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RAJASTHAN SEAT SCAN : ब्यावर सीट पर तीन बार से भाजपा का कब्जा, कांग्रेस भी इस बार खेल सकती है बड़ा दांव

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 28, 2023, 5:52 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:02 PM IST

Rajasthan Assembly Election 2023, राजस्थान में चुनावी हलचल तेज हो गई है. जमीनी पकड़ मजबूत करने व टिकटों को लेकर दलगत मंथनों का दौर जारी है. वहीं, आज हम सीट स्कैन में अजमेर के ब्यावर विधानसभा सीट के मौजूदा सियासी हाल के बारे में जानेंगे. देखिए ये रिपोर्ट...

Rajasthan Assembly Election 2023
Rajasthan Assembly Election 2023

अजमेर.ऐतिहासिक ब्यावर नगरी की सियासत यहां की मशहूर तिलपट्टी की तरह ही कुरकुरी है. ब्यावर विधानसभा में पिछले तीन चुनावों से भाजपा लगातार जीत दर्ज करती आ रही है और शंकर सिंह रावत बतौर विधायक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वहीं, चौथी बार भी रावत ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस ने भी इस सीट को निकालने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है. ऐसे में यहां दोनों ही प्रमुख पार्टियों के बीच जोरदार मुकाबले की बात कही जा रही है.

अंग्रेजों ने ब्यावर को बनाया था सैन्य छावनी -ब्यावर विधानसभा क्षेत्र का अपना भौगोलिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक महत्व है. यही वजह है कि अंग्रेजों ने ब्यावर को सैन्य छावनी बनाया था. वहीं, साल 1836 में चार्ल्स जार्ज डिक्सन ने इस नगर की स्थापना की थी. ये शहर चारदीवारियों में बसा है और इसके चार मुख्य दरवाजे हैं. साथ ही मुख्य बाजार का आकार क्रॉस की तरह है. वहीं, नॉर्थ इंडिया का सबसे पुराना चर्च भी यहीं है.

पिछले चुनाव के परिणाम

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नगर के नामकरण के पीछे की कहानी -ब्यावर के नाम को लेकर भी कई रोचक किस्से प्रचलित हैं. दरअसल, ब्यावर व्यापारिक मार्ग था. यहां से व्यापारियों का आना जाना लगा रहता था. इसको देखते हुए कई डकैत भी यहां सक्रिय हो गए थे, जो व्यापारियों और अंग्रेजों को लूटा करते थे. तब अंग्रेजों ने लोगों को क्षेत्र में सतर्क रहने के लिए कई जगह बोर्ड लगवाए थे. उन पर लिखा था BE AWARE धीरे-धीरे वो BE AWARE ब्यावर में तब्दील हो गया. सुप्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टाड के नाम से टाडगढ़ विख्यात हुआ, जो अपने प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है.

राजनीतिक दृष्टि से देखें तो स्वतंत्रता संग्राम के वक्त ब्यावर में कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रा सेनानी आकर रहे. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल थे, जो अछूतोद्धार आंदोलन में भाग लेने के लिए यहां आए थे. ब्यावर शहर अपने भीतर कई खूबियों को समेटे हुए है. सीमेंट उद्योग के अलावा मिनरल्स यूनिट्स, खनन, व्यापार, कृषि, वन क्षेत्र भी यहां बहुतायत में विस्तृत है. वहीं, ब्यावर की तिलपट्टी भी सुप्रसिद्ध है. बादशाह की सवारी, कोड़ामार होली, तेजाजी का मेला यहां की संस्कृति का अहम हिस्सा है.

टिकट के दावेदार

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सीट पर भाजपा का कब्जा -ब्यावर को जिला बनाए जाने की घोषणा हो चुकी है तो वहीं, वर्तमान इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और शंकर सिंह रावत यहां से विधायक हैं, जो 2008 से 2018 तक लगातार तीन बार चुनाव जीते हैं. इधर, चौथी बार भी रावत मैदान में ताल ठोंकने के फिराक में हैं. हालांकि, इस बार उनकी ही पार्टी में टिकट के कई दावेदार सामने आ गए हैं. ऐसे में इस बात की संभावना अधिक है कि पार्टी अबकी किसी अन्य चेहरे को मैदान में उतार सकती है.

ब्यावर सीट का सियासी हाल -ब्यावर विधानसभा सीट साल 1957 में अस्तित्व में आया था. कांग्रेस के ब्रज मोहन लाल शर्मा यहां के पहले विधायक बने. वहीं, अगर 1957 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव के सियासी समीकरणों की बात करें तो पांच बार कांग्रेस, दो बार सीपीआई , एक बार स्वतंत्र पार्टी, एक बार निर्दलीय, एक बार जपा और 6 बार भाजपा यहां चुनाव जीत चुकी है. विगत 2008 से 2018 तक लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है.

ब्यावर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की स्थिति

2003 से 2018 तक के जानें सियासी हाल

2003 :विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 38 हजार 653 थी. इनमें से 91 हजार 852 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था और कुल 66.30 फीसदी पोलिंग हुई थी. इस चुनाव में 11 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था. चुनाव में भाजपा ने देवीशंकर भूतड़ा और कांग्रेस ने चंद्रकांता मिश्रा को मैदान में उतारा था. भाजपा से देवीशंकर भूतड़ा को 17 हजार 746 मत मिले थे. जबकि कांग्रेस की चंद्रकांता मिश्रा को 26 हजार 16 मत प्राप्त हुए थे. ऐसे में 11730 मत से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रकांता मिश्रा ने जीत हासिल की थी.

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2008 :विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 81 हजार 602 थी. इनमें 1 लाख 5 हजार 869 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. चुनाव में भाजपा ने पहली बार शंकर सिंह रावत को मैदान में उतारा था. वहीं, कांग्रेस ने मूल सिंह रावत को टिकट दिया था. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में केसी चौधरी ने भी ताल ठोकी थी. इस चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला समझा जा रहा था, लेकिन शंकर सिंह रावत ने भारी अंतर से चुनाव जीता. शंकर सिंह रावत को 54.78 फीसदी मत मिले थे यानी 57 हजार 912 और कांग्रेस के मूल सिंह को 18.32 फीसदी यानी 18 हजार 378 वोट हासिल हुए थे. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार केसी चौधरी दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 20 हजार 498 यानी 19.38 फीसदी मत मिले थे.

पिछले चार चुनावों के परिणाम

2013 : विधानसभा चुनाव में ब्यावर में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 8 हजार 960 थी. इनमें से 1 लाख 45 हजार 386 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 69.31 प्रतिशत मत पड़े थे. भाजपा ने शंकर सिंह रावत को दोबारा मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस से मनोज चौहान प्रत्याशी रहे. इस चुनाव में 8 उम्मीदवार मैदान में थे. चुनाव में 42 हजार 909 रिकॉर्ड तोड़ मतों से भाजपा के शंकर सिंह रावत चुनाव जीते थे. शंकर सिंह रावत को 80 हजार 574 वोट मिले थे. यानी 55.63 फीसदी मत रावत के पक्ष में गए. जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज चौहान को 37 हजार 665 मत मिले. 26.01 प्रतिशत मत चौहान के पक्ष में गए. इस चुनाव में कुल 71 हजार 900 पुरुष और 72 हजार 336 महिलाओं ने मताधिकार का उपयोग किया था. 69.31 प्रतिशत कुल वोट पड़े थे.

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2018 : विधानसभा चुनाव में ब्यावर में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 44 हजार 824 थी. इनमें से 1 लाख 23 हजार 238 पुरुष, 1 लाख 20 हजार 961 महिला मतदाता थे. इनमें से 1 लाख 64 हजार 753 मतदाताओं ने वोट डालें. जिसमें 80 हजार 282 पुरुष और 82 हजार 993 महिलाएं थी. यानी कुल 67.29 प्रतिशत लोगों ने मत डाले. इस चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार शंकर सिंह रावत को मैदान में उतारा था. रावत को 69 हजार 932 यानी 42.49 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी पारसमल जैन को 65 हजार 430 मतदाताओं ने पक्ष में वोट डाले. यानी 39.75 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़े. इस चुनाव में 13 उम्मीदवार मैदान में थे. भाजपा से शंकर सिंह रावत ने 4 हजार 502 मतों से जीत हासिल की थी.

टिकट के दावेदार

टिकट के दावेदार - आगामी विधानसभा चुनाव के लिए ब्यावर में भाजपा और कांग्रेस से दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है, हालांकि, मुख्य दावेदारों की बात करें तो भाजपा से शंकर सिंह रावत चौथी बार चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रहे है, उनके अलावा वर्तमान भाजपा देहात अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा, महेंद्र रावत, इंदर सिंह बागावास और संतोष सिंह रावत ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. वहीं, कांग्रेस में मनोज चौहान, पारसमल जैन, आशीष पाल पद्मावत, चंद्रकांता मिश्रा और ओम प्रकाश मिश्रा है.

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यह है जातिगत समीकरण - ब्यावर में जातीय समीकरण की बात करें तो 271 मतदान केंद्रों पर 2 लाख 51 हजार 445 मतदाता हैं. इनमें रावत-मेहरात समेत 71 हजार, वैश्य 36 हजार, ब्राह्मण 25 हजार मतदाता हैं. इसी प्रकार माली 22 हजार, मुस्लिम 3 हजार, एससी 42 हजार, ओबीसी जातियां 41 हजार, राजपूत 2 हजार 500, जाट 3 हजार, गुर्जर के 4 हजार मतदाता हैं, शेष अन्य जातियां हैं.

क्षेत्र के चुनावी मुद्दे - ब्यावर की वर्षों पुरानी मांग जिले की थी. इसको लेकर कई बार आंदोलन भी हो चुके थे. वर्तमान में गहलोत सरकार ने जिले की घोषणा कर इस मुद्दे को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है. इसके अलावा नगर परिषद में भ्रष्टाचार, शहरी क्षेत्र में सफाई और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, सड़क, बिजली, शिक्षा और चिकित्सा चुनावी मुद्दे होंगे.

Last Updated :Dec 1, 2023, 6:02 PM IST

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