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बिजली संकट : हाड़ौती के तीन थर्मल प्लांट पैदा कर रहे 2700 मेगावाट से ज्यादा बिजली, पहुंच रही 12 रैक...20 की जरूरत

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Published : Oct 14, 2021, 10:54 PM IST

राजस्थान के थर्मल प्लांट्स से करीब 4100 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है. जबकि इसका 65 फीसदी उत्पादन हाड़ौती के तीन प्लांट कोटा, कालीसिंध और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में किया जा रहा है. हालांकि यहां पूरी क्षमता पर उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

Hadoti region 3 thermal plants
Hadoti region 3 thermal plants

कोटा.पूरे देश में ऊर्जा का संकट आया हुआ है. कोल माइंस में पानी भर जाने के चलते कोयला समय से थर्मल प्लांट्स को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसके चलते बिजली का उत्पादन गड़बड़ा गया है. हाड़ौती की बात की जाए, तो यहां पर जितना बिजली उत्पादन हो रहा है, उससे ज्यादा यहां पर स्थित थर्मल के पावर प्लांट्स की क्षमता है.

वर्तमान में राज्य के विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के थर्मल प्लांट्स से करीब 4100 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है. जबकि इसका 65 फीसदी उत्पादन हाड़ौती के तीन प्लांट कोटा, कालीसिंध और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट से हो रहा है. इन तीनों की कुल उत्पादन क्षमता 4760 मेगावाट है. इन तीनों प्लांट्स से 2735 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. कोटा थर्मल प्लांट पूरी क्षमता से चल रहा है, जबकि कालीसिंध थर्मल प्लांट को 75 फीसदी क्षमता से संचालित किया जा रहा है. छबड़ा के दोनों प्लांटों की क्षमता महज 26 फीसदी ही है. हालांकि बीते सप्ताह से कोयले की आपूर्ति तीनों प्लांट्स में सुधरी है और लगातार 12 रैक यहां पर आ रही हैं. जबकि प्रतिदिन 20 रैक की आवश्यकता है.

कालीसिंध थर्मल के पास महज 2000 का स्टॉक...

झालावाड़ जिले में स्थित कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की स्थिति सबसे ज्यादा विकट है, लेकिन यहां पर 900 मेगावाट के आसपास उत्पादन हो रहा है. इस प्लांट की 600-600 मेगावाट की दो यूनिट चल रही हैं. इनकी क्षमता 1200 मेगावाट है, जिन्हें 70 से 75 फीसदी क्षमता से चलाया जा रहा है. चीफ इंजीनियर केएल मीणा ने बताया कि बीते दिनों एक यूनिट कोयले की कमी से बंद हो गई थी, जिसे 10 अक्टूबर को संचालित किया गया. साथ ही रोज 4 रैक कोयले की आ रही है, जिनमें 16 हजार मैट्रिक टन कोयला आ रहा है. इतनी ही रोज खपत हो रही है. ऐसे में स्टॉक नहीं हो पा रहा है, जो भी कोयला आ रहा है, उसको वैगन टिप्पलर की मदद से सीधा कन्वेयर पर डाला जा रहा है, जोकि बंकर में पहुंचा दिया जाता है.

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छबड़ा थर्मल क्षमता से महज 26 फीसदी...

कोटा थर्मल पावर स्टेशन के सबसे ज्यादा हालत खराब हैं. यहां के दोनों थर्मल प्लांट्स की परिचालन एवं अनुरक्षा और सुपर क्रिटिकल की बात की जाए, तो क्षमता का केवल 26 फीसदी उत्पादन हो पा रहा है. बाकी कोयले की कमी के चलते यूनिट बंद हैं. चीफ इंजीनियर सुदर्शन सचदेवा ने बताया कि छबड़ा थर्मल के दोनों प्लांट्स के पास 20 हजार मैट्रिक टन कोयला मौजूद है. यहां पहला प्लांट परिचालन एवं अनुरक्षा में 250 मेगावाट की चार यूनिट है. जबकि केवल एक यूनिट से ही उत्पादन लिया जा रहा है, जो करीब 225 मेगा वाट के आसपास है. वहीं दूसरी सुपरक्रिटिकल यूनिट में 660-660 मेगावाट की दो यूनिट हैं. इनमें से केवल एक को ही 55 फीसदी क्षमता से संचालित किया जा रहा है. ऐसे में उससे केवल 370 मेगावाट के आसपास के उत्पादन लिया जा रहा है. यहां पर बिजली उत्पादन के लिए कोयले की तीन रैक औसतन पहुंच रही है.

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7वीं यूनिट भी की गई चालू, 1240 पहुंचा उत्पादन...

कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन अब पूरी क्षमता से उत्पादन कर रहा है. यहां पर रोज करीब पांच रैक आ रही हैं. चीफ इंजीनियर वीके गोलानी ने बताया कि सभी सातों यूनिट से उत्पादन लिया जा रहा है. हालांकि एक नंबर, दो नंबर यूनिट को 90 फीसदी क्षमता से चलाया जा रहा है, लेकिन अन्य यूनिट पूरी क्षमता से चल रही हैं. इसके चलते जितनी क्षमता यहां की है, उतना ही 12 से 40 मेगावाट उत्पादन किया जा रहा है. थर्मल के पास करीब 60 हजार मैट्रिक टन कोयला है. जिसमें से रोज 20 हजार मैट्रिक टन का खपत हो रही है, इतना ही कोयला 5 रैक के जरिए पहुंच रहा है. कोयले की रैक आते ही उसे कन्वेयर के जरिए बंकर में पहुंचाया जा रहा है.

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