राजस्थान

rajasthan

हाल-बे-हाल! बाजार में झूलते तार घटना को दे रहे दावत, फिर भी फायर फाइटिंग सिस्टम के बिना चल रहा पुरोहित जी का कटला

By

Published : Dec 10, 2019, 8:54 AM IST

राजधानी में आग लगने की घटनाओं के लिहाज से सबसे संवेदनशील पुरोहित जी का कटला के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे. यहां आज भी सिर पर बिजली के तार झूल रहे हैं. बाजार के नाम पर सैकड़ों दुकानें और तंग गली है. लेकिन आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है.

Arrangement for fire safety in jaipur, जयपुर में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था
पुरोहित जी का कटला बाजार में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था

जयपुर.त्रिपोलिया बाजार स्थित पुरोहित जी का कटला, कहने को तो ये बता बहुत कम एरिया में बना है। लेकिन यहां जोहरी बाजार के गेट से त्रिपोलिया बाजार के गेट तक 500 से ज्यादा दुकानें मौजूद है. जहां तिल से लेकर ताड़ तक सभी वस्तुएं उपलब्ध है. जयपुर में शादी के सीजन के दौरान और आम दिनों की तुलना में यहां ग्राहकों की आवाजाही दोगुनी हो जाती है.

पुरोहित जी का कटला बाजार में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था...

ये मार्केट दूसरे बाजारों की तुलना में सस्ता तो है, लेकिन सुरक्षित नहीं. या यूं कहा जाए परकोटे में आग लगने की घटनाओं के लिहाज से ये बाजार सबसे ज्यादा संवेदनशील है. तंग गली और सैकड़ों दुकानों के बीच भीड़ से भरे इस बाजार में आग लगने की स्थिति में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है.

ये पढ़ेंः सरकार 'राज' - 1 साल : घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज में किया शामिल, कई योजनाएं की शुरू

बता दें कि यहां फायर फाइटिंग सिस्टम के नाम पर एक फायर इक्विपमेंट जरूर है. लेकिन उसमें भी ना तो कोई पानी का सोर्स है, और ना ही वाटर कैनन. इसके अलावा क्षेत्रीय व्यापारियों की माने तो निगम इस बाजार को हर बार शिफ्ट करने की बात कहता है. लेकिन यहां आग से लड़ने के लिए उपकरण लगाने के नाम पर पीछे हट जाता है. इस बाजार में एंट्री/एग्जिट के तीन गेट हैं, लेकिन बाजार कन्जेस्टेड होने के चलते, आग लगने की स्थिति में यहां भयावह स्थिति बन सकती है.

ये पढ़ेंः दिल्ली रैली की तैयारी में जुटा राजस्थान कांग्रेस संगठन, 50 हजार की भीड़ जुटाने का टारगेट

हालांकि साल 2015 से लेकर अब तक निगम में कई बार पुरोहित जी के कटले में अतिक्रमण हटाने और फायर फाइटिंग सिस्टम विकसित करने को लेकर फाइलें चली है. लेकिन कार्रवाई कागजों से बाहर नहीं आई. यहां बिजली के झूलते तारों को भूमिगत करने, हर एक दुकानदार को फायर उपकरण रखने और बाजार में मौजूद कुएं के जरिये पानी की व्यवस्था करते हुए ओवरहेड पानी का टैंक बनाने के महज प्लान तैयार हुए हैं. लेकिन अब तक इन्हें धरातल पर नहीं उतारा गया है. शायद प्रशासन और क्षेत्रीय व्यापारी किसी बड़ी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहे हैं.

Intro:जयपुर - राजधानी में आग लगने की घटनाओं के लिहाज से सबसे संवेदनशील पुरोहित जी का कटला के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। यहां आज भी सिर पर बिजली के तार झूल रहे हैं। बाजार के नाम पर सैकड़ों दुकानें और तंग गली है। लेकिन आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है।


Body:जयपुर के त्रिपोलिया बाजार स्थित पुरोहित जी का कटला। कहने को तो ये बता बहुत कम एरिया में बना है। लेकिन यहां जोहरी बाजार के गेट से त्रिपोलिया बाजार के गेट तक 500 से ज्यादा दुकानें मौजूद है। जहां तिल से लेकर ताड़ तक सभी वस्तुएं उपलब्ध है। जयपुर में शादी के सीजन के दौरान और आम दिनों की तुलना में यहां ग्राहकों की आवाजाही दोगुनी हो जाती है। ये मार्केट दूसरे बाजारों की तुलना में सस्ता तो है, लेकिन सुरक्षित नहीं। या यूं कहा जाए परकोटे में आग लगने की घटनाओं के लिहाज से ये बाजार सबसे ज्यादा संवेदनशील है। तंग गली और सैकड़ों दुकानों के बीच भीड़ से भरे इस बाजार में आग लगने की स्थिति में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। यहां फायर फाइटिंग सिस्टम के नाम पर एक फायर इक्विपमेंट जरूर है। लेकिन उसमें भी ना तो कोई पानी का सोर्स है, और ना ही वाटर कैनन। इसके अलावा क्षेत्रीय व्यापारियों की माने तो निगम इस बाजार को हर बार शिफ्ट करने की बात कहता है। लेकिन यहां आग से लड़ने के लिए उपकरण लगाने के नाम पर पीछे हट जाता है। इस बाजार में एंट्री/एग्जिट के तीन गेट हैं, लेकिन बाजार कन्जेस्टेड होने के चलते, आग लगने की स्थिति में यहां भयावह स्थिति बन सकती है।


Conclusion:हालांकि 2015 से लेकर अब तक निगम में कई बार पुरोहित जी के कटले में अतिक्रमण हटाने और फायर फाइटिंग सिस्टम विकसित करने को लेकर फाइलें चली है। लेकिन कार्रवाई कागजों से बाहर नहीं आई। यहां बिजली के झूलते तारों को भूमिगत करने, हर एक दुकानदार को फायर उपकरण रखने और बाजार में मौजूद कुएं के जरिये पानी की व्यवस्था करते हुए ओवरहेड पानी का टैंक बनाने के महज प्लान तैयार हुए हैं। लेकिन अब तक इन्हें धरातल पर नहीं उतारा गया है। शायद प्रशासन और क्षेत्रीय व्यापारी किसी बड़ी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहे हैं।

ABOUT THE AUTHOR

...view details