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Rajasthan High Court: एसएलपी लंबित रहना कोर्ट के आदेश की पालना न करने का बहाना नहीं

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Published : Dec 22, 2021, 9:24 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रोफेसरों की वरिष्ठता से जुड़े मामले में आदेश जारी करते हुए कहा है कि एसएलपी लंबित रहना हाईकोर्ट के आदेश की पालना न करने का बहाना नहीं हो सकता है.

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राजस्थान हाईकोर्ट समाचार

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रोफेसरों की वरिष्ठता से जुडे़ मामले में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित होने के आधार पर हाईकोर्ट के आदेश की पालना करने से नहीं बचा जा सकता, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्टे नहीं दिया हो. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश सुनीत व अन्य की अवमानना याचिकाओं पर दिए. अदालत ने कहा कि यदि राज्य सरकार दो माह में पूर्व में दिए आदेश की पालना में जरूरी कार्रवाई नहीं करती है तो याचिकाकर्ता पुन: याचिका पेश कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सार्थक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स के प्रोफेसरों की वरिष्ठता के मामले में हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में आदेश दिए थे, लेकिन इस आदेश की पालना राज्य सरकार की ओर से नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई की गुहार की. वहीं इस दौरान राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी.

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इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई 2019 को मामले में नोटिस जारी कर दिए, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई. अवमानना याचिका में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में एसएलपी लंबित है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार किया जा रहा है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार जानबूझकर पालना में देरी कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो माह में पालना करने का समय दिया है.

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