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हरियाली महोत्सव पर लगता है अनूठा मेला, जहां केवल महिलाओं को मिलता है प्रवेश

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Published : Jul 29, 2022, 4:56 PM IST

Updated : Jul 29, 2022, 10:00 PM IST

उदयपुर में हरियाली अमवस्या के दूसरे दिन लक्खी मेला भरता है. इस मेले की विशेषता (Udaipur Lakkhi mela) ये है कि इसमें केवल महिलाओं को ही अनुमति मिलती है. मेले में दुकानदार के अलावा कोई पुरुष प्रवेश नहीं कर सकता है.

Udaipur Lakkhi Mela
हरियाली महोत्सव पर लगता है अनूठा मेला

उदयपुर. उदयपुर का हरियाली अमावस्या का लक्खी मेला (Udaipur Lakkhi mela ) देश विदेश में विशेष पहचान रखता है. शहर में हरियाली अमावस्या के दूसरे दिन मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सिर्फ महिलाओं को ही प्रवेश मिलता है. इस ऐतिहासिक मेले में पुरुष दाखिल नहीं हो सकते हैं. ये परंपरा करीब 125 सालों से चली आ रही है. हालांकि पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नहीं किया जा सका था.

शुक्रवार को दूसरे दिन मेले में महिलाएं सुबह से ही अलग-अलग स्टॉल पर खरीदारी के लिए पहुंच रही हैं. सहेलियों की बाड़ी में लगे इस लक्खी मेले में करीब 350 अधिक दुकानें जबकि 9 छोटे बड़े झूले लगाए गए हैं. इस दौरान महिलाएं खाने-पीने, खिलौना और घरेलू सामानों की भी खरीदारी कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं इस मेले में शामिल होने के लिए पहुंच रही हैं. सुखाड़िया सर्किल सहेलियों की बाड़ी यूआईटी चौराहे से लेकर फतेहसागर तक सुबह से ही मेले की रंगत देखने को मिल रही है.

उदयपुर में हरियाली महोत्सव पर लगता है अनूठा मेला

सुरक्षा को लेकर महिला कांस्टेबल भी तैनात: महिलाएं बैग, पर्स, हैंडीक्राफ्ट, मनिहारी आइटम्स की खरीदारी (Hariyali Amavasya in Udaipur) के साथ बच्चे भी डोलर, झूले, चकरी और खिलौनों का आनंद ले रहे हैं. सुरक्षा की दृष्टि से मेले में हर जगह पुलिस तैनात किए गए हैं. वहीं मेले में दुकानदारों के अलावा किसी भी पुरुष का प्रवेश वर्जित है. सुरक्षा के लिए महिला कांस्टेबल भी तैनात हैं. सहेलियों की बाड़ी के मार्ग पर महिलाओं के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.

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महाराणा फतह सिंह ने की थी शुरुआत:इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत महाराणा फतह सिंह के कार्यकाल में सन 1898 में हुई थी. दुनिया में मेवाड़ ने पहली बार महिलाओं के अकेले मेले का आनंद लेने का एक विशेष मेला भरना शुरू हुआ. इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि तबसे परंपरा उदयपुर में महिलाओं के लिए विशेष मेले के रूप में हर साल हरियाली अमावस्या के दूसरे दिन भव्य मेला लगता है. पहले इसे दिवाली तालाब कहा जाता था, जिसके बाद इसे फतेहसागर नाम दिया गया.

पहली बार भरे फतेहसागर मेले को देखने के लिए महाराणा फतह सिंह चावड़ी रानी के साथ पहुंचे थे. जहां पूरे नगर को मुनादी कर बुलाया गया और मेले के रूप में बड़ा जश्न मनाया गया. इस दौरान रानी ने दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं के लिए मेला भरने की इच्छा जताई. इस पर फतह सिंह ने दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं के लिए मेला आयोजित करने की घोषणा की. तब से हरियाली अमावस्या पर लगने वाले दो दिवसीय मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए आयोजित होता है.

Last Updated : Jul 29, 2022, 10:00 PM IST

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