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तीन गैर सरकारी संकल्प पर सार्थक चर्चा, पानी के संरक्षण पर सदन ने एकमत होकर रखे अपने सुझाव

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Published : Mar 25, 2022, 9:55 PM IST

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को गैर सरकारी कार्य के तौर पर 3 गैर सरकारी (Three Non Official Resolutions Placed in Rajasthan Assembly) संकल्प रखे गए. विधानसभा में गैर सरकारी संकल्प विधायक अशोक लाहोटी, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और बिहारी लाल ने रखा.

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तीन गैर सरकारी संकल्प पर सार्थक चर्चा

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को गैर सरकारी कार्य के तौर पर 3 गैर सरकारी संकल्प रखे गए. जिनमें विधायक अशोक लाहोटी की ओर से स्वच्छता को लेकर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से भूजल दोहन पर नियंत्रण व जल संरक्षण को लेकर प्रभावी कदम उठाने का गैर सरकारी संकल्प रखा गया. इसी प्रकार बिहारी लाल की ओर से राजस्थानी भाषा को प्रदेश में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का गैर सरकारी संकल्प रखा.

हालांकि, विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण के कानून (Rajasthan Assembly Today) बनाए जाने पर और मादक पदार्थों के उत्पादन बिक्री एवं सेवन पर प्रतिबंध को लेकर प्रभावी कदम उठाने के दो संकल्प और रखे जाने थे. लेकिन समय की कमी के चलते इन्हें अब आगे गैर सरकारी दिवस पर लिया जाएगा और आज 3 ही गैर सरकारी संकल्प रखे गए.

सदन में किसने क्या कहा, सुनिए...

राजेन्द्र राठौड़ प्रस्ताव पर कही ये बातः उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने प्रदेश में सतही जल की कमी व अंधाधुंध दोहन से भूजल के निरंतर गिरते स्तर से होने वाले संकट से बचाव के लिए भूजल दोहन पर नियंत्रण व जल संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए (Rajendra Rathore in Rajasthan Assembly) गैर सरकारी प्रस्ताव रखा. इस पर बोलते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह संकल्प मेरा नहीं है बल्कि विधानसभा के सभी सदस्यों का है. उन्होंने कांग्रेस को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपने चुनाव घोषणापत्र में जल संवर्धन और जल प्रबंधन की आज की सबसे बड़ी आवश्यकता को स्थान दिया था.

राठौड़ ने कहा डीफ्लोराइड को लेकर सभी विधायकों को मिलकर अपने क्षेत्र में निरीक्षण करना होगा. क्योंकि इसके लिए लगाए गए आरओ के फिल्टर चेंज नहीं हो रहे हैं. इसे विधायकों को ही देखना होगा. राजेंद्र राठौड़ ने यह स्वीकार किया कि पानी को रोकने के लिए कुछ एनीकेट भाजपा सरकार के समय बने तो कुछ कांग्रेस सरकार के समय. लेकिन अब पानी को बचाने के लिए सख्ती की जरूरत है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह पानी को लेकर कानून लाने की बात करते थे तो गांव में यह चर्चा होने लगी थी कि "यह ठाकर अब अपने कुओं पर कब्जा करवाएगा". लेकिन हमें कड़े फैसले करने होंगे. उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर भी यह स्वीकार किया की वाटर हार्वेस्टिंग की बात हम विधायक भी अपने घरों में लागू नहीं कर रहे हैं. जबकि इसकी बड़ी आवश्यकता है.

बलवान पूनिया बोले- हरियाणा में घग्गर नदी के पानी से हो रही खेतीः गैर सरकारी संकल्प पर बोलते हुए माकपा विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि हरियाणा ने राजस्थान के साथ जल समझौता होने के बाद घग्गर नदी का पानी रोका तो उसे कच्ची नहरों से अपने क्षेत्र में छोड़ दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि आज हरियाणा में धान की खेती हो रही है. दूसरी ओर उसी घग्गर नदी का पानी हनुमानगढ़ गंगानगर में आता है और ओवरफ्लो होने के बाद पाकिस्तान चला जाता है. जिसका राजस्थान को नुकसान हो रहा है.

नेता प्रतिपक्ष कटारिया बोले- पानी रिचार्ज करना सबसे जरूरीः इस संकल्प पर अपना संशोधन देते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पानी के संरक्षण को लेकर नीति बनाने की मांग सरकार से रखी. कटारिया ने कहा कि पानी के दोहन को तो नहीं रोका जा सकता. लेकिन कम से कम पानी रिचार्ज कैसे होगा, इस पर नीतिगत निर्णय लेने चाहिए. उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी बन रही है और सीमेंट की सड़कें सब जगह बनाई जा रही हैं. इससे उस स्मार्ट सिटी में जमीन में पानी कैसा जाएगा? इससे तो स्मार्ट सिटी कुछ सालों में ही मर जाएगी. कटारिया ने कहा की यही हालत विकास पथ के नाम पर गांव में हो रहे हैं. जहां गांव में 1 किलोमीटर की सीमेंट की सड़क बनाई जा रही है. लेकिन बारिश के पानी को रोकने का कोई प्रावधान नहीं किया जा रहा.

उन्होंने कहा कि जब भी सड़क बने तो कुछ दूरी पर वाटर रिचार्ज के लिए स्थान रखना होगा. कटारिया ने कहा कि ज्यादा गंदगी रोकने और साफ-सुथरे रहने के प्रयास में जो सीमेंट का उपयोग हो रहा है. इससे मिट्टी गायब हो गई है. अगर मिट्टी का स्थान नहीं रखा जाएगा तो पानी रिचार्ज कैसे होगा. नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर पेनल्टी का प्रावधान सख्ती से लागू किया जाना चाहिए.

धारीवाल बोले- नीतियां बन रही लेकिन इंप्लीमेंट हमें करना होगाः इस संकल्प पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की नीति तो पहले से बनी हुई है. लेकिन समस्या यह है कि उन नीतियों का पालन कैसे करवाएं?. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के पीछे रहेंगे तो कुछ नहीं होगा. हम विधायकों को खुद आगे आना होगा, तभी यह नीतियां लागू हो सकेगी. धारीवाल ने अपने गृह जिले कोटा का उदाहरण देते हुए कहा कि कोटा में चारों तरफ पानी है. लेकिन उसके बावजूद भी किसान अपने खेत में ट्यूबवेल स्टेटस सिंबल के तौर पर बनाता है. इस सोच को हम जनप्रतिनिधियों को ही बदलना होगा.

विधायक ग्राम सभाओं के विकास के कामों को लेकर अनभिज्ञः इस संकल्प पर बोलते हुए मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि जल संरक्षण जैसे मुद्दे पर हमें आगे होकर काम करना होगा. वाटर हार्वेस्टिंग की बात तो हमने की. लेकिन हम नहीं देख रहे कि नदियां कैसे समाप्त हो गई, कैसे हर जल क्षेत्र में एंक्रोचमेंट हो गया?. उन्होंने कहा की विधायक को यह पता ही नहीं कि जल संरक्षण के कितने काम उसके ब्लॉक में चल रहे हैं. विधायक ग्राम सभाओं में विकास के कामों को लेकर जागरूक नहीं हैं. वह मॉनिटरिंग नहीं कर रहे तो फिर कैसे जल संरक्षण और विकास के काम हो सकेंगे?. उन्होंने कहा की जल संरक्षण के काम नरेगा में उतने ही लिए जा सकते हैं, जितने का एक्ट में प्रावधान है. रमेश मीणा ने कहा कि राजस्थान का पानी बहकर मध्यप्रदेश में चला जाता है. राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ ही हमें इसका हल निकालना होगा.

मंत्री बीडी कल्ला ने फिर संकल्प के तौर पर रखी राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांगः राजस्थान विधानसभा में गैर सरकारी दिवस पर गैर सरकारी संकल्प रखे गए. उनमें राजस्थानी भाषा को द्वितीय राजभाषा घोषित करने का भी संकल्प भाजपा विधायक बिहारी लाल ने रखा. इस संकल्प को रखते हुए न केवल विधायक बिहारी लाल बल्कि इस पर जवाब देते हुए मंत्री बी डी कल्ला ने भी अपनी बात राजस्थानी भाषा में ही सदन में रखी.

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संकल्प रखते हुए विधायक बिहारी लाल ने कहा कि 200 में से 140 विधायक मुख्यमंत्री से राजस्थानी भाषा को दूसरी राजभाषा बनाने के लिए पत्र लिख चुके हैं. लेकिन विधायकों की मांग पूरी नहीं हुई. उन्होंने मंत्री बीड़ी कल्ला को याद दिलाया 25 अगस्त 2003 को इसी सदन में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने ही एक शासकीय प्रस्ताव राजस्थानी भाषा को लेकर राजस्थान विधानसभा में पास किया था. उन्होंने कहा कि अगर राजस्थानी भाषा में पेपर होगा तो 2000 में से 600 नंबर का पेपर राजस्थानी का होगा. जिससे राजस्थान के नौजवान ताकत से आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि जिस राजस्थानी कि अंग्रेजों के समय में आवश्यकता थी. उस राजस्थानी को आज मान्यता के लिए तरसना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 30 मार्च को राजस्थान का जन्मदिन है. उस दिन राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया जाए. उन्होंने कहा कि राजस्थानी कितनी समृद्ध भाषा है इसकी 73 बोलियां हैं.

कल्ला बोले- पक्ष, विपक्ष मिलकर पहले 28 मार्च को मुख्यमंत्री के सामने रखे प्रस्तावःमंत्री बीडी कल्ला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैने ही मंत्री रहते हुए इस भाषा का प्रस्ताव पास किया था. जहां केंद्र की सरकार जिस भाषा को 15 लाख लोग बोलते हैं उसे मान्यता दे देती है. लेकिन राजस्थान में करोड़ों लोग राजस्थानी बोलते हैं. उसकी मान्यता देने में केंद्र को कष्ट है. उन्होंने कहा कि 28 मार्च को मुख्यमंत्री सभी विधायकों से मुख्यमंत्री आवास में मिलेंगे तो उस समय सभी को मिलकर बात करनी चाहिए. साथ ही भाजपा और कांग्रेस सभी विधायकों को मिलकर केंद्र सरकार को भी यह बात कहनी चाहिए कि राजस्थानी भाषा को आठवीं सूची में शामिल की जाए. उन्होंने कहा कि 19 साल पहले मैं मंत्री था तब इसका शासकीय संकल्प लेकर आया था लेकिन पता नहीं वह फाइल कहां दीमक खा रही है.

पांच संकल्प होने थे पारित, लेकिन समय की कमी से तीन ही हो सकेः विधानसभा में पांच संकल्प पारित होने थे लेकिन समय के अभाव के चलते तीन संकल्प ही पारित हो सके. संकल्प पारित करते समय नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने स्पीकर सीपी जोशी के सामने यह प्रस्ताव रखा की इस तरीके से हर शुक्रवार को प्राइवेट बिल लाने पर चर्चा होनी चाहिए. जिसे स्पीकर सीपी जोशी ने भी स्वीकार कर लिया. हालांकि आज प्राइवेट बिलों पर सार्थक चर्चा हुई. लेकिन सभापति ने विधायकों की कमी की बात इस दौरान रखते हुए कहा कि जब इतनी बेहतरीन चर्चा हो रही है तो फिर अगर इसमें ज्यादा विधायक मौजूद होते तो और बेहतर होता.

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