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बजरी समस्या से जूझ रहे प्रदेशवासियों को मिलेगी राहत, गेम चेंजर साबित होगी एम-सैंड नीति: CM गहलोत

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Published : Jan 25, 2021, 3:37 PM IST

प्रदेश की बहुप्रतिक्षित एम-सैंड नीति सोमवार को जारी कर दी गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एम-सैंड नीति का लोकार्पण किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह नीति गेम चेंजर साबित हो सकती है.

M-Sand policy in Rajasthan, सीएम अशोक गहलोत
CM गहलोत ने एम-सैंड नीति का लोकार्पण किया

जयपुर.बजरी की समस्या से जूझ रहे प्रदेश के लोगों के लिए एम-सैंड इसका एक बेहतर विकल्प साबित होगी. प्रदेश की नई एम-सैंड नीति सोमवार को जारी कर दी गई है. सीएमआर में आयोजित कार्यक्रम में इस बहुप्रतीक्षित नीति को जारी किया गया. इस नीति को जारी करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यह नीति प्रदेश के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है, इसे सही तरीके से बस लागू करने की जरुरत है.

CM गहलोत ने एम-सैंड नीति का लोकार्पण किया

सीएम गहलोत ने कहा कि लंबे अरसे से इस पर विचार-विमर्श चल रहा था लेकिन आज वह शुभ दिन आ ही गया, जब यह नीति जारी की जा रही है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि निवेशकों को एम-सैंड की इकाईयां स्थापित करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े, इसके पुख्ता बंदोबस्त किए जाएं. एम-सैंड इकाई लगाने के लिए निवेशकों को जमीन अलॉटमेंट में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. साथ ही उन्हें बैंक लोन आदि में भी सुगमता होनी चाहिए.

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सीएम ने इस नई नीति के लिए बधाई देते हुए कहा कि राजस्थान से ज्यादा इसकी अहमियत कोई नहीं समझ सकता. तमाम प्रयासों के बावजूद बड़े स्तर पर बजरी का अवैध खनन हुआ और इसकी भरपाई सरकार को करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि एम-सैंड ना केवल पर्यावरण बल्कि रोजगार की दृष्टि से भी बड़ा कदम साबित होगा लेकिन जनता को इसकी अहमियत समझाए जाने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि एम-सैंड की नीति लागू होने से ऑवर बर्डन के ढेरों से निजात मिलेगी. उन्होंने बजरी खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी जल्द आने की उम्मीद जताई है.

एम सैंड नीति राज्य सरकार की प्राथमिकता

वहीं खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि बजरी की समस्या से जूझ रहे प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए यह नीति तैयार करना राजस्थान सरकार की प्राथमिकता थी. नीति में भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए सुधार का प्रावधान किया गया है और यह एक दीर्घकालीन कदम साबित होगी. भाया ने कहा कि राज्य सरकार ने राजकीय निर्माणों में कम से कम 25 प्रतिशत एम-सैंड के उपयोग का प्रावधान किया है और जरुरत इसे बढ़ावा देने की है. एम-सैंड नीति में प्रावधान किया गया है कि परमिट क्षेत्र में अनुमति प्राप्त कर इकाई स्थापित की जा सकती है. साथ ही शहरी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी इसमें उपयोग किया जा सकता है. प्रदेश में करीब 1000 मिलियन टन ऑवरबर्डन की मात्रा मौजूद है, जिसका निस्तारण अब एम-सैंड के रूप में हो सकेगा.

क्या है इसमें :

  • राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की मांग सालाना होती है
  • 16 नवम्बर 1017 से प्रदेश में बजरी का खनन है बंद है
  • वर्तमान में जयपुर, दौसा, जोधपुर, भरतपुर में 20 एम-सैंड इकाईयां क्रियाशील हैं
  • इन इकाईयों से प्रतिदिन करीब 20 हजार टन एम-सैण्ड का उत्पादन होता है
  • एम-सैंड नीति से बजरी का सस्ता और सुगम उपयोग होगा
  • पर्यावरण को संरक्षित करना और नदियों से बजरी की आपूर्ति पर निर्भरता में कमी भी मकसद
  • खनिज आधारित उद्योंगों को इससे बढावा मिलेगा
  • स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे
  • निवेशकों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2019 के परिलाभ मिलेंगे
  • SGST पर 7 वर्ष के लिए 75 प्रतिशत की निवेश सब्सिडी मिलेगी
  • कर्मचारियों के EPF और ESI हेतु 50 प्रतिशत योगदान का सहयोग
  • निवेशकों को 100 प्रतिशत विद्युत शुल्क भुगतान से छूट मिलेगी
  • 2 करोड़ से ज्यादा के निवेश पर मिलेंगे अतिरिक्त लाभ
  • एसजीएसटी पर 25 प्रतिशत की अतिरिक्त निवेश सब्सिडी मिलेगी
  • प्लांट या मशीनरी में निवेश के सावधि ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान मिलेगा
  • 5 वर्ष के लिए अधिकतम 25 लाख प्रतिवर्ष का अनुदान मिलेगा
  • प्लांट या मशीनरी पर किए गए 20 प्रतिशत निवेश के बराबर पूंजी सब्सिडी मिलेगी

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