जयपुर. प्रदेश में महिला दुष्कर्म के आंकड़ों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के बाद विपक्ष तो हमलावर है ही, अब महिला संगठनों ने भी गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. साथ ही सामाजिक संगठनों ने गुजरात सरकार की ओर से बिलकिस बानों के हत्यारों को रिहा करने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है. सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया कि आजादी के अमृत महोत्सव के बहाने गुजरात सरकार ने दुष्कर्मियों को रिहा कर न केवल रिहाई के नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि महिला अस्मिता के साथ भी खिलवाड़ किया है.
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते अत्याचार और बढ़ती यौन हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ये बयान कि 'महिला झूठे मुकदमे दर्ज करवाती है', शर्मनाक है. इस बयान को तत्काल सीएम गहलोत को माफी के साथ (CM Gehlot Statement on Rape Case) वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान भर के महिला, जन संगठन और सभी प्रबुद्ध जन, राजस्थान में महिलाओं एवं बालिकाओं पर बढ़ती यौन हिंसा, बलात्कार एवं अत्याचार को लेकर बहुत नाराज है और चिंतित भी हैं.
बलात्कार और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाएं केवल आंकड़ों का सवाल नहीं है, बल्कि महिलाओं और बच्चियों के साथ बढ़ती असुरक्षा के साथ अपराध का बुनियादी प्रश्न है. यह सरकार की नाकामी है कि राजस्थान में महिलाओं व बालिकाओं के लिए सुरक्षित माहौल नहीं दे सकी है. सही और न्यायपूर्ण जांच तो बहुत दूर की बात है. अरुणा रॉय ने कहा कि सीएम गहलोत का 2 सितंबर को दिए गए बयान की कड़े शब्दों मे निंदा की, जिसमे उन्होंने कहा था कि 'बलात्कार के आरोपी विदेश से नहीं आते, ज्यादातर मामलों मे परिवार, जान-पहचान और रिश्तेदार ही होते हैं'. रेप की सही घटना में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की हो, ऐसा एक भी मामला नहीं है.
महिला अत्याचार से संबंधित 56 प्रतिशत मामले झूठे दर्ज होने से राजस्थान पुलिस, सरकार और प्रदेश की छवि खराब हो रही है. रॉय ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से कहना चाहेंगे कि 56 प्रतिशत मामलों में राजस्थान पुलिस अपने थानों के जरिए चालान न पेश करके, मामले बंद कर देते हैं. इसका मतलब बिल्कुल नहीं कि औरत झूठे मुकदमे दर्ज करवा रही है.