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कोटा में प्रशासन ने लगाया 8 दिन का लॉकडाउन

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Published : Aug 29, 2020, 9:51 PM IST

कोरोना के बढ़ते केसे को देखते हुए जिला प्रशासन ने शनिवार रात से ही 6 सितंबर तक लॉकडाउन लगा दिया गया है. इसमें इमरजेंसी सेवाओं को ही छूट दी गई है.

कोटा समाचार, kota news
कोटा में 8 दिन का लॉकडाउन

कोटा.जिले में लगातार कोविड-19 के मामले बढ़ते जा रहे हैं. शनिवार को भी 300 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हुए हैं. वहीं, बीते 3 दिनों में 800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. ऐसे में अब स्थिति खतरनाक होती जा रही है. इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने शनिवार को आनन-फानन में एक बैठक आयोजित की, जिसमें अंदर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ नगर निगम, चिकित्सा विभाग और मेडिकल कॉलेज के अधिकारी मौजूद रहे.

कोटा में 8 दिन का लॉकडाउन

इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि अगर लगातार इसी तरह से केस बढ़ते रहे और मरीजों को ऑक्सीजन की रिक्वॉयरमेंट भी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों ने शनिवार रात से ही 6 सितंबर तक लॉकडाउन लगा दिया गया है. इसमें इमरजेंसी सेवाओं को ही छूट दी गई है.

जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ का कहना है कि हमने काफी सोच समझकर और कठोर निर्णय लिया है. हमारे पास और कोई विकल्प भी नहीं बचा है. इस बैठक में तय किया गया है कि कठोर लॉकडाउन रखा जाएगा. चिकित्सा सुविधाएं और आवश्यक सब्जी व दूध की दुकानें खुली रहेगी.

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इसके अलावा जिन बच्चों की परीक्षाएं हैं, उन्हें अनुमति देंगे. इसकी कड़ाई से पालना करवाई जाएगी. प्रशासन के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. अगर अब कोई लापरवाही बरती गई तो लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होगा. शहरवासियों से भी कहेंगे कि इसकी गंभीरता को समझें और प्रशासन को इस महामारी में लड़ने में सहयोग करें. ये लॉकडाउन कोटा नगर निगम क्षेत्र में ही लागू रहेगा.

मरीज इसी तरह आते रहे तो नहीं होंगे सभी भर्ती

इस बैठक में मेडिकल कॉलेज से संबंधित अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा कि अगर इसी तरह से लगातार कैसे आते रहे तो सभी का उपचार करना नामुमकिन होगा. इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प लॉकडाउन ही है. ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन टूटे और मरीजों के सामने आने की स्पीड थोड़ी कम हो. इसके अलावा मीटिंग में तय किया गया है कि किसी भी निजी अस्पताल में और मरीजों को भर्ती रखा जाए, ताकि मेडिकल कॉलेज कोटा का वर्क लोड थोड़ा कम हो, क्योंकि वहां पर मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है.

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