाया है. जल्द ही लोग इस रूट पर सफारी का आनंद ले सकेंगे. इसके अलावा सरिस्का क्षेत्र में भी नए रूट बनाने की प्रक्रिया चल रही है. इसका प्रस्ताव भी मुख्यालय भेजा गया है. हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरिस्का प्रशासन ने पर्यटकों के लिए कोराना गाइलाइन की विशेष पालना के निर्देश जारी किए हैं. ऐसे पर्यटकों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सफारी का सफर करना होगा.
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886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अलवर का सरिस्का जंगल देश का प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व है. साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद रणथंभौर से बाघों को ट्रेंकुलाइज कर एयरलिफ्ट किया गया और सरिस्का लाया गया. साथ ही यहां फिर से बाघों का कुनबा बसाया गया. उसके बाद कई ऐसे मोड़ आए जब संभागों पर संकट के बादल मंडराते रहे. साल 2019 में सरिस्का में चार बाघ व बाघिन की मौत हुई, लेकिन उसके बाद फिर से यहां बाघों का कुनबा बढ़ा. इस समय सरिस्का क्षेत्र में 10 बाघिन, 6 बाघ व 7 शावक हैं. इसके अलावा सरिस्का क्षेत्र में 500 से अधिक पैंथर हैं.
बाला किला बफर जोन में शुरू हुई थी सफारी
4 साल पहले सरिस्का क्षेत्र में बाला किला बफर जोन में सफारी शुरू की गई थी. इस दौरान एक रूट बनाया गया था. इस रूट के तहत घूमने वाले पर्यटकों को बाला किला के साथ आसपास जंगल क्षेत्र का भ्रमण कराया जाता है. पर्यटक अंधेरी जंगल क्षेत्र में भी घूमना चाहते हैं. ऐसे में वे अतिरिक्त चार्ज देकर वहां घूम सकते हैं. अंधेरी जंगल घना जंगल है. वहां बाघ व पैंथर की मूवमेंट रहती है. इसलिए इस जंगल को बंद किया गया है. बीच में सरिस्का प्रशासन की तरफ से अंधेरी रूट को अलग से डिवेलप करने की योजना बनाई गई व इस पर सफारी शुरू की गई, लेकिन यह रूट लंबा रहता है. बारिश के समय में इस रूट पर खासी दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा सिलीसेढ़ उसके आसपास क्षेत्र में भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से बफर जोन का नया रोड बनाते हुए सफारी शुरू की गई, लेकिन लोगों ने उसे पसंद नहीं किया.
बफर जोन में नया रूट
पर्यटकों के लिए एक बार फिर से सरिस्का प्रशासन की तरफ से बफर जोन में नया रूट बनाया गया है. इस रूट के लिए प्रताप बंद चौकी के अलावा सीसीएफ ऑफिस व एक अन्य जगह से पर्यटक जिप्सी बुक कर सकेंगे. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हो पाई है. लेकिन सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि नया रूट बनकर पूरी तरह से तैयार है. रूट को शुरू करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों के पास आदेश आ चुके हैं. केवल उद्घाटन न होने के चलते इस रूट पर सफारी शुरू नहीं हुई है. यह रूट जयंती फार्म हाउस के पास लिवारी से शुरू होगा. उसके बाद जम्मू साना होता हुआ वापस उसी जगह पर समाप्त होगा.
सरिस्का प्रशासन ने बताया कि पर्यटक जंगल में घूमने का आनंद ले सकें, इसके लिए सरिस्का क्षेत्र में भी दो नए रूटों पर काम चल रहा है. मुख्यालय से अनुमति के बाद इन रूटों को भी खोल दिया जाएगा. सरिस्का के बीच से अलवर-जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसके एक तरफ पांडुपोल हनुमान मंदिर और दूसरी तरफ सरिस्का का जंगल है. इस क्षेत्र में 3 रूट बने हुए हैं जिन पर पर्यटक सफारी का आनंद लेते हैं. दूसरे हिस्से में सफारी का एक भी रूट नहीं है जबकि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बाघ व बाघिन का मूवमेंट रहता है. पैंथर की हलचल भी लगातार बनी रहती है. सरिस्का प्रशासन की तरफ से इस क्षेत्र में सफारी शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. सब ठीक रहा तो जल्द ही पर्यटक इस क्षेत्र में भी घूम सकेंगे.
24 घंटे रहती है सुरक्षा
सरिस्का क्षेत्र में 180 बॉर्डर होमगार्ड और होमगार्ड वनरक्षक 24 घंटे बाघ की सुरक्षा में रहते हैं. पगमार्क और रेडियो कॉलर के माध्यम से बाघों की सुरक्षा की जाती है. साथ ही सिरस्का क्षेत्र में 6 टावर लगे हुए हैं. इन पर हाई रेजुल्यूशन थर्मल कैमरे लगे हुए हैं जो 5 किलोमीटर दूरी से गुजरने वाले वाहन से जानवर की तस्वीर भी कैद कर सकते हैं. लगातार एक कंट्रोल रूम से इन कैमरों की मदद के जरिए जानवरों पर नजर रखी जाती है. सरिस्का प्रशासन की तरफ से कुछ नई जगहों को आईडेंटिफाई किया गया है जहां कैमरे और टावर लगाने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है.
सफारी में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल