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कांग्रेस VS कांग्रेस : पार्टी के अपने ही नेताओं से पंचायत चुनाव में भितरघात का डर...निर्दलीय विधायकों की मुखालफत भी पड़ सकती है भारी

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Published : Aug 21, 2021, 5:06 PM IST

राजस्थान के 6 जिलों में होने जा रहे पंचायती राज चुनाव (Panchayati Raj Elections) में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के सामने दोहरी मुसीबत है. पार्टी को अपने ही नेताओं के भितरघात का डर सता रहा है. जबकि पहले से निर्दलीय विधायकों (independent MLA) की मुखालफत पार्टी का सिरदर्द बनी हुई है. अब चुनावी मैदान में कांग्रेस के बागी कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने के लिए डंट गये हैं.

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जयपुर. राजस्थान में 6 जिलों में होने जा रहे पंचायत चुनाव कांग्रेस के लिए तलवार की धार साबित हो रहे हैं.2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेता निर्दलीय विधायकों के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं. समस्या निर्दलीय विधायकों की विधानसभा में आने वाली पंचायत समिति और जिला परिषद की सीटें तो हैं ही, 6 जिलों में कई सीटों पर मुकाबला कांग्रेस बनाम कांग्रेस होता जा रहा है.

जयपुर के चौमूं, सिरोही, जोधपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर जिलों में कांग्रेस के नेता अपने ही नेताओं के खिलाफ खड़े हैं. जोधपुर में मदेरणा परिवार और बद्रीराम जाखड़ परिवार आमने-सामने हैं, भरतपुर में विधायक जाहिदा खान और विधायक वाजिब अली आमने-सामने हैं. सिरोही में कांग्रेस के नेताओं ने प्रभारी रामलाल जाट पर उद्योगपति के कहने पर टिकट देने के आरोप है. सवाई माधोपुर जिले में विधायक इंदिरा मीणा और उनके भाई के बीच विवाद दिख रहा है. खंडार से विधायक अशोक बैरवा और उनके भाई के परिवार में टिकट वितरण पर विवाद हो गया है. चौमूं के पूर्व विधायक रामेश्वर यादव के बेटे नरेंद्र यादव ने सिंबल में गड़बड़ी करने के आरोप पूर्व विधायक भगवान सहाय सैनी पर लगाते हुए निर्दलीय ही डाल ठोंक दी है.

पंचायत चुनाव में कांग्रेस को अपनों से डर

विवाद का आंच प्रभारियों पर भी

कांग्रेस में टिकट वितरण विवाद की आंच ने प्रभारियों को भी जद में ले लिया है. इन विवादों का असर कांग्रेस के प्रभारियों पर भी पड़ा है. जोधपुर संभाग के प्रभारी रामलाल जाट और प्रशांत बैरवा पर कांग्रेस के नेताओं ने टिकट वितरण में मनमर्जी के आरोप लगाए हैं. भरतपुर में भी विधायक जाहिदा खान ने नगर से विधायक वाजिब अली पर टिकट वितरण में फर्जीवाड़े के आरोप लगाए. तो वाजिब अली ने भी इस बात पर सवाल उठा दिए कि जब संभाग प्रभारी जितेंद्र सिंह हैं तो फिर किस अधिकार से विधायक जाहिदा खान ने वेद सोलंकी को पत्र लिखा.

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यहां कांग्रेस में आपसी विवाद

1.भरतपुर में विधायक जाहिदा VS विधायक वाजिब अली

भरतपुर जिले में कांग्रेस की विधायक जाहिदा खान और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए वाजिब अली के बीच टिकट वितरण को लेकर विवाद है. विधायक जाहिदा खान ने वाजिब अली पर फर्जी सिंबल बांटने के आरोप लगाए हैं, वाजिब अली ने भी जाहिदा खान पर आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस को भितरघात का डर

2. मदेरणा परिवार VS बद्रीराम जाखड़ परिवार

जोधपुर जिले में पाली के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ और कद्दावर मदेरणा परिवार के बीच द्वंद दिखाई दे रहा है. जहां बद्रीराम जाखड़ अपनी बेटी मुन्नी देवी गोदारा को जिला प्रमुख बनाना चाहते हैं, तो वहीं मदेरणा परिवार की बहू और दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा जिला प्रमुख दावेदार हैं. वहीं इस पूरे मामले में बद्रीराम जाखड़ ने प्रभारी रामलाल जाट और प्रशांत बैरवा पर भी गलत टिकट वितरण करने के आरोप लगा दिए.

3. पूर्व विधायक भगवान सहाय सैनी VS पूर्व विधायक रामेश्वर यादव

जयपुर के चौमूं से पूर्व विधायक भगवान सहाय सैनी और चौमूं के ही पूर्व विधायक रहे रामेश्वर यादव के बेटे नरेंद्र यादव के सिंबल में गड़बड़ी के बाद दोनों ही पक्षों में तलवारें खिंच गई हैं. दरअसल नरेंद्र यादव के सिंबल में उनकी जाति लिखने में गलती कर दी गई, जिससे नरेंद्र यादव को अब निर्दलीय ही चुनाव में मैदान में उतरना पड़ रहा है. ऐसे में अब नरेंद्र यादव सिंबल में हुई गड़बड़ी के लिए भगवान सहाय सैनी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

4. अशोक बैरवा और उनके भाई

खंडार से कांग्रेस के विधायक अशोक बैरवा और उनके भाई के बीच ही ठन रही है. यही कारण है कि खंडार विधायक अशोक बैरवा के भाई की पत्नी भूमेश चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति से निर्दलीय ही चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में विधायक को अपने परिवार से ही चुनौती मिल रही है.

पंचायत चुनाव में कांग्रेस की राह मुश्किल

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इन 9 विधानसभा सीटों पर पहले से था विवाद

कांग्रेस पार्टी में टिकट वितरण से पहले ही 9 विधानसभा सीटों पर विवाद था. जहां विधानसभा से निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए या समर्थक पार्टी के विधायक हैं. इन सीटों में दूदू से बाबूलाल नागर और कांग्रेस प्रत्याशी रितेश बैरवा, बस्सी से निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीणा और कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी रहे दौलत मीणा, शाहपुरा से निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल और कांग्रेस के प्रत्याशी रहे मनीष यादव, महुआ से ओम प्रकाश हुडला और पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह और गंगापुर सिटी से रामकेश मीणा और वहां से कांग्रेस प्रत्याशी रहे राजेश अग्रवाल के बीच विवाद है.

तो वहीं बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नगर विधायक वाजिब अली और नदबई विधायक जोगिंदर अवाना के खिलाफ भी कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं ने ताल ठोंक रखी है. ऐसे में कहा जा रहा है कि 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेताओं ने अब कई निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं, जो पर्दे के पीछे इन निर्दलीयों और समर्थित विधायकों को सबक सिखाने का प्लान है.

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