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Special: गुलाबी नगरी की जमीं से तारों के शहर तक...स्काई नाइट टूरिज्म के रोमांचक अनुभव का आगाज

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Published : Jan 22, 2021, 11:08 PM IST

कुछ साल पहले एक निजी कंपनी के सहयोग से सरकारी स्तर पर हेलीकॉप्टर के साथ आने वाले पर्यटकों को जयपुर शहर का एरियल व्यू दिखाने की कोशिश नाकामयाब रही थी. ऐसे में ये सवाल था कि क्या पिंकसिटी के इस आसमान से आने वाला पर्यटक अब दूर ही रहेगा. ऐसे में टेलीस्कोप के जरिए अब इस सपने को साकार करने की कोशिश को मूर्त रूप दिया गया है.

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जयपुर शहर के पर्यटन का नया अध्याय

जयपुर. गुलाबी शहर जयपुर एक मर्तबा फिर से आसमान के रास्ते से सैलानियों के दिलों पर राज करने वाला है. इसके लिए बाकायदा कला और संस्कृति विभाग ने शहर की चुनिंदा जगहों से आसमान के रोचक नजारों के दीदार की शुरूआत की है. देखिये यह खास रिपोर्ट...

जयपुर में स्काई नाइट टूरिज्म, जवाहर कला केंद्र की छत पर टेलीस्कोप

गौरतलब है कि कुछ साल पहले एक निजी कंपनी के सहयोग से सरकारी स्तर पर हेलीकॉप्टर के साथ आने वाले पर्यटकों को जयपुर शहर का एरियल व्यू दिखाने की कोशिश नाकामयाब रही थी. ऐसे में ये सवाल था कि क्या पिंकसिटी के इस आसमान से आने वाला पर्यटक अब दूर ही रहेगा. ऐसे में टेलीस्कोप के जरिए अब इस सपने को साकार करने की कोशिश को मूर्त रूप दिया गया है. जिसके लिए ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन के बाद तय स्थान से पर्यटक आकाश के रहस्यों और दिलचस्प नज़ारों से वाकिफ़ हो पाएंगे.

चांद कुछ यूं नजर आया

टेलीस्कोप से देख पाएंगे चांद की सतह

अक्सर हम आसमान में होती खगोलीय घटनाओं और उनकी हलचल से महरूम रह जाते हैं और उसको जानने की दिलचस्पी उतनी ही बढ़ती जाती है. लेकिन अब हर कोई टेलीस्कोप से खगोलीय पिंड देख सकेंगे. इसको लेकर साइंस एंड टेक्नोलॉजी और कला संस्कृति विभाग की ओर से शहर में स्काई नाइट टूरिज्म के नाम से इनिशिएटिव शुरू किया है.

जयपुर शहर के पर्यटन का नया अध्याय

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पर्यटन स्थलों से खगोलीय घटना दिखाने का इंतजाम

इसके तहत शहर के लोग अलग-अलग जगहों से टेलीस्कोप से खगोलीय घटनाओं को अपनी आंखों से देख सकेंगे और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. जहां लोग टेलीस्कोप के माध्यम से ग्रहों और सितारों का अवलोकन भी कर रहे हैं. जहां पर्यटकों को ग्रहों और चंद्रमा के अतिरिक्त ऐसे तारों का अवलोकन करने का अवसर मिला जो आमतौर पर खुली आँखों से दिखाई नहीं देते. इस अवसर पर टेलीस्कोप का संचालन करने वाले विशेषज्ञ राहुल शर्मा ने पर्यटकों को जानकारी देते हुए आकाशीय पिंडो के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य साझा किए.

जयपुर वासियों ने लिया नया अनुभव

भरना होगा गूगल फॉर्म

विभिन्न टूरिस्ट्स प्लेसेज पर टेलीस्कोप से खगोलीय पिंडो की विभिन्न एक्टिविटी देखने के लिए पहले बाकायदा एक गूगल फॉर्म बनाया गया है. जिसमें पर्यटक अपनी डिटेल सब्मिट करेंगे. हालांकि पहले 50 लोगों को इसमें शामिल होने का मौका मिलेगा और टेलीस्कोप्स के माध्यम से ग्रहों और सितारों का निरीक्षण करने का अवसर मिलेगा.

प्रमुख पर्यटन स्थलों पर लगेगा शो

जेकेके की छत से खूबसूरत नजारा

जवाहर कला केंद्र की छत पर भी स्थापित किए गए टेलिस्कोप पर ग्रहों और सितारों का दीदार करने शहरवासियों और पर्यटकों ने इसी प्रक्रिया को अपनाया. इस मौके पर युवा और बच्चे काफी उत्साहित दिखे और टेलीस्कोप से एक अलग अनुभव को साझा किया. हालांकि नाईट स्काई ऑब्जरवेशन का यह कार्यक्रम मौसम की स्थिति पर निर्भर रहेगा.

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कब कहां से क्या दिखाया जाएगा

कब कहां क्या
11 फरवरी जंतर-मंतर शनि, बृहस्पति, शुक्र व बुध ग्रह
5 मार्च अल्बर्ट हॉल बृहस्पति व बुध ग्रहों का संयोग
17 मई आमेर किला बुध ग्रह
26 मई आमेर दुर्ग वर्ष 2021 के सबसे बड़े चंद्रमा का दर्शन
3 जुलाई अल्बर्ट हॉल शुक्र ग्रह
2 अगस्त नाहरगढ़ दुर्ग बृहस्पति एवं चंद्रमा
23 अगस्त बृहस्पति पर होने वाला ग्रहण
4 सितंबर सिटी पैलेस वरुण और चंद्रमा
29 अक्टूबर शुक्र ग्रह
4 नवंबर जंतर-मंतर अरुण और चंद्रमा का खगोलीय दृश्य

ताकि बच्चों और लोगों में बढ़े खगोल विज्ञान का क्रेज

इसका मकसद साइंस और टेक्नोलॉजी को लेकर बच्चों और आमजन का खगोलीय घटनाओं के मद्देनजर ज्ञानवर्धन करना है. इसी को देखते हुए कला संस्कृति विभाग और साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने यह पहल की है. ताकि जयपुर के हिस्टोरिकल मोन्यूमेंट से चांद चारों और ग्रहों की सतहें देखी जा सकें. अब तक हम लोग इसको पढ़ते आए हैं या फिर बच्चों को पढ़ाते आए हैं. लेकिन अब चांद की सतह को टेलिस्कोप से देखने का एक अलग ही आनंद महसूस करेंगे. इसके अलावा पर्यटकों को एक फायदा यह भी होगा कि वो पूरे दिन गुलाबीनगरी का दीदार करने के बाद रात को नाईट टूरिज्म के तहत तारों के शहर की आंखों देखी सैर भी कर पाएंगे.

स्काई नाइट टूरिज्म का रोमांचक अनुभव

ऐसे में यह पहल नाइट टूरिज्म के लिए भी असरदार साबित होगी और पर्यटकों के लिए भी इसका अनुभव बेहद खास होगा. साथ ही इससे विज्ञान के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा होगी और आकाशीय पिंडो में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स और शोधार्थियों को भी इससे मदद मिलेगी.

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