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जयपुरः मछली व्यापारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर विरोध की दी चेतावनी

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Published : Jun 9, 2020, 11:08 PM IST

राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन ने 11 जून को होने वाली मत्स्य निविदाओं का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. साथ ही राजस्थान मत्स्य विभाग से 2020-21 की लीज राशि लॉकडाउन खत्म होने के 2 महीने बाद बिना ब्याज के लेने की मांग की है.

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मछली व्यापारियों ने दी निविदाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी

जयपुर. राजस्थान का मत्स्य पालक सबसे कम बारिश और पानी वाले सूखे इलाकों में भी विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए मत्स्य पालन कर रहा है. इसके बावजूद लॉकडाउन में राजस्थान मत्स्य विभाग की ओर से मत्स्य पालकों को राहत नहीं दी गई. ऐसे में राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन ने 11 जून को होने वाली मत्स्य निविदाओं का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.

मछली व्यापारियों ने दी निविदाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी

मछली व्यापारियों ने मत्स्य निविदाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी देते हुए मांग की है कि, 2020-21 की लीज राशि लॉकडाउन खत्म होने के 2 महीने बाद बिना ब्याज के जमा की जाए. लेकिन लॉकडाउन चालू रहते हुए ही मत्स्य विभाग ने 15 जून तक केवल 12 दिन की अवधि बढ़ाई है. उसके बाद मत्स्य पालकों की जमा राशि भी जप्त कर ली जाएगी. ऐसे में मत्स्य पालकों ने इस आदेश पर रोक लगाकर 2 महीने का अवसर देने की मांग की है.

राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि, मत्स्य पालक विषम परिस्थितियों में भी मत्स्य पालन करके जोखिम उठा रहे हैं, लेकिन मत्स्य विभाग कोई राहत नहीं दे रहा. मत्स्य पालकों की मांग है कि, लीज राशि में 50 प्रतिशत की छूट दी जाए, क्योंकि मार्च से सितंबर तक मत्स्य पालन का काम सुचारू रूप से नहीं हो पाएगा. सभी मत्स्य पालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. फरवरी से ही सोशल मीडिया पर मछली- मुर्गा से कोरोना होने की झूठी अफवाहें फैलाई गई थी. जिससे मत्स्य पालकों का काम फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही बंद पड़ा है.

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मत्स्य पालक विकास संगठन के सचिव भंवर सिंह ने बताया कि, मत्स्य पालकों ने मांग की है कि, सन 1953 से 1958 में बने हुए मत्स्य नियमों में परिवर्तन किया जाए. एक कमेटी बनाई जाए, जिसमें मत्स्य पालकों भी की भी हिस्सेदारी हो और नियमों में संशोधन किया जाए. अब तक जो भी नियम बने हुए हैं, वो सभी सरकारी अधिकारियों की सुविधा के अनुसार बनाए गए हैं. इनमें मत्स्य पालकों के हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है, सिर्फ रेवेन्यू पर ही विशेष ध्यान दिया गया है. जिससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है. मत्स्य विभाग की ओर से हर साल निविदा निकाली जाती है, लेकिन राजस्थान में एक भी सरकारी मछली मंडी नहीं है. इस समस्या का समाधान करते हुए सरकारी मछली मंडी का निर्माण किया जाए. मत्स्य पालकों से लॉकडाउन के दौरान भी ब्याज वसूला गया है. विकास के नाम पर लीज में हर साल लगने वाली 12 प्रतिशत बढ़ोतरी को खत्म किया जाए, क्योंकि मत्स्य विभाग किसी भी बांध का विकास नहीं करता है.

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