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Special: संक्रमण काल में सेवा ही धर्म, अस्पतालों में भर्ती मरीज के परिजनों को भोजन बांट रही युवा शक्ति

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Published : May 11, 2021, 9:54 PM IST

कोरोना महामारी ने इस बार लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. मरीजों को अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है तो भर्ती मरीजों के परिजनों के सामने लॉकडाउन के चलते भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. भोजनालय, दुकानें बंद होने से दूरदराज से आए परिजन खाने के लिए भी भटक रहे हैं. ऐसे में कोटा के कुछ युवा इनके लिए बड़ा सहारा बनकर उभरे हैं. कोटा के युवा 'फीड द नीडी' संस्था के जरिए जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं.

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फीड द नीडी संस्था बांट रही भोजन

कोटा. कोरोना संक्रमण भयावह रूप ले चुका है. अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड के लिए परेशान मरीज तो श्माशान घाटों पर मौत का ऐसा मंजर दिख रहा है कि रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. पिछले वर्ष तो कोरोना काल में आम लोगों ने भी पीड़ितों और गरीबों की बढ़चढ़कर मदद की थी लेकिन इस बार खतरनाक होते संक्रमण के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं. इस बार संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है. काफी संख्या में लोगों की जान भी जा रही है. साथ ही बीते लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति भी और कमजोर हुई है. इसका असर भी इस बार नजर आ रहा है.

फीड द नीडी संस्था बांट रही भोजन

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लेकिन जहां चाह है वहां राह है. कोटा के कई युवा हैं जो कि इस बार भी पूरी शिद्दत से सेवा कार्य में जुटे हुए हैं. कोटा के युवाओं का ऐसा ही एक ग्रुप है जो संक्रमण के इस दौर में जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आया है. 'फीड द नीडी' संस्था के जरिए युवा लगातार जरूरत मंदों को आवश्यक सामग्री मुहैया करवाने में जुटे हुए हैं. लॉकडाउन के कारण बाहर खाने-पीने की दुकानें, ढाबे और भोजनालय बन्द हैं.

अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजनों के सामने खाने-पीने की सामग्री को लेकर संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में कुछ युवा हर रोज टीम बनाकर अलग-अलग अस्पतालों में भोजन, आयुर्वेदिक दवाओं के साथ पानी की बोतलें भी वितरित कर रहे हैं. अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को खाना मिल सके. भोजन के लिए वे इधर उधर ना भटकें.
लगभग 20 से 25 युवाओं की यह संस्था लगातार इस सेवा कार्य में जुटी हुई है.

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इम्यूनिटी बूस्टर भी दे रहे

समाज सेवा के इस कार्य में जुटे संस्था के सदस्य प्रदीप कुमार का कहना है कि उनका कार्यालय गुमानपुरा में है, जहां से 5 टीमें रोज सुबह निकलती हैं. इनमें करीब 25 युवा शामिल हैं. हर टीम को वितरण के लिए रोजाना खाने के 200 पैकेट और आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं. इन दवाओं में इम्यूनिटी बूस्टर शामिल हैं ताकि अस्पतालों में भर्ती मरीज के परिजन हैं उन्हें भोजन मिल सके. उनके परिजनों की इम्युनिटी अच्छी रहे ताकि वे भी संक्रमण से बचे रहें. क्योंकि मरीज का इलाज कराने के साथ उन्हें खुद को भी कोविड से बचाना है. ऐसे में मास्क और दस्ताने के साथ रोजाना वे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के साथ वे सामग्री का वितरण कर रहे हैं.

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पांच से ज्यादा जगह पर रोज दे रहे सेवाएं

टीम के अन्य सदस्य कमलेश कुमार का कहना है कि उनकी पांच टीमें रोजाना सभी कोविड-19 के अस्पतालों में जाती है. जिनमें मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और महाराव भीमसिंह चिकित्सालय शामिल है. इसके अलावा बस स्टैंड और जहां भी जरूरतमंद नजर आते हैं वे उनकी सेवा करते हैं. सभी के लिए हाइजेनिक खाना उनके गुमानपुरा स्थित कार्यालय में ही तैयार कराया जाता है. यहां से जरूरी दवाइयां भी मरीजों के लिए उपलब्ध करवाई जा रही है. बीते 20 दिनों से यह काम रोज किया जा रहा है. अब तक 10000 से ज्यादा लोगों तक भोजन पहुंचाया गया है.

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