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अलविदा 2020 : सियासी गलियारों में छाए ऐतिहासिक किस्से...बगावत और बाड़ाबंदी से जूझकर भी बहाल रही सरकार

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Published : Dec 28, 2020, 7:05 AM IST

साल 2020 कई ऐतिहासिक घटनाओं के कारण याद किया जाएगा. मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों के पॉलिटिकल टूरिज्म इस साल हुए तो सचिन पायलट समेत 19 विधायकों की बगावत भी सुर्खियों में रही. 34 दिन तक सरकार को बाड़ाबंद रहना पड़ा तो राजभवन का घेराव भी ऐतिहासिक घटना साबित हुए. कोरोना ने कुछ सियासी शख्सियतों को छीन लिया तो राजनीतिक संकट का सुखद अंत भी यादगार रहा...

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साल 2020 में राजस्थान में घटी प्रमुख घटनाएं

जयपुर.साल 2020 अब खत्म होने जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते हर कोई यह कहता हुआ नजर आ रहा है कि जल्द से जल्द साल 2020 पूरा हो और नए साल में नई उम्मीदों के साथ लोग कोरोना महामारी से मुक्ति पाएं. साल 2020 कोरोना के साथ ही राजस्थान कांग्रेस पार्टी के लिए खासा महत्वपूर्ण रहा.

अलविदा 2020 : सियासी गलियारों में छाए ऐतिहासिक किस्से

इस साल को कई सियासी घटनाओं के कारण याद किया जाएगा. पहले सरकार बचाने के लिए मध्यप्रदेश के विधायकों को राजस्थान में बाड़ाबंदी करके लाना पड़ा. फिर राज्यसभा चुनाव के लिए गुजरात के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी हुई. राज्यसभा चुनाव के लिए खुद राजस्थान के विधायकों की 10 दिन के लिए बाड़ेबंदी हुई. इसके बाद हुई वह घटना जिसके लिए साल 2020 को राजनीति के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा. जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी.

बागी विधायकों ने हरियाणा के मानेसर में की बाड़ाबंदी

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आनन-फानन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के विधायक निर्दलीय सभी को 34 दिनों तक बाड़ाबंदी में रहना पड़ा. हालांकि 34 दिनों के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के दखल से सचिन पायलट कैंप की वापसी हुई. इस दौरान राजभवन का कांग्रेस पार्टी की ओर से घेराव चर्चा का केंद्र रहा. तो इस पूरे प्रकरण का असर यह पड़ा कि राजस्थान में पूरी कांग्रेस पार्टी को बदल दिया गया. राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा बनाए गए तो राजस्थान कांग्रेस के पूरे संगठन को भंग कर दिया गया. राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे को भी विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद हटा दिया गया. उनकी जगह अजय माकन को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया.

प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने की पायलट से मुलाकात

कोरोना के चलते विधायक कैलाश त्रिवेदी और किरण महेश्वरी का निधन हुआ. मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का भी लंबी बीमारी से निधन हुआ. ऐसे में राजस्थान विधानसभा के 3 विधायकों का निधन पद पर रहते हुए हुआ तो आधा दर्जन पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों की जिंदगी भी कोरोना ने लील ली. साल 2020 में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 6 में से 4 निगम में जीत मिली तो वहीं पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस सरकार में रहते हुए भी बुरी तरीके से हारी. इसके बाद हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस ने संतोषजनक प्रदर्शन किया.

मुख्यमंत्री ने राजस्थान में नहीं गिरने दी सरकार
आइए एक नजर डालते हैं 2020 कि प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर

कोटा में बच्चों की मौत पर सियासत, पायलट की तल्खी- - कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत पर 4 जनवरी को सचिन पायलट ने अस्पताल का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार को घेरा. साथ ही बच्चों की मौत पर जिम्मेदारी तय करने की बात कही.

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सचिन का रिकॉर्ड- 20 जनवरी को सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 6 साल पूरे किए. एक बार में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष बने रहने वाले नेता सचिन पायलट बने जिन्होंने पूर्व अध्यक्ष परसराम मदेरणा का रिकॉर्ड तोड़ा.

मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल-ज्योतिरादित्य के इस कदम से और उनके साथ कांग्रेस के विधायकों के भाजपा के साथ चले जाने पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अस्थिर हो गई. सरकार बचाने के लिए मध्यप्रदेश के विधायकों को 11 मार्च को जयपुर लाया गया. जिनमें से मध्यप्रदेश के 50 विधायकों को जयपुर के ब्यूना विस्ता रिसॉर्ट में और 36 विधायकों को होटल ट्री फार्म जयपुर में रुकवाया गया. यह सभी विधायक 15 मार्च को वापस मध्यप्रदेश लौट गए. इस दौरान जयपुर में कांग्रेस नेता हरीश रावत और मुकुल वासनिक डटे रहे.

राज्यसभा चुनाव में बाड़ाबंदी का केंद्र रहा जयपुर

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गुजरात कांग्रेस के विधायकों का पॉलीटिकल टूरिज्म- 12 मार्च को गुजरात कांग्रेस के विधायकों को राज्यसभा चुनाव में तोड़फोड़ से बचाने के लिए जयपुर लाया गया. जिन्हें जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में रखा गया. सभी विधायक 24 मार्च को वापस गुजरात लौट गए. क्योंकि कोरोना के चलते राज्यसभा चुनाव को स्थगित कर दिया गया था.

नीरज डांगी, वेणुगोपाल राज्यसभा सांसद उम्मीदवार- राज्यसभा चुनाव में राजस्थान के सांसदों की पहली बार बाड़ाबंदी हुई थी. मार्च महीने में नीरज डांगी और केसी वेणुगोपाल को राज्यसभा सांसद का उम्मीदवार बनाया गया. 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव को कोरोना के चलते स्थगित किया गया. चुनाव की तारीख 19 जून तय की गई. उधर बहुमत नहीं होने के बावजूद भी भाजपा ने अपना दूसरा प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत राज्यसभा सांसद के लिए उतार दिया. 10 जून को राजस्थान में पहली बार खरीद-फरोख्त की शिकायत एसओजी तक पहुंची. 10 जून को राजस्थान की सीमाएं सील की गईं और मुख्य सचेतक ने एसीबी में सरकार अस्थिर करने के प्रयासों का मामला दर्ज करा दिया.

बागी विधायकों ने हरियाणा के मानेसर में की बाड़ाबंदी

सरकार शिफ्ट हुई होटलों में- 10 जून को राजस्थान कांग्रेस के सभी विधायकों को पहले रिसोर्ट शिव विलास और फिर 12 जून को जेएसडब्ल्यू मेरिट में शिफ्ट किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह आरोप भी लगाया कि विधायकों को खरीदने के लिए बड़ी राशि राजस्थान आई है. इस मामले में सचिन पायलट नाराज हो गए और उन्होंने किसी भी तरीके की खरीद-फरोख्त से इनकार किया. बाद में 12 जून को कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता जिनमें केसी वेणुगोपाल ,रणदीप सुरजेवाला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक साथ प्रेस कांफ्रेंस की और एकता की बात कही. इसी दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महेश जोशी के एसीबी में दर्ज कराए केस की जांच एसओजी को सौंप दी. इस बाड़ेबंदी में कांग्रेस विधायक रमेश मीणा नाराजगी दिखाते हुए 6 दिन तक नहीं पहुंचे. बाद में कांग्रेस नेताओं के कहने पर वह 16 जून को बाडाबंदी में पहुंचे. 10 दिन बड़ाबंदी में रहकर सभी विधायक सीधे विधानसभा में होटल से ही वोटिंग करने पहुंचे. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया से कांग्रेस विधायक वाजिब अली सीधे विधानसभा में मतदान करने पहुंचे तो उन पर कोरोना गाइडलाइन तोड़ने का आरोप लगा. जिसके बाद उन्होंने पीपीई किट पहन कर उन्होंने अपना मतदान किया. चुनावों में कांग्रेस के दोनों राज्यसभा सांसद के प्रत्याशी नीरज डांगी और केसी वेणुगोपाल को जीत मिली.

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डीजल पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन- यह अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट का अंतिम प्रदर्शन भी बना. 29 जून को डीजल -पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमतों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन हुआ. जिसमें मंत्री विधायक ऊंट गाड़ी, बैलगाड़ी और साइकिल पर प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचे. यह प्रदर्शन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट का अंतिम प्रदर्शन साबित हुआ.

भाजपा का सीएम को विशेषाधिकार हनन का नोटिस- भाजपा की ओर से खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ 10 जुलाई को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया.

गोविंद सिंह डोटासरा को मिली कांग्रेस कमेटी की कमान

पायलट बर्खास्त, डोटासरा बने पीसीसी चीफ-प्रदेश में हुई राजनीतिक उठापटक के बाद राजस्थान के इतिहास के सबसे लंबे अध्यक्ष रहे सचिन पायलट को बर्खास्त किया गया. उनकी जगह गोविंद सिंह डोटासरा जो शिक्षा मंत्री थे उन्हें नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही यूथ कांग्रेस की कमान विधायक गणेश घोघरा और सेवा दल की कमान हेम सिंह शेखावत को दी गई.

एक साल में यूथ कांग्रेस के 3 अध्यक्ष-साल तक राजस्थान में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चांदना रहे. इस बार मार्च महीने में यूथ कांग्रेस के चुनाव के बाद पहले सुमित भगासरा को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बताया गया, लेकिन बाद में परिणामों में धांधली के आरोप के बाद विधायक मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. सचिन पायलट के साथ बागी होने के चलते उन्हें भी अपने पद से हटाया गया और उनकी जगह विधायक गणेश घोघरा को यूथ कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया.

अविनाश पांडे आउट, अजय माकन इन-राजस्थान कांग्रेस में चले पॉलीटिकल क्राइसिस के बाद पायलट कैंप की तो वापसी हो गई. लेकिन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की 16 अगस्त को राजस्थान प्रभारी पद से छुट्टी कर दी गई. अविनाश पांडे की जगह कांग्रेस महासचिव अजय माकन को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया गया.

कांग्रेस ने बनाई बागी विधायकों की बात सुनने के लिए कमेटी- सचिन पायलट और बागी विधायकों के मुद्दों को सुनने के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस ने 17 अगस्त को 3 सदस्य कमेटी बनाई. जिसमें अजय माकन केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल को रखा गया. हालांकि इस कमेटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. इसी बीच अहमद पटेल के निधन के चलते अब इस कमेटी की रिपोर्ट कौन देगा और कैसे देगा इस पर संशय बना हुआ है.

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प्रदेश प्रभारी अजय माकन का दौरा-माकन पहली बार 31 अगस्त को जयपुर आए. आते ही उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मुलाकात की. उन्होंने 1 सितंबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लिया. इसके बाद उन्हें 1 सितंबर को जयपुर और 2 सितंबर को अजमेर संभाग के नेताओं का फीडबैक लेना था. लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के चलते उन्होंने फीडबैक कार्यक्रम रद्द कर दिया. दोबारा से 9 सितंबर को अजमेर और 10 सितंबर को जयपुर संभाग का दौरा किया. अजमेर संभाग के दौरे में विधायक राकेश पारीक ने कार्यकर्ताओं को अंदर नहीं जाने देने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया हालांकि बाद में मामला सुलझा लिया गया. अजय माकन ने आते ही जिलों के प्रभारी मंत्रियों में बदलाव किया गया. मंत्रियों के लिए यह तय किया कि हर 1 महीने में एक बार वे जिलों में जनसुनवाई करेंगे तो 2 अक्टूबर को उन्होंने सरकार के मेनिफेस्टो में किए गए कामों को सामने रखने के निर्देश दिए.

सचिन ने सादगी से मनाया जन्मदिन-7 सितंबर को सचिन पायलट ने अपना जन्मदिन मनाया. उन्होंने किसी से मुलाकात नहीं की लेकिन उनके समर्थकों ने पायलट के 43 वें जन्मदिन पर 43000 यूनिट ब्लड डोनेशन किया.

कृषि कानूनों के विरोध में गहलोत की प्रेस कॉन्फ्रेंस- कोरोना संक्रमण के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होटल की बाड़ाबंदी के अलावा 6 महीने तक कहीं नहीं गए. लेकिन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में जयपुर में 25 सितंबर को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह शामिल हुए. जिसमें उनके साथ रणदीप सुरजेवाला और मध्य प्रदेश के मंत्री टीके सिंह देव भी मौजूद रहे.

राहुल प्रियंका के साथ दुर्व्यवहार पर कांग्रेस का प्रदर्शन- 1 अक्टूबर को हाथरस में जाने से पहले प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ यूपी के प्रशासन की ओर से किए गए दुर्व्यवहार के विरोध में राजस्थान कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों ने जयपुर के अंबेडकर सर्किल पर धरना प्रदर्शन किया. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पहली बार 1 अक्टूबर को ही किसी प्रदर्शन में शामिल हुए.

विधायकों ने खोला अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा- सचिन पायलट और उनके साथ रहे विधायकों के अलावा भी तीन विधायक ऐसे रहे जिन्होंने पॉलीटिकल क्राइसिस समाप्त होने के बाद अपने ही मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला. इसमें 15 सितंबर को कोटा से सांगोद विधायक भरत सिंह ने मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए. 13 अक्टूबर को कांग्रेस विधायक बाबूलाल कठूमर ने मंत्री रघु शर्मा और बीडी कल्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. तो वहीं 11 दिसंबर को विधायक इंदिरा मीणा ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मंत्रियों पर विधायकों की अनदेखी करने के आरोप लगाए.

नगर निगम, पंचायती राज, निकाय चुनाव- राजस्थान में पॉलीटिकल क्राइसिस के बाद तीन चुनाव हुए. इनमें से नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 6 में से चार नगर निगम में अपने महापौर बनाकर जीत दर्ज की. तो वहीं जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता में होने के बावजूद भाजपा से पिछड़ गई. हालांकि निकाय चुनाव में नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए. लेकिन निकाय चुनाव में भी बड़ी तादाद में जीते निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस के लिए सोचने का विषय बने हुए हैं.

घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी हुई

घनश्याम तिवाड़ी की भाजपा में घर वापसी- मार्च 2019 में राहुल गांधी के सामने कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले घनश्याम तिवारी ने 12 दिसंबर को वापस अपनी पार्टी भाजपा में घर वापसी कर ली.

कोरोना के कारण सियासी शख्सियतों का निधन- कोरोना के चलते राजस्थान के 2 विधायकों का निधन हो गया. वहीं मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का भी लंबी बीमारी के बाद निधन हुआ. 27 दिसंबर तक राजस्थान में 2670 लोगों का कोरोना के चलते निधन हुआ तो करीब 305360 लोग इससे संक्रमित हुए तो वही कोरोना महामारी ने राजस्थान विधानसभा के 2 सदस्यों के प्राण भी ले लिए जिनमें 6 अक्टूबर को कैलाश त्रिवेदी और 30 नवंबर को किरण महेश्वरी का कोरोना के चलते निधन हुआ हालांकि मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का निधन लंबी बीमारी के बाद हुआ. ऐसे में राजस्थान विधानसभा के 3 सदस्यों का साल 2020 में निधन हुआ है. वहीं पूर्व मंत्री हरि सिंह, मानिकचंद सुराणा, ललित भाटी और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा की कोरोना बीमारी से मौत हुई.

साल 2020 में कई राजनीतिक हस्तियों का हुआ निधन

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40 विधायक हुए कोरोना पॉजिटिव-कोरोना संक्रमण के चलते विधायक सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, रफीक खान, हेमाराम चौधरी ,राजेंद्र पारीक, दानिश अबरार, रामलाल जाट, राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, कैलाश मेघवाल, नरपत सिंह राजवी, मदन दिलावर, कालीचरण सराफ, अर्जुन जीनगर, चंद्रभान सिंह आक्या, अनिता भदेल, सुखराम बिश्नोई ,उदयलाल आंजना, रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियावास, सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी ,अर्जुन राम मेघवाल, हनुमान बेनीवाल, किरोडी लाल मीणा, राजेंद्र गहलोत संक्रमित हुए.

कुल मिलाकर यह साल राजनीतिक घटनाओं, बयानबाजी, उथल-पुथल और आरोप-प्रत्यारोप से भरा रहा. हालांकि सियासी बवंडर शांत हो गया और प्रदेश में गहलोत सरकार गिरने से बच गई. उम्मीद अब यही की जा रही है कि आने वाले साल में कांग्रेस की नई कार्यकारिणी नई ऊर्जा के साथ काम करेगी.

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