राजस्थान

rajasthan

Special : ऊंट पालकों का ETV Bharat पर छलका दर्द...बोले- सरकार भगा रही है, अब कहां जाएं

By

Published : Oct 30, 2022, 6:04 AM IST

अजमेर जिले में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर कार्तिक मेले में इस बार पशुओं (Camel Owners Came to Ajmer) पर लगाई गई पाबंदी से बेखबर कई ऊंट पालक और पशु पालक पुष्कर पहुंचे हैं. करीब 1500 पशुओं को लेकर पशु पालक पुष्कर में डटे हुए हैं. कुछ वापस लौट गए, कुछ लौट रहे हैं. खुद सुनिए क्या कह रहे हैं...

Pushkar Cattle Fair
अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर कार्तिक मेला

अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर कार्तिक मेले में इस बार पशुओं को लाने के लिए राज्य सरकार ने पाबंदी लगाई है. पाबंदी की वजह गोवंश में फैल रही लम्पी बीमारी है. बावजूद इसके, बड़ी संख्या में ऊंट पालक हर बार की तरह पुष्कर मेले में पहुंचने लगे. प्रशासन की ओर से इन ऊंट पालकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. अश्व पालक पुष्कर से जा चुके हैं, लेकिन ऊंट पालक अब भी स्वीकृति मिलने की उम्मीद पर डटे हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 1 नवम्बर से शुरू होगा. पहले पुष्कर मेले की शुरुआत 26 सितंबर से (Ban on Animal selling in Pashu mela) होनी थी, लेकिन गोवंश में फैली लंपी बीमारी के कारण इसे स्थगित किया गया है. साथ ही पशुओं के आने पर भी पाबंदी लगाई गई. बावजूद इसके पुष्कर मेले में बड़ी संख्या में अश्व और ऊंट पालक पहुंच गए हैं. लगभग 1500 पशुओं को लेकर पालक पुष्कर में हैं. इनमें सबसे बड़ी संख्या ऊंटों की है. प्रशासन और पुलिस के अल्टीमेटम देने के बाद लगभग अश्व पालक लौट गए हैं, जबकि कुछ ऊंट पालक अब भी यहीं डटे हुए हैं.

पशु मेले में आए ऊंट पालकों का छलका दर्द...

ईटीवी भारत ने पुष्कर में खुले आसमान के नीचे डेरा लगाए ऊंट पालकों से बातचीत की तो उनका (Pushkar kartik Cattle Fair Canceled) दर्द छलक पड़ा. ऊंट पालकों ने बताया कि भारत-पाकिस्तान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर, जैसलमेर सहित गंगानगर, जालोर, सिरोही, हनुमानगढ़, टोंक, पाली, जोधपुर सहित कई स्थानों से बड़ी संख्या में ऊंट पालक ऊंटों के साथ पुष्कर आए हैं.

पढ़ें. EXCLUSIVE: अंतरराष्ट्रीय पशु मेले पर रूस यूक्रेन युद्ध का असर, बुकिंग कैंसिल करा रहे विदेशी 'पावणे'...पर्यटन व्यवसायी निराश

सरकार भगा रही है :ऊंट पालकों ने बताया कि पुष्कर पहुंचने पर प्रशासन और पुलिस लगातार उन्हें चले जाने के लिए कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां आने पर ऊंटो के पीने के लिए पानी तक नहीं मिल रहा है. ऊंट पालकों का कहना है कि वे ऊटों को खिलाने के लिए चारे के पैसे देने को तैयार हैं, लेकिन प्रशासन ने चारे तक की व्यवस्था नहीं की है. जालौर जिले से आए ऊंट पालक सत्तार ने बताया कि ऊंटो के परिवहन पर सरकार ने पाबंदी लगा रखी है. ऊंट बेचने के लिए 15 दिन पैदल चलकर वह पुष्कर आए हैं. इसके कारण ऊंट थक चुके हैं. उन्हें पानी-चारा तक नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस के लोग बार-बार आकर यहां से चले जाने के लिए धमका रहे हैं. यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

ऊंट पालकों की पीड़ा :पुष्कर में अपने ऊंटों की बिक्री का सोच कर आए पशुपालकों की (Camel Owners Came to Ajmer) उम्मीद पर पानी फिर गया है. टोंक से आए ऊंट पालक चंदा राम बताते हैं कि वह हर वर्ष पुष्कर कार्तिक पशु मेले में ऊंट बेचने के लिए आते रहे हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर ऊंट पालकों के पास खेती करने के लिए कोई जमीन नहीं है और न ही कोई उद्योग धंधा है. वह केवल पशु पालन पर ही निर्भर हैं. 2 वर्ष से कोरोना की वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ. वहीं, इस बार लम्पी की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

पढ़ें. EXCLUSIVE: इस बार नहीं लगेगा पुष्कर कार्तिक पशु मेला, लंपी रोग के कारण लिया निर्णय...विभाग ने जारी किए आदेश

पांच दिन रुकने की मिले अनुमति :ईटीवी भारत से बातचीत में ऊंट पालकों ने कहा कि थके हुए ऊंटों को ले जाना मुश्किल है. प्रशासन उन्हें 5 दिन रुकने की अनुमति दे. साथ ही ऊंटों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था प्रशासन करें. इन पांच दिनों में व्यापारी ऊंट खरीद लेते हैं तो उन्हें भी अनुमति दी जाए. उन्होंने बताया कि लंपी बीमारी गौ वंश में है, ऊंटों में किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है. ऐसे में उन्हें रुकने की अनुमति प्रदान की जाए.

उन्होंने बताया कि राज्य से ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी ऊंट खरीदने के लिए व्यापारी पुष्कर में आए हुए हैं. गंगानगर से आए एक व्यापारी ने बताया कि वह ऊंट खरीदने के लिए पुष्कर आए हैं. लेकिन ऊंट पालकों को यहां रुकने नहीं दिया जा रहा है. इस कारण ऊंट खरीदने या नहीं, इसको लेकर असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है. ऊंट पालकों और व्यापारियों का कहना है कि मेले में पशुओं को लाने पर पाबंदी की सूचना उन्हें नहीं थी.

ऊंट देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए रहा है विशेष आकर्षण :रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाला ऊंट हमेशा से देसी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता आया है. ऊंट का श्रृंगार, उत्पादकों का पहनावा और उनका रहन-सहन, खुले आसमान के नीचे पुष्कर में सतरंगी लोक संस्कृति पर्यटकों को लुभाती रही है. ऊंट पालकों के लिए पुष्कर मेला पशुओं की सबसे बड़ी मंडी के रूप में है, जहां उन्हें अपने पशुओं के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद रहती है. मगर एक बार फिर उनकी उम्मीद धरी की धरी रह गई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details